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अध्याय-4: जलवायु

Table of Contents

अध्याय-4: जलवायु

जलवायु

अध्याय 4: जलवायु (Class 9th Social Science)
(Notes in Hindi, लगभग 1000 शब्द)


1. परिचय (Introduction)

जलवायु का अर्थ किसी स्थान के लंबे समय तक बने रहने वाले मौसमीय परिस्थितियों से है। जलवायु और मौसम में मुख्य अंतर यह है कि मौसम अल्पकालिक (कुछ घंटों या दिनों) की स्थिति है, जबकि जलवायु किसी क्षेत्र की दीर्घकालिक (30 वर्ष या अधिक) औसत मौसमीय दशा होती है।

भारत एक विशाल देश है, जहां जलवायु की विविधता पाई जाती है। यह विविधता भौगोलिक स्थिति, समुद्र तल से ऊंचाई, हवाओं, महासागरीय धाराओं और कई अन्य कारकों पर निर्भर करती है।


2. भारत की जलवायु का स्वरूप (Nature of Indian Climate)

भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु (Monsoon Climate) कहा जाता है। यह शब्द अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘ऋतु’। भारत में वर्ष के दौरान चार ऋतुएं होती हैं:

  1. गर्मियों का मौसम (गर्मी ऋतु): मार्च से जून
  2. वर्षा ऋतु: जून से सितंबर
  3. शरद ऋतु: अक्टूबर और नवंबर
  4. सर्दियों का मौसम (शीत ऋतु): दिसंबर से फरवरी

3. भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Climate of India)

भारत की जलवायु को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं:

i. अक्षांश (Latitude):

भारत उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। कर्क रेखा भारत के मध्य से होकर गुजरती है, जिससे भारत के उत्तरी भाग में समशीतोष्ण जलवायु तथा दक्षिणी भाग में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।

ii. समुद्र तल से ऊँचाई (Altitude):

समुद्र तल से ऊँचाई के कारण तापमान में परिवर्तन होता है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, तापमान घटता है। उदाहरण के लिए, हिमालय के ऊँचे भागों में तापमान बहुत कम रहता है, जबकि तटीय क्षेत्रों में तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है।

iii. समुद्र का प्रभाव (Distance from the Sea):

भारत के तटीय क्षेत्रों में समुद्र का प्रभाव अधिक रहता है, जिससे तापमान में अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होता। दूसरी ओर, आंतरिक क्षेत्रों में महाद्वीपीय प्रभाव के कारण गर्मियों में अधिक गर्मी और सर्दियों में अधिक ठंड होती है।

iv. पवनों की दिशा (Direction of Winds):

भारत में दो प्रकार की हवाएँ बहती हैं:

  • दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाएँ: ये हवाएँ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आती हैं, जिससे भारत में वर्षा होती है।
  • उत्तर-पूर्व मानसूनी हवाएँ: ये हवाएँ शीतकाल में भारत में आती हैं, लेकिन इनमें नमी कम होती है।

v. महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents):

महासागरीय धाराएँ समुद्री जल के तापमान को प्रभावित करती हैं, जिससे तटीय क्षेत्रों में जलवायु पर प्रभाव पड़ता है।

vi. पर्वत श्रंखलाएँ (Mountain Ranges):

हिमालय पर्वत भारत को ठंडी साइबेरियाई हवाओं से बचाता है और मानसूनी हवाओं को भारत के भीतर बरसने में मदद करता है।


4. ऋतुएँ (Seasons in India)

i. शीत ऋतु (Winter Season): दिसंबर से फरवरी

  • इस मौसम में सूर्य की किरणें भारत के उत्तरी भागों पर तिरछी पड़ती हैं।
  • तापमान गिरने के कारण ठंडक होती है।
  • उत्तर भारत में औसत तापमान 10-15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
  • इस दौरान उत्तर-पश्चिमी ठंडी हवाएँ बहती हैं।
  • कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे स्थानों पर बर्फबारी होती है।

ii. ग्रीष्म ऋतु (Summer Season): मार्च से जून

  • इस ऋतु में सूर्य की किरणें सीधे भारत के उत्तरी भागों पर पड़ती हैं।
  • तापमान बढ़कर 30-45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।
  • उत्तर भारत में लू (गर्म हवाएँ) चलती हैं।
  • दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में गर्मी कम होती है।

iii. वर्षा ऋतु (Rainy Season): जून से सितंबर

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून हवाएँ भारत में वर्षा लाती हैं।
  • भारत की लगभग 75% वर्षा इसी मौसम में होती है।
  • मानसून का प्रवेश केरल तट पर जून के पहले सप्ताह में होता है।
  • बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएँ पूर्वोत्तर भारत में वर्षा करती हैं।
  • राजस्थान और गुजरात जैसे कुछ भागों में कम वर्षा होती है।

iv. शरद ऋतु (Retreating Monsoon Season): अक्टूबर और नवंबर

  • मानसूनी हवाएँ धीरे-धीरे लौटने लगती हैं।
  • आकाश साफ होने लगता है और तापमान में गिरावट होती है।
  • इस समय तमिलनाडु तट पर वर्षा होती है, क्योंकि उत्तर-पूर्वी मानसूनी हवाएँ बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आती हैं।

5. मानसून का महत्व (Importance of Monsoon)

भारत में मानसून का अत्यधिक महत्व है।

  1. कृषि: भारत में 60% से अधिक खेती वर्षा पर निर्भर है। मानसून अच्छी होने पर कृषि उत्पादन बढ़ता है।
  2. जल संसाधन: मानसून के कारण नदियाँ, झीलें और जलाशय भर जाते हैं।
  3. पेयजल: वर्षा से भूजल स्तर में वृद्धि होती है, जिससे लोगों को पीने का पानी मिलता है।
  4. विद्युत उत्पादन: मानसून के पानी से हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
  5. वनस्पति और जीव-जंतु: मानसून के कारण प्राकृतिक वनस्पति और जीव-जंतु का विकास होता है।

6. भारत में वर्षा का वितरण (Distribution of Rainfall in India)

भारत में वर्षा का वितरण असमान है।

  • अधिक वर्षा वाले क्षेत्र: पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर भारत (मेघालय में चेरापूंजी और मासिनराम सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान हैं)।
  • कम वर्षा वाले क्षेत्र: राजस्थान का थार मरुस्थल, गुजरात और लद्दाख।
  • मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र: उत्तरी मैदान, मध्य भारत।

7. जलवायु परिवर्तन (Climate Change)

जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है, जिसमें तापमान में वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग), वर्षा के पैटर्न में बदलाव और प्राकृतिक आपदाएँ शामिल हैं। इसका मुख्य कारण मानव गतिविधियाँ हैं, जैसे कि:

  • वनों की कटाई
  • जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक उपयोग
  • औद्योगिकीकरण

8. निष्कर्ष (Conclusion)

भारत की जलवायु विविध और जटिल है। मानसून भारतीय जीवन का आधार है। कृषि, जल संसाधन, ऊर्जा उत्पादन और वनस्पति का विकास मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करता है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की ओर बढ़ना होगा।


प्रमुख बिंदु:

  1. भारत की जलवायु – मानसूनी प्रकार
  2. जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
  3. भारत की चार ऋतुएँ
  4. मानसून का महत्व
  5. वर्षा का असमान वितरण
  6. जलवायु परिवर्तन

Importent Q/A of Chapter

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चूने।

(i) नीचे दिए गए स्थानों में किस स्थान पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है?

(क) सिलचर (ख) चेरापूंजी (ग) मासिनराम (घ) गुवाहाटी

उत्तर – मासिनराम

(ii) ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी मैदानों में देश में बहने वाली पवन को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है?

(क) काल वैशाखी, (ख) व्यापारिक पवनें, (ग) लू, (घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर – लू

(iii) निम्नलिखित में से कौन – सा कारण भारत के उत्तर – पश्चिम भाग में शीत ऋतु में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी है

(क) चक्रवर्ती अवदाब (ख) पश्चिमी विक्षोभ (ग) मानसून की वापसी (घ) दक्षिण – पश्चिम मानसून

उत्तर – पश्चिमी विक्षोभ

(iv) भारत में मानसून का आगमन निम्नलिखित में से कब होता है –

(क) मई के प्रारंभ में (ख) जून के प्रारंभ में (ग) जुलाई के प्रारंभ में (घ) अगस्त के प्रारंभ में

उत्तर – जून के प्रारंभ में

(v) निम्नलिखित में से कौन – सी भारत में शीत ऋतु की विशेषता है?

(क) गर्म दिन एवं गर्म रातें (ख) गर्म दिन एवं ठंडी रातें (ग) ठंडा दिन एवं ठंडी रातें (घ) ठंडा दिन एवं गर्म रातें

उत्तर – गर्म दिन एवं ठंडी रातें

2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन- कौन से कारक हैं?

उत्तर – भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक है –

अक्षांश, ऊंचाई, वायुदाब एवं पवने।

(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है?

उत्तर – भारत की जलवायु मानसूनी पवनों से बहुत अधिक प्रभावित है। ऐतिहासिक काल में भारत आने वाले नाविकों ने सबसे पहले मानसून पर इस घटना पर ध्यान दिया था। पवन तंत्र की दिशा उलट जाने के कारण उन्हें लाभ हुआ। उनके जहाज पवन के प्रभाव की दिशा पर निर्भर थे।

 मानसून की प्रक्रिया को समझने के लिए निम्नलिखित तत्व महत्वपूर्ण हैं –

  1. स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की विभेदी प्रक्रिया के कारण भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है, जबकि इसके आस-पास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है।
  2. ग्रीष्म ऋतु के दिनों में अत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है ( यह विषुवतीय गर्त है, जो प्राय: विशुवत वृत से 5° उत्तर में स्थित होता है। इसे मानसून ऋतु में मानसून गर्त के नाम से भी जाना जाता है।
  3. हिंद महासागर में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 20°दक्षिण आकांक्षा के ऊपर उच्च दाब वाला क्षेत्र होता है। इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय मानसून को प्रभावित करती है।
  4. ग्रीष्म ऋतु में, तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पठार के ऊपर समुद्र तल से लगभग 9 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीव्र ऊध्वर्द्धर वायु धाराओं एवं उच्च दाब का निर्माण होता है।
  5. ग्रीष्म ऋतु में हिमालय के उत्तर – पश्चिमी जेट धाराओं का तथा भारतीय प्रदीप के ऊपर उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है।

इसके अतिरिक्त, दक्षिणी महासागरों के ऊपर दाब की अवस्थाओं में परिवर्तन भी मानसून को प्रभावित करता है।

(iii) भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों?

उत्तर – भारत के मरुस्थल (राजस्थान) के भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है, क्योंकि यहां रेत अपने आप गर्म हो जाता जिससे तापमान और अधिक बढ़ जाता है।

(iv) किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है?

उत्तर – दक्षिण-पश्चिम पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है।

(v) जेट धाराएं क्या हैं तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती हैं?

उत्तर – जेट धाराएं लगभग 27° से 30° उत्तर आकांक्षाओं के बीच स्थित होती है, इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएं कहा जाता है। भारत में, ये जेट धाराएं ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में प्रभावित होती हैं। इस पश्चिमी प्रभाव के द्वारा देश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भाग में पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ आते हैं। गर्मियों में, सूर्य की आभासी गति के साथी उपोषण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धारा हिमालय के उत्तर में चली जाती है। एक पूर्वी जेट धारा जिसे उपोष्ण कटिबंधीय पूर्वी धारा कहा जाता है, गर्मी के महीनों में प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर लगभग 14° उत्तरी आकांक्षा में प्रभावित होती है।

(vi) मानसून को परिभाषित करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – मानसून शब्द की व्युत्पत्ति अरबी शब्द ‘ मौसिम’ से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- मौसम।

मानसून का अर्थ, एक वर्ष के दौरान वायु की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन है।

मानसून से संबंधित एक अन्य परिघटना है, ‘वर्षा में विराम’। इस प्रकार, इसमें आर्द्र एवं शुष्क दोनों तरह के अंतराल होते हैं। दूसरे शब्दों में, मानसूनी वर्षा एक समय में कुछ दिनों तक ही होती है। इनमें वर्षा रहित अंतराल भी होते हैं। मानसून में आने वाले ये विराम मानसूनी गर्त की गति से संबंधित होते हैं। विभिन्न कारणों से गर्त एवं इसका अक्ष उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता रहता है, जिसके कारण वर्षा का स्थानिक वितरण सुनिश्चित होता है।

(vii) मानसून को एक सूत्र में बांधने वाला क्यों समझा जाता है?

उत्तर – मानसूनी पवने की वजह से कृषि को जल प्राप्त होता है।

भारत जैसे देश में सभी मानसून का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

मानसून अपने साथ बहुत सारे त्यौहार लेकर आता है।

इसलिए मानसून को एक सूत्र में बांधने वाला कहा जाता है।

3. उत्तर – भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा क्यों घटती जाती है?

उत्तर – मानसून भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर से प्रवेश करता है। इसके बाद यह दो भागों में बढ़ जाता है – अरब सागर शाखा एवं बंगाल की खाड़ी शाखा। अरब सागर शाखा लगभग दस दिन बाद, 10 जून के आस – पास मुंबई पहुंचती है यह एक तीव्र प्रगति है। बंगाल की खाड़ी शाखा भी तीव्रता से आगे की ओर बढ़ती है तथा जून के प्रथम सप्ताह में असम पहुंच जाती है। ऊंचे पर्वतों के कारण मानसून पवने पश्चिम में गंगा के मैदान की ओर मुड़ जाती है।

शाखा एवं बंगाल की खाड़ी शाखा दोनों गंगा के मैदान के उत्तर पश्चिम भाग में आपस में मिल जाती हैं। जैसे-जैसे ये पवनों पश्चिम की तरफ जाती है वैसे वैसे ही इन पवनों कि अर्द्ता कम होती जाती है। इसलिए उत्तर भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।

4. कारण बताएं।

(i) भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन क्यों होता है।

उत्तर – भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन इसलिए होता है क्योंकि हिमालय के उत्तर में उच्च दाब होता है, इस क्षेत्र में ठंडी हवाएं शुष्क दक्षिण में निम्न दाब वाले क्षेत्र के ऊपर बहती हैं इसके कारण गर्मी के दिनों में वायु की दिशा पूरी तरह से परिवर्तित हो जाती है।

(ii) भारत में अधिकतम वर्षा कुछ ही महीनों में होती है।

उत्तर – देश के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है, लेकिन कुछ क्षेत्र में जैसे तमिलनाडु तट पर सबसे अधिक वर्षा अक्टूबर और नवंबर के महीने में होती है।

(iii) तमिलनाडु तट पर शीत ऋतु में वर्षा होती है।

उत्तर – इस ऋतु में, देश में उत्तर – पूर्वी व्यापारिक पवने प्रवाहित होती हैं। ये स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं तथा इसलिए देश के अधिकतर भाग में शुष्क मौसम होता है। इन पवनों के कारण कुछ मात्रा में वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है, क्योंकि वहां ये पवने समुद्र से स्थल की ओर बहती हैं।

(iv) पूर्वी तट की डेल्टा वाले क्षेत्र में प्राय: चक्रवाद आते हैं?

उत्तर – नवंबर के प्रारंभ में, उत्तर-पश्चिम भारत के ऊपर निम्न दाब वाली अवस्था बंगाल की खाड़ी पर स्थानांतरित हो जाती है। यह स्थानांतरण चक्रवर्ती निम्न दाब से संबंधित होता है, जो कि अंडमान सागर के ऊपर उत्पन्न होता है। ये चक्रवात सामान्यत: भारत के पूर्वी तट को पार करते हैं, जिनके कारण व्यापक एवं भारी वर्षा होती है। ये उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्राय: विनाशकारी होते हैं। गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के संघन आबादी वाले डेल्टा प्रदेशों में अक्सर चक्रवाद आते हैं, जिसके कारण बड़े पैमाने पर जान एवं माल की हानि होती है। कभी-कभी यह चक्रवात उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं बांग्लादेश के तटीय क्षेत्र में भी पहुंच जाते हैं।

(v) राजस्थान, गुजरात के कुछ भाग तथा पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र है।

उत्तर – राजस्थान, गुजरात के कुछ भाग तथा पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया क्षेत्र सबसे अधिक सूखा से प्रभावित क्षेत्र माना जाता है। क्योंकि मानसूनी पवने जब तक इन क्षेत्रों में पहुंचती हैं तब तक इनकी आर्द्रता समाप्त हो गई होती है। ये पवनविमुख ढाल पर स्थित है इसलिए यहां वर्षा बहुत कम होती है।

5. भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को उदाहरण सहित समझाएं।

उत्तर – मानसूनी जलवायु की विशेषता एक विशिष्ट मौसमी प्रतिरूप होता है। एक ऋतु से दूसरे ऋतु में मौसम की अवस्थाओं में बहुत अधिक परिवर्तन होता है। विशेषकर देश के आंतरिक भागों में, ये परिवर्तन अधिक मात्रा में परिलक्षित होते हैं। तटीय क्षेत्रों के तापमान में बहुत अधिक भिन्नता नहीं होती है, यद्यपि यहां वर्षा के प्रारूप में भिन्नताएं होती हैं। शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है। भारत के उत्तरी भाग में दिसंबर एवम जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं। ग्रीष्म ऋतु मार्च से मई तक भारत में ग्रीष्म ऋतु होती है। वर्षा ऋतु जून के प्रारंभ में उत्तरी मैदानों में निम्न दाब की अवस्था तीव्र हो जाती है। भारत में उत्तर – पूर्वी व्यापारिक पवने प्रवाहित होती है, इसके कारण वर्षा तमिलनाडु के तट पर होती है।

6. मानसून अभिक्रिया की व्याख्या करें।

उत्तर – स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की विभेदी प्रक्रिया के कारण भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है, जबकि इसके आस – पास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है। ग्रीष्म ऋतु के दिनों में अत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है ( यह विषुवतीय गर्त है, जो प्राय: विशुवत वृत से 5° उत्तर में स्थित होता है। इसे मानसून  ऋतु में मानसून गर्त के नाम से भी जाना जाता है।)

हिंद महासागर में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 20°दक्षिण आकांक्षा के ऊपर उच्च दाब वाला क्षेत्र होता है। इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय मानसून को प्रभावित करती है।ग्रीष्म ऋतु में, तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप पठार के ऊपर समुद्र तल से लगभग 9 किलोमीटर की ऊंचाई पर तीव्र  ऊध्वर्द्धर वायु धाराओं एवं उच्च दाब का निर्माण होता है।

ग्रीष्म ऋतु में हिमालय के उत्तर – पश्चिमी जेट धाराओं का तथा भारतीय प्रदीप के ऊपर उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है।

7. शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषताएं बताएं।

उत्तर – उत्तरी भारत में शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है।

2) भारत के उत्तरी भाग में दिसंबर से जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं।

3) तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है।

4) इस ऋतु में देश में उत्तर पूर्वी व्यापारिक प्रवाहित होती हैं।

5) शीत ऋतु में दिन गर्म और रातें ठंडी होती है।

8. भारत में होने वाले मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएं बताएं।

उत्तर – 1. मानसून अनिश्चित होता है।

2. भारत के विभिन्न भागों में होने वाली वर्षा में भिन्नता पाया जाता है।

3. भारत के हर क्षेत्र में मानसून अलग-अलग होता है।

4. मानसून और ग्रीष्म के मानसून के समय में अंतर होता है।

5. मानसून की वजह से भारत में हमेशा ही कभी बाढ़ तो, कभी सूखा, जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

 

अध्याय-5: प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

 

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