कार्य तथा ऊर्जा (Work and Energy)
कार्य तथा ऊर्जा
कार्य (Work):
जब किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है और उस वस्तु में बल की दिशा में विस्थापन होता है, तब कार्य होता है।
- कार्य का परिभाषा:
यदि किसी वस्तु पर लगाया गया बल उस वस्तु को विस्थापित करता है और विस्थापन बल की दिशा में होता है, तो बल कार्य करता है।
कार्य को निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जाता है: W=F⋅d⋅cosθW = F \cdot d \cdot \cos \theta जहाँ:- WW = कार्य
- FF = बल
- dd = विस्थापन
- θ\theta = बल और विस्थापन के बीच का कोण
कार्य के प्रकार:
- सकारात्मक कार्य (Positive Work):
जब बल और विस्थापन एक ही दिशा में होते हैं, तो कार्य सकारात्मक होता है। उदाहरण: एक वस्तु को धक्का देकर खिसकाना। - नकारात्मक कार्य (Negative Work):
जब बल और विस्थापन विपरीत दिशाओं में होते हैं, तो कार्य नकारात्मक होता है। उदाहरण: एक ऊपर फेंकी गई गेंद पर गुरुत्वाकर्षण बल। - शून्य कार्य (Zero Work):
यदि विस्थापन नहीं होता है या बल और विस्थापन एक दूसरे के लंबवत होते हैं, तो कार्य शून्य होता है।
कार्य के मापन की इकाई:
- SI इकाई: जूल (Joule)
1 जूल = जब 1 न्यूटन का बल किसी वस्तु को उसकी दिशा में 1 मीटर तक विस्थापित करता है।
ऊर्जा (Energy):
ऊर्जा को किसी कार्य को करने की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक स्केलर राशि है।
ऊर्जा के प्रकार:
- स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy):
यह ऊर्जा किसी वस्तु की स्थिति या अवस्था के कारण होती है।U=m⋅g⋅hU = m \cdot g \cdot hजहाँ:
- UU = स्थितिज ऊर्जा
- mm = वस्तु का द्रव्यमान
- gg = गुरुत्वाकर्षण त्वरण (9.8 m/s²)
- hh = वस्तु की ऊँचाई
- गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy):
यह ऊर्जा किसी वस्तु की गति के कारण होती है।KE=12mv2KE = \frac{1}{2} m v^2जहाँ:
- KEKE = गतिज ऊर्जा
- mm = वस्तु का द्रव्यमान
- vv = वस्तु की गति
ऊर्जा के मापन की इकाई:
- SI इकाई: जूल (Joule)
1 जूल = जब 1 किलोग्राम की वस्तु 1 m/s की गति से चलती है।
कार्य-ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem):
यह प्रमेय कहता है कि किसी वस्तु पर किया गया कुल कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर होता है।
W=ΔKEW = \Delta KE
जहाँ:
- WW = कुल कार्य
- ΔKE\Delta KE = गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
ऊर्जा का संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy):
ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
उदाहरण:
- एक पेंडुलम में स्थितिज और गतिज ऊर्जा का अदला-बदली होती है, लेकिन कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।
शक्ति (Power):
शक्ति कार्य करने की दर है।
P=WtP = \frac{W}{t}
जहाँ:
- PP = शक्ति
- WW = किया गया कार्य
- tt = समय
शक्ति की इकाई:
- SI इकाई: वाट (Watt)
1 वाट = जब 1 जूल कार्य 1 सेकंड में किया जाता है।
अन्य इकाइयाँ:
- 1 किलोवाट = 1000 वाट
- 1 हार्सपावर (HP) = 746 वाट
गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जा के बीच संबंध:
जब एक वस्तु ऊँचाई पर होती है, तो उसमें स्थितिज ऊर्जा अधिक होती है। जैसे-जैसे वह गिरती है, उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती जाती है। गिरने के दौरान, कुल यांत्रिक ऊर्जा (स्थितिज + गतिज) स्थिर रहती है।
उदाहरण:
- झरने से गिरता पानी: ऊँचाई पर स्थित पानी में स्थितिज ऊर्जा होती है, जो नीचे गिरने पर गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।
प्रभावी कार्य और ऊर्जा के उपयोग:
- यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy):
यह गतिज और स्थितिज ऊर्जा का योग है।ME=KE+PEME = KE + PE
- ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग:
ऊर्जा का उपयोग विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे बिजली उत्पादन, मशीनें चलाना, वाहन चलाना, आदि।
उदाहरण प्रश्न:
- 10 किग्रा की एक वस्तु को 5 मीटर ऊँचाई तक उठाने में किया गया कार्य ज्ञात कीजिए।
W=m⋅g⋅h=10⋅9.8⋅5=490 जूलW = m \cdot g \cdot h = 10 \cdot 9.8 \cdot 5 = 490 \, \text{जूल}
- 20 किग्रा की एक चलती हुई कार, जिसकी गति 10 m/s है, की गतिज ऊर्जा ज्ञात करें।
KE=12mv2=12⋅20⋅(10)2=1000 जूलKE = \frac{1}{2} m v^2 = \frac{1}{2} \cdot 20 \cdot (10)^2 = 1000 \, \text{जूल}
महत्वपूर्ण बिंदु:
- कार्य और ऊर्जा का आपस में गहरा संबंध है।
- ऊर्जा का संरक्षण नियम प्राकृतिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- शक्ति कार्य करने की क्षमता की माप है और इसका व्यावहारिक महत्व है।
पाठ के बीच में आए प्रश्न :- (पेज़ न 129)
प्रश्न 1 – किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 मीटर है। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर :-
किसी वस्तु पर लगने वाला बल = 7N
बल की दिशा में विस्थापन = 8m
किया गया कार्य = ?
किया गया कार्य = बल × विस्थापन
= 7 × 8 = 56
पाठ के बीच में आए प्रश्न :- (पेज़ न 130)
प्रश्न 1 – हम कब कहते है कि कार्य किया गया है?
उत्तर :- जब भी हम किसी वस्तु पर कोई बल लगाए और वह वस्तु आपके द्वारा बल लगाने पर एक दिशा में विस्थापन करें, उसे कार्य कहा जाता है।
प्रश्न 2 – जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर :- W (किया गया कार्य) = F (बल) × D (विस्थापन)
प्रश्न 3 – 1 J कार्य करो परिभाषित कीजिए।
उत्तर :- यदि F = 1N, S= 1m हो तो बल द्वारा किया गया कार्य 1Nm होगा। यहां बल का मात्रक न्यूटन मीटर या जूल(J) है। इसलिए 1J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है जब 1N का बल वस्तु को बल की क्रिया रेखा की दिशा में 1m विस्थापित कर दे।
प्रश्न 4 – बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 मीटर लंबा है। खेत की लंबाई को जोतने में कितना कार्य किया गया?
उत्तर :- किसी हल पर लगने वाला बल = 140N
जोता गया खेत (विस्थापन) = 15m
खेत की लम्बाई को जोतने में किया गया कार्य = बल × विस्थापन
= 140 × 15 = 2100J
पाठ के बीच में आए प्रश्न :- (पेज़ न 134)
प्रश्न 1 – किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर :- किसी भी वस्तु पर जब भी कोई कार्य किया जाए तो उसमें ऊर्जा संचित होती है अर्थात किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित/ संचित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु की गति ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है।
प्रश्न 2 – किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर :- वस्तु की गतिज ऊर्जा = ½ × द्रव्यमान × (वेग)2
. k = ½ mv2
प्रश्न 3 – 5 m s-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दोगुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी?
उत्तर :- किसी वस्तु का द्रव्यमान = m kg
वस्तु का गतिशील वेग = 5m s-1
वस्तु की गतिज ऊर्जा = ½ × द्रव्यमान × (वेग)2
25 = ½ × m × 52
25 = ½ × m × 25
M = ½ × 25/25
M = 2 kg
वस्तु के वेग को दोगुना करने के बाद = 5×2 = 10 m s-1
इस प्रकार वस्तु की गतिज़ ऊर्जा = ½ × 2 × 102 = 100J
वस्तु के वेग को तीन गुना करने के पश्चात = 5 × 3 = 15 m s-1
वस्तु की गतिज़ ऊर्जा = ½ × 2 × 152 = 225J
पाठ के बीच में आए प्रश्न :- (पेज़ न 139)
प्रश्न 1 – शक्ति क्या है?
उत्तर :- कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं। यदि कोई अभिकर्ता (t) समय में w कार्य करता है तो शक्ति का मान होगा :- शक्ति = कार्य/ समय या P = W/T
प्रश्न 2 – 1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :- यदि 1 वाट उस अभिकर्ता की शक्ति है जो 1 सेकंड में 1 जूल कार्य करता है तो हम यह कह सकते हैं कि यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1J s-1 है तो शक्ति 1W होगी।
1 वाट = 1जूल/ सेकंड या 1W = 1J s-1
प्रश्न 3 – एक लैंप 1000J विद्युत ऊर्जा 10s में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है?
उत्तर :- विद्युत ऊर्जा = 1000J
समय (व्यय करना) = 10s
शक्ति = ऊर्जा/ समय
= 1000/10= 100 वाट
प्रश्न 4 – औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :- कुल उपयोग की गई ऊर्जा को कुल लिए गए समय से विभाजित करने से प्राप्त शक्ति औसत शक्ति कहलाती है।
अभ्यास प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1 – निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
- सूमा एक तालाब में तैर रही है।
- एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएं से पानी उठा रही है।
- एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
- एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
- अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
- एक पाल- नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर :-
- हां, सूमा द्वारा तैरना में कार्य हुआ क्योंकि उसने पानी को बल द्वारा धकेला और स्वयं आगे बढ़ी जिससे उसकी दिशा में विस्थापन हुआ।
- हां, इस प्रक्रिया में कार्य निहित है क्योंकि पवन चक्की द्वारा बल लगाने पर कुएं से पानी उठाया गया, और पानी का आना विस्थापन होना है।
- नहीं, क्योंकि इस प्रक्रिया में पौधों द्वारा कोई बल नहीं लगाया गया।
- हां, इंजन द्वारा ट्रेन को खींचने में कार्य हुआ क्योंकि इसमें इंजन द्वारा बल लगाया गया और ट्रेन विस्थापित हुई।
- नहीं, इस प्रक्रिया में कोई बल नहीं लगाया गया।
- हां, पवन ऊर्जा के द्वारा बल लगाने पर नाव का गतिशील होना अर्थात विस्थापन होना कार्य में निहित है।
प्रश्न 2 – एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित है। पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया?
उत्तर :- एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है और यह उसी वक्र पथ पर चलता है अर्थात हमारे दवारा जो बल लगाया गया उसका विस्थापन परस्पर लंब (90°) में या क्षैतिज दिशा में हुआ। इसका मतलब कार्य शून्य है। साथ में यह फैंका हुआ पिंड वापिस आ जाता है। किसी प्रकार का विस्थापन न होने के कारण गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य है।
प्रश्न 3 – एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाली ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :- बैटरी से बल्ब के जलने की प्रक्रिया से जो ऊर्जा खर्च होती है और एक अवस्था से दूसरी अवस्था में ऊर्जा रूपांतरण होती है तो यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है। इस नियम में पहले बैटरी रासायनिक, विद्युत् ऊर्जा में रूपांतरित करती है। फिर बल्ब विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा तथा प्रकाश में रूपांतरित करता है।
प्रश्न 4 – 20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5m s-1 से 2m s-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
उत्तर :- वस्तु का द्रव्यमान (m):- 20kg
वस्तु पर लगा हुआ प्रारम्भिक वेग(u):- 5m s-1
परिवर्तित वेग(v):- 2m s-1
बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन:-
½ mv2 – 1/2mu2
= ½ m ( v2 – u2)
. = ½ ×20 (4 – 25)
= ½ × 20 (- 21)
= – 420/2 = -210= 210J
प्रश्न 5 – 10 kg द्रव्यमान का एक पिंड मेज पर A बिंदु पर रखा है। इसे B बिंदु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- जैसा कि हम जानते हैं A और B को मिलाने वाली क्षैतिज दिशा है जिसमे बल लगाने पर परस्पर लंब दिशा में विस्थापन हुआ। इसका तातपर्य किया गया कार्य शून्य है। इस प्रकार पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य भी शून्य है।
प्रश्न 6 – मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
उत्तर :- नहीं, इस प्रक्रिया में ऊर्जा संरक्षण नियम में कोई उल्लंघन नहीं होता। जैसा कि हम जानते है यांत्रिक ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा के बराबर होती है। और एक मुक्त रूप से गिरता हुआ पिंड भी इसी दिशा में काम करता है पहले वह स्थितिज ऊर्जा को कम करता है साथ में गतिज़ ऊर्जा की वृद्धि करता है और अत: यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण करता है।
प्रश्न 7 – जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण होते हैं?
उत्तर :- साइकिल चलाते समय पहले स्थिर साइकिल की स्थितिज ऊर्जा से पैडल मारना से पेशीय फिर यांत्रिक ऊर्जा पकड़ना और अंत में गतिज ऊर्जा में रूपांतरण होना ही प्रक्रिया है।
प्रश्न 8 – जब आप अपनी सारी शक्ति लगा कर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर :- जब हम अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलते है तो इस अवस्था में चट्टान हटाने में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात कोई कार्य नहीं हुआ। लेकिन हमारे द्वारा लगी ऊर्जा की वजह से हम थकावट महसूस करेंगे इस तरह से ऊर्जा का स्थानांतरण हुआ।
प्रश्न 9 – किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 ‘यूनिटें’ व्यय हुई। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?
उत्तर :- 1 यूनिट = 1kwh = 3.6×106
व्यय हुई यूनिट = 250kwh
जूल में ऊर्जा = 250×3.6×106 =
= 250 × 36/10 ×106 = 900 × 106
= 9.0 × 108
प्रश्न 10 – 40 kg द्रव्यमान का एक पिंड धरती से 5m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिंड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिंड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g=10ms-2)
उत्तर :- पिंड का द्रव्यमान (m)= 40kg
धरती से पिंड की ऊंचाई (h) = 5m
गुरुत्वीय त्वरण (g) = 10ms-2
स्थितिज़ ऊर्जा:- E= mgh= 40× 10× 5 = 2000
आधे रास्ते में जाने से पिंड की ऊंचाई = 5/2 = 2.5
स्थितिज ऊर्जा = 40× 10× 2.5 = 40×10×25/10= 1000
कुल ऊर्जा= गतिज़ ऊर्जा+ स्थितिज ऊर्जा
2000= गतिज़ ऊर्जा + 1000 = 1000
प्रश्न 11 – पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर :- पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए उपग्रह पर गुरुत्व बल परस्पर लंब की दिशा में लगता है, इसलिए इस पर किया गया कार्य शून्य होता है।
प्रश्न 12 – क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार विमर्श कीजिए।
उत्तर :- हां, किसी भी वस्तु या पिंड पर लगने वाला बल उस वस्तु के गतिशील होने का कारण है और किसी वस्तु पर आंतरिक या बाह्य बल न लगने के कारण उसका विस्थापन असम्भव है। इसी वजह से जब किसी पिंड पर किसी दूसरे पिंड का बल कार्य करता है तो पिंड का विस्थापन होता है। जैसे किसी पेड़ से टूटा फल बल लगने के कारण नीचे गिरा इसमें विस्थापन हुआ और बल शून्य रह गया।
प्रश्न 13 – कोई मनुष्य भूसे के एक गट्टर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर :- कोई कार्य जब ही पूरा हुआ माना जाता है जब उसमें कोई विस्थापन होता है लेकिन भूसे का गट्टर वही है इसलिए कोई कार्य नहीं हुआ।
प्रश्न 14 – एक विद्युत्-हीटर (ऊष्मक) को घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
उत्तर :- शक्ति= 1500W
समय = 10 घंटे
की गई ऊर्जा उपयोग = ?
शक्ति × समय = 1500× 10 = 15000kwh= 15×3.6×106
= 5.4× 107
प्रश्न 15 – जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर :- ऊर्जा संरक्षण के नियमानुसार ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। ऊर्जा संरक्षण का नियम प्रत्येक स्थिति तथा सभी प्रकार के रूपांतरणों में मान्य है। जैसे ही हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं, तब इस दिशा में यह स्थितिज से गतिज और गतिज से वायु के प्रभाव के कारण विरामवस्था में आ जाता है। इसमें ऊर्जा संरक्षण के नियम में कोई उल्लंघन नहीं होता।
प्रश्न 16 – M द्रव्यमान का एक पिंड एक नियत वेग v से गतिशील है। पिंड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाए?
उत्तर :- यदि वस्तु की गति को हम विराम अवस्था में लाते है उसके लिए
W= ½ m(v2-u2)
U= 0
W= 1/2mv2 यह स्पष्ट है कि किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन के बराबर है।
यदि u = 0 है तो किया गया कार्य ½mv2 होगा।
प्रश्न 17 – 1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
उत्तर :- कार का द्रव्यमान (m) = 1500 kg
वेग (v) = 60km/h
(60×1000/60×60 ) =60000/3600= 16.67m/s
कार को रोकने के लिए किया गया कार्य:-
W = कार की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
= ½mv2 – ½ m(0)2
= ½mv²
= ½ x 1500 x (50/3)2
= 208333.3 J
प्रश्न 18 – निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिंड पर एक बल f लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लंबे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।

उत्तर :- पहली स्थिति में लंब अर्थात 90° का कोण बनाने हेतु किया गया कार्य शून्य है।
दूसरी स्थिति में बल विस्थापन की दिशा में लग रहा है इसलिए किया गया कार्य धनात्मक है।
तीसरी स्थिति में बल विस्थापन के विपरीत दिशा में लग रहा है इसलिए किया गया कार्य ऋणात्मक है जैसा कि हम ये इस अध्याय में पढ़ रहे हैं।
प्रश्न 19 – सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर :- हां, सोनी के इस तथ्य से हम पूर्णत: सहमत है यदि किसी वस्तु पर कई बल लग रहे है फिर भी वह विरामव्स्था में है कोई गति नहीं कर रही है उन सभी बलो का कोई महत्व नहीं है अर्थात उनका त्वरण शून्य ही है।
प्रश्न 20 – चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 W है 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा जूल में परिकलित कीजिए।
उत्तर :- चारों युक्तियों की प्रत्येक शक्ति = 500W= 500×4=2000W
समय = 10 घंटे
व्यय की गई ऊर्जा= शक्ति× समय= 2000×10 = 20000wh
= 20kwh
प्रश्न 21 – मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंततः धरती तक पहुँचने पर रूक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर :- हम यह देखते हैं कि मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अपने पथ में किसी बिंदु पर होता है तब स्थितिज ऊर्जा में जितनी कमी होती है गतिज ऊर्जा में उतनी ही वृद्धि हो जाती है। (इसमें हमें समझाया गया है कि पिंड की गति पर वायु प्रतिरोध का प्रभाव नहीं पड़ता।) धीरे धीरे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा की गतिज ऊर्जा में निरंतर रूपांतरण होता है आखिर में यह परिवर्तन ऊषमा और ध्वनि में परिवर्तित हो जाता है।