दो दोस्तों की प्रेरणा दायक कहानीं !
एक बहुत पुराना गांव था, उस गांव का नाम था रामपुर, उस गांव के लोग बहुत ही सीधे और सच्चे थे। उसी गांव में दो बहुत ही सच्चे दोस्त रहते थे, वह दोनों बचपन से ही साथ थे और पूरा गांव उनको जानता था।उनमें से एक का नाम था राम और दूसरे का नाम श्याम था। राम थोड़ा दुबला पतला था और श्याम अच्छा हट्टा-कट्टा था और दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी।
धैर्य और साहस
बैसे तो गांव बहुत अच्छा था लेकिन उस गांव में पानी की बड़ी समस्या थी वहां के लोग दूर पहाडी से पानी लेकर आते थे तब जाकर गांव में पानी आता था।एक दिन यूंही बातें करते करते राम और श्याम दोनो गांव से बहुत दूर निकल आए, जब दोनों शाम को गांव वापस लौट रहे थे तो उन्होंने देखा की कुछ औरतें आपस में झगड़ा कर रहीं हैं, तो दोनों उनके पास जाते हैं और पूछते हैं कि आप लोग लड़ क्यूं रहे हो?
तो एक औरत बोलती है कि मैं इतनी दूर से पानी भर कर ला रही थी और इसने मेरा पानी गिरा दिया, जैसे तैसे कर के राम और श्याम ने उस औरत को समझा कर लड़ाई को शांत करवा दिया, फिर औरतें अपने अपने रास्ते निकल गईं।एक बार गांव के सभी लोगों ने सरपंच के सामने पानी की समस्या को लेकर बात की तो सरपंच ने एक तरीका निकाला। तरीका यह था की जो भी पहाडी से पानी लाकर गांव के कुए में डालेगा उसको एक वाल्टी के 10 रूपये मिलेंगे।
तो राम और श्याम दोनों ने सोचा कि अब हम कोई काम तो करते नहीं हैं यह काम अच्छा है। हमारा काम भी हो जाएगा और हम पैसे भी कमा लेंगे।यह सोच कर राम और श्याम दोनाे अगले दिन से काम पर लग जाते हैं वह पहले कुछ दिन तो एक बाल्टी से पानी डालते हैं फिर वह दोनों हाथ में बाल्टी लेकर पहाडी पर जाने लगे और पहाडी से पानी भर कर गांव के कुए में पानी डालने लगे।
कुछ दिन तक राम और श्याम दोनो ऐसे ही काम करते हैं लेकिन राम दुबला पतला था तो वह बहुत थक जाता था एक दिन राम सोचता है कि ये काम हम कब तक करेंगे ऐसे तो हम जल्द ही बीमार पड़ जाएंगे और जब हम काम नहीं कर पाएंगे तो हमारे पास पैसा भी नहीं आएगा।
यही सोचते सोचते शाम हो जाती है, राम जब रात को घर पर था तो उसके दिमाग में एक बात आती है कि क्यूं न एक पाईप लाईन बिछा दें ताकि बिना थके और कम मेहनत में पानी पहाडी से सीधा गांव में आने लगे। राम को यह आईडिया बहुत अच्छा लग रहा था।
दूसरे दिन जब राम और श्याम पहाडी पर पानी भरने के लिए जा रहे थे तो राम ने यही आईडिया श्याम को भी बताया लेकिन श्याम को यह बात ज्यादा पसंद नहीं आई और राम को भी ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन राम को यह आईडिया बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि राम आज की नहीं आने वाले कुछ सालों बाद की सोच रहा था लेकिन श्याम तो बस यही सोच रहा था की अभी का काम चल जाए, इसलिए श्याम पाईप लाईन का मना कर रहा था।
राम रात को सोचता रहा कि पाईप लाईन कैसे डलेगी इसमें तो पैसा भी लगेगा फिर वह सोचता है कि यह बात मैं अपने सरपंच को बताउंगा, अगर यह बात सरपंच को समझ में आ गई तो पैसे की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। राम दूसरे दिन सरपंच के पास जाता है लेकिन सरपंच भी उसकी बात से इनकार कर देता है और कहता है कि अगर ऐसा हो सकता तो पहले ही हो जाता लेकिन ऐसा नहीं हो सकता और राम से कहता है कि देखो तुम्हारा खास दोस्त भी तो बाल्टी ही भर रहा है तुम भी ऐसा ही करो।
राम की बात पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा था पर राम को यह पता था की अगर आज बाल्टी भरते रहे तो आने वाले समय में राम ज्यादा काम नहीं कर पाएगा और आगे जाकर जब उसकी तबियत खराब हो जाएगी तो पैसा आना भी बंद हो जाएगा।
राम ने यह ठान लिया कि कोई साथ दे या ना दे लेकिन वह पाईप लाईन जरूर डालेगा, उसने दिमाग लगाया कि दिन दिन में वह बाल्टी से कुए में पानी डालेगा और उससे जो पैसा आऐगा उससे वह अपना खर्चा चलाएगा और साथ में पाईपलाईन भी डालेगा। फिर क्या होता है, राम अपने काम में लग जाता है वह दिन में तो बाल्टी से कुए को भरता और रात को पहाडी से पाईप लाईन डालने के लिए खुदाई करना शुरू कर देता है।
ऐसे ही करते करते उसे महीनों निकल गए लेकिन उसे ज्यादा कामयाबी हासिल नहीं हुई और यहां श्याम ने उसी काम से खुद की बाईक खरीद ली और कुछ सालों में श्याम ने खुद का घर भी ले लिया। लेकिन राम पाईपलाईन डालने में लगा हुआ था, अब तो पूरा गांव राम का मजाक उडाने लगा था जैसे जैसे समय लगता जा रहा था वैसे वैसे लोग उसका मजाक उडाते जा रहे थे, लेकिन राम को पता था कि अगर एक बार पाईपलाईन तैयार हो गई तो पूरे गांव की समस्या हल हो जाएगी और साथ ही बैठे बैठे पैसा आएगा।
राम को खुद पर विश्वास था की पाईप लाईन से ही वह बिना काम के भी पैसा कमा सकता है और वह उसे पूरा करने के लिए लग जाता है।कई साल निकल गए लेकिन राम अभी भी अपनी पाईपलाईन बनाने में लगा हुआ था, और एक दिन ऐसा भी आया जब राम की पाईपलाईन तैयार हो गई और उसने गांव में बैठ कर एक पाईप में टोंटी लगा दी और उससे पानी आना शुरू हो गया।
पूरा गांव इस चमत्कार को देखकर हैरान हो गया की यह राम ने क्या कर दिया इतनी दूर से ये पानी अपने आप कैसे आ रहा है और फिर सरपंच ने उसका सम्मान किया।लेकिन धीरे धीरे श्याम की तबीयत खराब रहने लगी और उसने बिस्तर पकड़ लिया लेकिन राम अपने घर से टोंटी चालू करता और गांव वालों से पैसे लेता और घर पर आराम करता।
इसीलिए कहा गया है धैर्य और साहस को बनाए अपनी तागत :
कहानी का सारांश:
- यह कहानी सिर्फ कहानी नहीं है यह एक हकीकत है कि जिंदगी में सफल वही व्यक्ति है जिसके पास पैसिव इनकम आती है मतलब की काम न कर पाएं तब भी पैसा आना चाहिए।
- यह कहानी यह भी सिखाती है कि हमें हमेशा भविष्य की सोचना चाहिए मतलब की आज से पांच साल बाद हमारे पास बिना काम करे पैसा कैसे आएगा इसके बारे में सोचना चाहिए, हमें अपनी सोच को बढाना होगा।
- जब भी आप कुछ बडा करने की सोचोगे या आप लोगों से अलग हट कर कुछ अलग करने की सोचोगे तो लोग आपका मजाक जरूर उड़ाएंगे जैसे की इस स्टोरी में गांव वाले राम का मजाक उडा रहे थे लेकिन बाद में राम ने सबको गलत साबित कर गांव में पाईप लाईन डाल दी।
- सफलता यूं ही नहीं मिलती उसके लिए बहुत सब्र करना और बहुत कुछ त्यागना पड़ता है। जब एक व्यक्ति ने हवाई जहाज बनाने का सोचा होगा तो क्या लोगों ने उसकी बात पर यकीन किया होगा, बिल्कुल नहीं लेकिन उस व्यक्ति ने कुछ समय बाद जब हवाई जहाज का अविष्कार किया तब लोगों के लिए वही पागल व्यक्ति एक वैज्ञानिक हो गया। इसी तरह हमें भी अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना चाहिए लोगों की बातों पर नहीं।