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अध्याय 2 : संघवाद ( नागरिक शस्त्र )

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संघवाद (Federalism): परिचय

संघवाद (Federalism) एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केंद्र सरकार और क्षेत्रीय सरकारों (राज्य या प्रांतीय सरकारों) के बीच होता है। यह प्रणाली विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सहायक होती है। संघवाद भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश के लिए अत्यंत उपयुक्त है।


संघवाद की परिभाषा:

संघवाद एक शासन प्रणाली है जिसमें दो या अधिक स्तरों की सरकार होती है और ये सरकारें संविधान के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं। यह प्रणाली शक्तियों के विकेंद्रीकरण पर आधारित है।


संघवाद की विशेषताएँ:

  1. शक्तियों का विभाजन:
    संविधान के तहत शक्तियाँ केंद्र और राज्यों के बीच विभाजित होती हैं। भारत में यह तीन सूचियों के माध्यम से किया गया है:

    • संघ सूची (Union List): यह विषय केवल केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं, जैसे- रक्षा, विदेश नीति, मुद्रा।
    • राज्य सूची (State List): यह विषय राज्य सरकारों के अंतर्गत आते हैं, जैसे- पुलिस, स्वास्थ्य, कृषि।
    • समवर्ती सूची (Concurrent List): इस सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, जैसे- शिक्षा, जंगल।
  2. संविधान की सर्वोच्चता:
    संघीय ढांचे में संविधान सबसे अधिक महत्व रखता है। सभी सरकारें संवैधानिक दायरे में रहकर कार्य करती हैं।
  3. स्वतंत्र न्यायपालिका:
    संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष होती है। यह केंद्र और राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करती है।
  4. दो या अधिक स्तरों की सरकार:
    संघीय प्रणाली में आमतौर पर दो स्तर की सरकारें होती हैं – केंद्र और राज्य। भारत में तीसरे स्तर पर स्थानीय स्वशासन (पंचायती राज और नगरपालिका) भी शामिल किया गया है।
  5. राज्यों की स्वायत्तता:
    संघीय ढांचे में राज्यों को अपनी सीमाओं के भीतर स्वायत्तता प्रदान की जाती है।
  6. लचीलापन और कठोरता का संतुलन:
    संविधान को संशोधित करने की प्रक्रिया में संघीय प्रणाली में संतुलन बना रहता है।

भारत में संघवाद:

भारत को संविधान के अनुच्छेद 1 में “राज्यों का संघ” कहा गया है। भारतीय संघवाद को “सहकारी संघवाद” कहा जाता है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें समन्वय के साथ कार्य करती हैं।

भारत में संघवाद की संरचना:

  1. शक्तियों का संवैधानिक विभाजन:
    • तीन सूचियाँ: संघ, राज्य और समवर्ती।
    • केंद्र सरकार को आपातकालीन परिस्थितियों में अधिक अधिकार दिए गए हैं।
  2. स्वायत्तता और अधिकार:
    राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में स्वायत्तता दी गई है।
  3. भाषाई राज्यों का गठन:
    भारतीय संघ में राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया है ताकि सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को स्वीकार किया जा सके।
  4. सहकारी संघवाद:
    केंद्र और राज्यों के बीच सहकारी संबंध बनाए रखने के लिए कई संस्थाएँ और प्रक्रियाएँ विकसित की गई हैं।

संघवाद के लाभ:

  1. विविधता का सम्मान:
    संघीय प्रणाली विविधता को बनाए रखने और अलग-अलग क्षेत्रों की विशिष्टताओं को मान्यता देने में सहायक है।
  2. स्थानीय शासन को बढ़ावा:
    राज्यों को स्थानीय समस्याओं को हल करने की स्वतंत्रता मिलती है।
  3. सत्ता का विकेंद्रीकरण:
    संघीय प्रणाली में सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है, जिससे प्रशासन अधिक प्रभावी बनता है।
  4. लोकतंत्र को मजबूत बनाना:
    संघवाद लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है क्योंकि यह अधिक से अधिक लोगों को शासन प्रक्रिया में शामिल करता है।
  5. प्रभावी प्रशासन:
    केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में कार्य करते हुए प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाती हैं।

संघवाद की चुनौतियाँ:

  1. केंद्र और राज्यों के बीच विवाद:
    • केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का असंतुलन।
    • राज्यों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में केंद्र के हस्तक्षेप की शिकायत।
  2. वित्तीय असंतुलन:
    केंद्र के पास राज्यों की तुलना में अधिक वित्तीय शक्तियाँ होती हैं, जिससे राज्यों को केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है।
  3. क्षेत्रीय राजनीति:
    कुछ क्षेत्रीय पार्टियाँ अपने राज्यों के हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रखती हैं।
  4. विकास में असमानता:
    संघीय प्रणाली में कुछ राज्य अधिक विकसित होते हैं जबकि अन्य पिछड़े रह जाते हैं।
  5. अधिक प्रशासनिक खर्च:
    संघीय ढांचे में कई स्तरों की सरकार होने के कारण प्रशासनिक खर्च बढ़ जाता है।

भारत में संघवाद को मजबूत करने के प्रयास:

  1. पंचायती राज और नगरपालिका:
    73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों के माध्यम से स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा दिया गया।
  2. वित्तीय वितरण:
    वित्त आयोग के माध्यम से केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का संतुलन बनाया गया।
  3. भाषाई राज्यों का गठन:
    राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया ताकि सांस्कृतिक विविधता को मान्यता दी जा सके।
  4. केंद्र-राज्य परिषद:
    केंद्र और राज्यों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया।
  5. न्यायपालिका की भूमिका:
    भारतीय न्यायपालिका संघीय ढांचे की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाती है।

संघवाद और विकेंद्रीकरण का संबंध:

  • संघवाद सत्ता के विभाजन को संदर्भित करता है, जबकि विकेंद्रीकरण सत्ता के और अधिक बंटवारे को बढ़ावा देता है।
  • भारतीय संघवाद में विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए पंचायती राज और नगरपालिका जैसी व्यवस्थाएँ की गई हैं।

संघवाद और भारतीय संविधान:

  1. अनुच्छेद 1: भारत को राज्यों का संघ घोषित करता है।
  2. अनुच्छेद 245-263: केंद्र और राज्यों की विधायी शक्तियाँ।
  3. अनुच्छेद 280: वित्त आयोग का गठन।
  4. अनुच्छेद 368: संविधान संशोधन प्रक्रिया।

अन्य देशों में संघवाद:

अमेरिका:

  • संघीय व्यवस्था में राज्यों को अधिक स्वायत्तता है।
  • राज्यों के पास अपनी स्वतंत्र संविधान और कानून बनाने की शक्तियाँ होती हैं।

कनाडा:

  • संघीय ढांचे में केंद्र सरकार के पास अधिक शक्तियाँ हैं।

स्विट्ज़रलैंड:

  • संघीय ढांचा अधिक लचीला है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी अधिक है।

भारत और अमेरिका के संघवाद में अंतर:

पहलू भारत अमेरिका
संविधान का स्वरूप अर्ध-संघीय शुद्ध संघीय
शक्तियों का वितरण केंद्र के पास अधिक शक्तियाँ राज्यों के पास अधिक स्वायत्तता
संविधान का लचीलापन लचीला कठोर
संविधान का संशोधन सरल प्रक्रिया जटिल प्रक्रिया

संघवाद का महत्व:

संघीय प्रणाली विविधता वाले देशों में अत्यधिक प्रभावी होती है। यह न केवल प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाती है, बल्कि सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं को बनाए रखने में भी सहायक होती है।


निष्कर्ष:

संघवाद एक ऐसी शासन प्रणाली है जो लोकतंत्र को मजबूत बनाती है और विभिन्न स्तरों पर प्रशासन को प्रभावी बनाती है। भारत में संघवाद सहकारी संघवाद के रूप में कार्य करता है, जहाँ केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल के साथ विकास को बढ़ावा दिया जाता है। हालाँकि, संघवाद को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए वित्तीय असंतुलन और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना आवश्यक है।

IMPORTENT  FAQs ON संघवाद (Class 10th) 


प्रश्न 1: संघवाद क्या है?

उत्तर: संघवाद (Federalism) एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें सरकार की शक्तियाँ दो या अधिक स्तरों में विभाजित होती हैं। उदाहरण के लिए, भारत में केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का बंटवारा है।


प्रश्न 2: संघवाद की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:

  1. दो या अधिक स्तरों की सरकार: जैसे भारत में केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकार।
  2. शक्तियों का बंटवारा: संविधान के तहत विभिन्न विषयों को केंद्र और राज्य के बीच बाँटा गया है।
  3. स्वतंत्र न्यायपालिका: संघीय ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए।
  4. संविधान की सर्वोच्चता: संघीय संरचना में संविधान सर्वोच्च होता है।
  5. राज्यों की स्वायत्तता: राज्यों को कुछ मामलों में निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है।

प्रश्न 3: भारत में संघवाद का स्वरूप कैसा है?

उत्तर: भारत एक संघीय व्यवस्था है, लेकिन इसे सहकारी संघवाद कहा जाता है।

  • संविधान के अनुसार, शक्तियाँ तीन सूचियों में बाँटी गई हैं:
    1. संगठ सूची (Union List): केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में।
    2. राज्य सूची (State List): राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में।
    3. समवर्ती सूची (Concurrent List): केंद्र और राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्र में।

प्रश्न 4: भारत में संघवाद की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर:

  1. भारत की विविधता (भाषा, धर्म, संस्कृति) को बनाए रखने के लिए।
  2. प्रशासन को अधिक कुशल बनाने के लिए।
  3. राज्यों की समस्याओं को स्थानीय स्तर पर हल करने के लिए।
  4. लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए।

प्रश्न 5: भारत में संघवाद को कैसे लागू किया गया है?

उत्तर:

  1. शक्तियों का संवैधानिक बंटवारा: तीन सूचियों के माध्यम से।
  2. पंचायती राज: स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के लिए।
  3. भाषाई राज्यों का गठन: भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को पहचान देने के लिए।
  4. स्वतंत्र न्यायपालिका: संघीय ढांचे की रक्षा के लिए।

प्रश्न 6: संघवाद के लाभ क्या हैं?

उत्तर:

  1. विविधता का सम्मान: विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की पहचान को बनाए रखना।
  2. स्थानीय शासन: स्थानीय समस्याओं को बेहतर तरीके से हल करना।
  3. लोकतंत्र को मजबूत करना: सत्ता का विकेंद्रीकरण।
  4. प्रभावी प्रशासन: अलग-अलग स्तरों पर प्रशासन।

प्रश्न 7: संघवाद के नुकसान क्या हैं?

उत्तर:

  1. सत्ता संघर्ष: केंद्र और राज्यों के बीच टकराव।
  2. विकास में असमानता: राज्यों के विकास में अंतर।
  3. अधिक खर्च: प्रशासन के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता।
  4. क्षेत्रीय राजनीति: राष्ट्रहित के बजाय क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान।

प्रश्न 8: भारत में संघवाद को मजबूत करने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए गए हैं?

उत्तर:

  1. भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन।
  2. पंचायती राज व्यवस्था का गठन।
  3. वित्त आयोग का गठन।
  4. केंद्र और राज्यों के बीच सहकारी संबंध।

प्रश्न 9: भारत और अमेरिका के संघवाद में क्या अंतर है?

उत्तर:

  1. भारत: केंद्र को अधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं, सहकारी संघवाद।
  2. अमेरिका: राज्य अधिक स्वायत्त हैं, सच्चा संघवाद।
  3. संविधान का लचीलापन: भारत में संविधान अधिक लचीला है।
  4. संविधान संशोधन प्रक्रिया: भारत में सरल, अमेरिका में जटिल।

प्रश्न 10: संघवाद से संबंधित भारतीय संविधान के कौन से अनुच्छेद महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर:

  1. अनुच्छेद 1: भारत का संघीय स्वरूप।
  2. अनुच्छेद 245-255: कानून बनाने की शक्तियाँ।
  3. अनुच्छेद 280: वित्त आयोग।
  4. अनुच्छेद 368: संविधान संशोधन।

प्रश्न 11: संघवाद और विकेंद्रीकरण में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • संघवाद: सरकार की शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच।
  • विकेंद्रीकरण: स्थानीय सरकारों को शक्तियाँ प्रदान करना।

प्रश्न 12: संघवाद का वैश्विक महत्व क्या है?

उत्तर: संघवाद का महत्व उन देशों में अधिक होता है जहाँ सांस्कृतिक, भाषाई या क्षेत्रीय विविधता होती है। यह व्यवस्था लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती है और शासन में संतुलन लाती है।


नोट्स:
संघवाद के सभी पहलुओं को समझने के लिए संविधान की सूचियों, प्रमुख उदाहरणों (जैसे जल विवाद, भाषा विवाद), और संघीय ढांचे की चुनौतियों का अध्ययन करें।

अध्याय 4 : औद्योगीकरण का युग ( इतिहास )

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