- 11th class History notes in Hindi (NCERT समाधान कक्षा 11 इतिहास)
- Complete note of chapter 11 history (Chapter 11- आधुनिकीकरण के रास्ते)
- चीन :-
- जापान :-
- आधुनिकीकरण के रास्ते -चीन में चिंग राजवंश का अंत :-मूल निवासियों का विस्थापन
- आधुनिकीकरण के रास्ते-19वीं सदी में जापान में औद्योगिक अर्थशास्त्र की रचना :-मूल निवासियों का विस्थापन
- आधुनिकीकरण के रास्ते-चीन और जापान की भौगोलिक स्थिति का अंतर :-मूल निवासियों का विस्थापन
- आधुनिकीकरण के रास्ते-आधुनिक दुनियाँ में आम चीनी प्रतिक्रिया:-मूल निवासियों का विस्थापन
- आधुनिकीकरण के रास्ते-मेजी पुनर्स्थापना :-मूल निवासियों का विस्थापन
- आधुनिकीकरण के रास्ते-फुकोकु क्या हैं ?
- करारपति शासन और भूमि अधिकार में लाभ ।
- प्रमुख प्रश्न – उत्तर
- सन यात-सेन के तीन सिद्धांत क्या थे?
- कोरिया ने 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किस प्रकार किया?
- क्या पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ?
- क्या आप मानते हैं कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की?
- क्या साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया?
11th class History notes in Hindi (NCERT समाधान कक्षा 11 इतिहास)
Complete note of chapter 11 history (Chapter 11- आधुनिकीकरण के रास्ते)
चीन :-
🔹चीन एक ऐतिहासिक द्वीप है, जिसमें विभिन्न प्रकार के जलवायु वाले क्षेत्र शामिल हैं।
🔹चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह ‘हान’ है और प्रमुख भाषा चीनी है।
🔹 चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना :-
🔹चीन में साम्यवादी सरकार की स्थापना 1949 में हुई।
जापान :-
🔹चीन के विपरीत जापान एक द्वीप श्रृंखला है, जिसमें चार बड़े द्वीप समूह होनशू, क्यूशू, शिकोकू और
होकैडो हैं।
🔹12वीं सदी के शासकों में जापान पर शोगुनों का आधिपत्य हुआ जो सैद्धान्तिक रूप से राजा थे।
🔹1603 से 1867 तक मध्य तक तोकुगावां राजवंश के लोग शोगुन पद पर थे।
आधुनिकीकरण के रास्ते -चीन में चिंग राजवंश का अंत :-मूल निवासियों का विस्थापन
🔹1644 से 1911 तक चीन पर चिंग राजवंश का शासन था। 19वीं सदी की शुरुआत में चीन का पूर्वी
एशिया पर प्रभुत्व था। यहां चिंग राजवंश का शासन था। कुछ ही दशकों के अंदर चाइना स्टोइक्स की
मस्जिदें बंद हो गईं और औपनिवेशिक चुनौतियों का सामना नहीं किया जा सका। चिंग राजवंश के हाथों से
राजनितिक नियंत्रण की शुरूआत और देश गृहयुद्ध के लैपटॉप में की जा रही है।
आधुनिकीकरण के रास्ते-19वीं सदी में जापान में औद्योगिक अर्थशास्त्र की रचना :-मूल निवासियों का विस्थापन
🔹18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में जापान ने अन्य एशियाई देशों की तुलना में काफी
अधिक प्रगति की।
🔹जापान एक आधुनिक राष्ट्र – राज्य के निर्माण में, औद्योगिक अर्थशास्त्र की रचना में ची न को काफी पीछे
छोड़ दिया गया है।
🔹ताइवान (1895) और कोरिया (1910) को अपने में मिलाते हुए एक औपनिवेशिक साम्राज्य के सदस्य
बनने में सफल रहे।
🔹 उसने अपनी संस्कृति और अपने आदर्शों का स्रोत – भूमि चीन को 1894 में हराया और 1905 में रूस
जैसी यूरोपीय शक्ति को पराजित करने में सफल रही।
आधुनिकीकरण के रास्ते-चीन और जापान की भौगोलिक स्थिति का अंतर :-मूल निवासियों का विस्थापन
चीन :-
🔹चीन एक महाद्वीपीय महाद्वीप देश है।
🔹यहां की जलवायु में विविधता पाई जाती है।
🔹यहां कई राष्ट्रभाषाएं हैं।
🔹खानों में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है।
🔹जबकि जापान बहुत ही यूक्रेनी भूकंप क्षेत्र में है।
🔹जापान एक द्वीपीय देश है जिसमे 4 द्वीप मुख्य हैं।
आधुनिकीकरण के रास्ते-आधुनिक दुनियाँ में आम चीनी प्रतिक्रिया:-मूल निवासियों का विस्थापन
🔹जापान के समन में देखा गया या अन्य यूरोपीय देशों की तुलना की जाए तो चीनी मंदी का दौर जारी रहा
और उनके सामने कई कठिनाइयाँ आईं।
🔹आधुनिक दुनिया का सामना करने के लिए उन्होंनेन्हों नेअपने सिद्धांत को पुनः स्थापित करने का प्रयास
किया।
🔹 अपने राष्ट्र – शक्ति का पुनर्निर्माण और पश्चिमी और जापानी नियंत्रण से मुक्त होने की कोशिश की।
🔹उन्होंनेन्हों नेपाया कि असुरक्षाओं को दूर करके अपने देश के पुनर्निर्माण के दोहरे उद्देश्य को वे क्रांति के
माध्यम से ही प्राप्त कर सकते हैं।
आधुनिकीकरण के रास्ते-मेजी पुनर्स्थापना :-मूल निवासियों का विस्थापन
🔹मेजी पुनर्स्थापना का अर्थ है, संयुक्त सरकार का गठन | सन 1867 – 68 के दौरान मेजी राजवंश का
उदय हुआ और देश में विभिन्न प्रकार के असंतोष राजाओं की पुनर्स्थापना का कारण बना।
1. खेलों के पुनर्स्थापना के पीछे का कारण:-
🔹देश में तरह-तरह का असंतोष था।
🔹अंतर्राष्ट्री य व्यापार व विपणन की भी मांग की जा रही थी।
2. मेजी शासन के अंतर्गत जापान में अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण :-
🔹कृषि पर कर।
🔹जापान में रेल लाइन बाकीना।
आधुनिकीकरण के रास्ते-फुकोकु क्या हैं ?
🔹जिसका अर्थ है समृद्ध देश और मजबूत सेना।
1. जापान में मासिकों द्वारा शिक्षा एवं विद्यालयी व्यवस्था में परिवर्तन :-
🔹लड़कियों और लड़कियों के लिए स्कूल जाना जरूरी।
🔹पढ़ें फ़ीस बहुत कम करना।
🔹आधुनिक विचारधारा पर जोर देना।
🔹राज्य की प्रति निष्ठा और जापानी इतिहास के अध्ययन पर बल दिया गया।
🔹गायिका के चयन और सैटेलाइट के प्रशिक्षण पर नियंत्रण।
🔹 माता-पिता के प्रति आदर, राष्ट्र के प्रति वफादारी और अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी गई।
2. जापान में खेलों द्वारा पर्यावरण पर कौशल के विकास का प्रभाव:-
🔹लकड़ी जैसे प्राकृतिक निर्माण की मांग से पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव।
🔹 औद्योगीकरण के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण का निषेध।
🔹कृषि कार्यशाला में कमी का प्रमुख कारण लोगों का शहरों की ओर पलायन।
3. चियांग कैशेक के कार्य :-
🔹सरलार्ड्स पर नियंत्रण करना।
🔹साम्यवा दियो का खात्मा।
🔹सेकुलर और ‘इह लोकतान्त्रिक’ कन्फ्यूशियसवाद की हिमायत की। राष्ट्र का सैन्यकरण का प्रयास।
करारपति शासन और भूमि अधिकार में लाभ ।
🔹लोगों की समस्या पर ध्यान न देकर, फौजी व्यवस्था मेजने का प्रयास किया गया।
1. चीनी बहसों में तीन विचारधाराओं पर नजर :-
🔹 कांग योवेल (1858 – 1927) या लियांग किचाउ (1873 – 1929) ।
🔹गणराज्य के प्रमुख राष्ट्र प्रमुख सन यान – सेन |
🔹चीन की कम्युनिस्ट पार्टी।
2. आधुनिक चीन की शुरुआत :-
🔹आधुनिक चीन का प्रारंभ 17वीं और सत्रहवीं शताब्दी में पश्चिम में उसका प्रथम सामना होने के समय से
माना जाता है।
❇️ जेसुइट मिशनरीज़:-
🔹 जेसुइट मिशनरियों ने पश्चिमी विज्ञानों की तरह चीन, खगोल, गणित और गणित में प्रवेश किया।
❇️ पहला रोमांटिक युद्ध :-
🔹प्रथम समुद्री युद्ध ब्रिटेन और चीन के बीच (1839 1942) हुआ। इस युद्ध में ब्रिटेन ने अवैध व्यापार को
बढ़ाने के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया।
❇️ प्रथम स्वर्ण युद्ध के परिणाम :-
🔹इस युद्ध में सताधारी किंग राजवंश का विनाश हुआ।
🔹सुधार और बदलाव की मांगों को स्थान दिया।
सन यात – सेन के तीन सिद्धांत :-
🔸ये तीन सिद्धांत हैं:-
🔹राष्ट्रवाद :- इसका अर्थ मांचू राजवंश था – जिसे विदेशी राजवंश के रूप में माना जाता था – सत्ता से
स्थापित, साथ – साथ अन्य साम्राज्यवादियों का विनाश।
🔹गणतांत्रिक सरकार की स्थापना :– अन्य साम्राज्यवादियों का पतन तथा गणतंत्र की स्थापना।
🔹 समाजवाद :– जो पूंजीवाद का नियमन करे और भूस्वामित्व में हीला करे। सन यात – सेन के विचार
कुओमिनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने। उन्होंनेन्हों नेउद्योग, खाना, घर और परिवहन, इन चार बड़ी
आवश्यकताओं को पूरा किया।
ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना :-
🔹 1975 में चियांग कैशेक की मृत्यु के बा द धीरे-धीरे शुरू हुआ और 1887 में जब फौजी कानून हटा
लिया गया और विरोधी धर्मशास्त्रों को संवैधानिक मान्यता मिल गई, तब इस प्रक्रिया ने गति पकड़ी। प्रथम
स्वतंत्र मतदान ने स्थानीय ताइवानियों को सत्ता में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
❇️ चीन ने अपनाये आधुनिकीकरण के तरीके :-
🔹 साम्यवादी दल का पतन।
🔹आर्थिक खुलापन और विश्व बाजार से संबंध बनाने की नीति।
🔹सामन्तवाद का खात्मा।
🔹शिक्षा का विस्तार हुआ।
🔹विदेशी साम्राज्यवाद से प्रतियोगिता का कार्यक्रम।
🔹निजी मालिक और भू-स्वामित्व का अंत।
आधुनिकीकरण का श्रेय साम्यवादी दल।
🔹पुरानी निराशाओं का अंत।
🔹केन्द्रीकृत सरकार की स्थापना।
❇️ जापान द्वारा अपनाये गये आधुनिकता के मार्ग :-
🔹पारंपरिक कौशल और शास्त्रीय का प्रयोग।
🔹पश्चिम का नाम।
🔹जापानी राष्ट्रवाद।
🔹निष्ठावान नागरिकता।
🔹सम्राट के प्रति वफादारी की शिक्षा।
प्रमुख प्रश्न – उत्तर
सन यात-सेन के तीन सिद्धांत क्या थे?
सन यात-सेन को आधुनिक चीन के संस्थापक माना जाता है। वे एक गरीब परिवार से उत्पन्न हुए थे। 1911 ई. में सन यात-सेन ने मांचू साम्राज्य को समाप्त कर चीनी गणतंत्र की स्थापना की, जिसके नेतृत्व में थे। सनयात-सेन के तीन सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
कोरिया ने 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किस प्रकार किया?
कोरिया ने वर्ष 1997 में अपने बढ़ते व्यापार घाटे, वित्तीय संस्थाओं द्वारा खराब प्रबंधन, संगोष्ठीयों तथा अन्य के द्वारा लापरवाह व्यवसाय संचालन के बीच विदेशी मुद्रा संकट का सामना किया। संकट की वजह से दुनियाभर में आर्थिक मंदी की आशंका पैदा होने लगी। कारियाई वित्तीय संस्थाओं ने अपने अल्पकालिक दायित्वों का सामना करने के लिए कोरियाई सरकार ने अपने सीमित विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग किया।
क्या पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ?
औद्योगीकरण की जापानी नीति ने ही जापान को पड़ोसियों के साथ युद्धों में उलझा दिया तथा उसके पर्यावरण को समाप्त कर दिया। मेजी पुर्नस्थापना के लगभग 40 वर्षों के अंतराल में जापान ने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। वहाँ के तत्कालीन सम्राटों ने विदेशियों को जंगली समझकर उनकी विशेषताओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया बल्कि उसने स्वयं सीखने की कोशिश की। ‘फ़ुकोकु क्योहे‘ अर्थात् ‘समृद्ध देश, मजबूत सेना’ के नोर के साथ सरकार ने अपनी नई नीति की घोषण की।
इस नई नीति का उद्देश्य था अपनी अर्थव्यवस्था और सेना को मजबूत बनाना। मेजी सुधारों के तहत अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण पर अत्यधिक ज़ोर दिया गया। सरकार ने उद्योगों के विकास के लिए विदेशों से भी सहायता ली। सूती वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कपास की नवीन किस्मों को विकसित करने की कोशिश की। संचार तथा यातायात के आधुनिक संसाधनों आर्थिक क्रांति में अहम भूमिका निभाई।
20वीं शताब्दी के प्रथम दशक तक जापान की गणना विश्व के सर्वोत्तम औद्योगिक देशों में होने लगी। जापान भी बाजार की खोज में 19वीं शताब्दी में औपनिवेशिक दौड़ में शामिल हो गया। जापान के साम्राज्यवाद का एक अन्य मुख्य कारण एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र में अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करना था। परिणामस्वरूप उसे 1894-95 ई. में चीन के साथ तथा 1904-05 में रूस के साथ युद्ध करना पड़ा।
औद्योगिकीकरण के कारण 1920 तक जापान की जनसंख्या लगभग 5-5 करोड़ हो गई। प्रथम विश्व युद्ध के बाद जापान की अर्थव्यवस्था लगातार विकास की ओर अग्रसर होने लगी। जापान रेयन, सूती वस्त्र तथा कच्चे रेशम का सबसे बडा़ निर्यातक देश बन गया। लोहा-इस्पात उद्योग के क्षेत्र में भी जापान ने अभूतपूर्व विकास किया।
औद्योगिक विकास ने लकड़ी की माँग में वृद्धि की इससे पेड़ों की कटाई हुई। फ़लस्वरूप पर्यावरण पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान में औद्योगिक विकास और तीव्र हो गया जिसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। अतः यह कथन सत्य है कि पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ।
क्या आप मानते हैं कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की?
जी हाँ, यह कथन सत्य है कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की। 1921 ई. में साम्यवादी दल की स्थापना की गई जो अपने प्रारंभिक चरण में ही एक शक्तिशाली दल के रूप में उभरने लगा। एक समय चीन में दो सरकारों का आधिपत्य रहा। एक थी राष्ट्रवादी दल (कुओमीनतांग) तथा दूसरी सरकार का अधयक्ष सैनिक जनरल च्यांग कोईशेक था। इसका मुख्यालय बीजिंग में था। लोग दोहरी मार झेल रहे थे। कर तथा खाद्य वस्तुओं के कारण महँगाई थी, ये दोनों ही समस्याएँ जनता को परेशान कर रही थी। चीनी साम्यवादी पार्टी के प्रमुख नेता माओ त्सेतुंग की कोशिशों के फ़लस्वरूप वह पार्टी एक शक्तिशाली राजनैतिक शक्ति बन गई थी। उन्होंने किसान संगठन बनाया तथा भूमि अधिग्रहण करके फि़र से नए नियमों के अनुसार वितरण किया। उन्होंने स्वतंत्र सरकार तथा सैन्य संगठन पर जोर दिया।
माओ त्सेतुंग एक शोषणमक्त राष्ट्र का निर्माण करना चाहते थे। अक्टूबर 1943 में चीन में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना के नाम से गणतंत्रीय सरकार की स्थापना कर दी गई। माओ त्सेतुंग ऐसे समाजवादी व्यक्तियों का निर्माण करना चाहते थे, जिन्हें पितृभूमि, काम, जनता, विज्ञान तथा जनसंपत्ति पाँचों से बहुत प्यार हो। उन्होंने महिलाओं के लिए ‘आल चाइना डेमोक्रेटिस वीमेन्स फ़ेडरेजन’ और विद्यार्थियों के लिए ऑल चाइना स्टूडेंट्स फ़ेडरेजन का निर्माण किया। जनमुक्ति सेना के युवा अंग लाल रक्षकों द्वारा क्रांति को करने या जारी रखने के नाम पर भयंकर अत्याचार किए गए। माओ त्सेतुंग की विचारधारा को स्वीकार न करने वालों पर कई प्रकार की मुसीबतों तथा पीड़ाओं का सामना करना पड़ा। फ़लतः अर्थव्यवस्था तथा शिक्षा व्यवस्था में रूकावट आने लगी। 1970 ई.में चीन की परिस्थितियाँ भी तीव्र गति से बदलने लगीं। चीन की अर्थव्यवस्था भी विकास के पथ पर आगे बढ़ने लगी।
उपरोक्त विवरणों से यह कहना उचित होगा कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और बुनियाद डालने में सफ़लता प्राप्त की।
क्या साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया?
साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में निम्नलिखित योगदान दिया:
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