NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi
जीव जनन (Reproduction in Organisms) जीवों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए जनन (Reproduction) एक आवश्यक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया जीवों को न केवल अपने अस्तित्व को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि यह नए जीवन का निर्माण भी करती है। जीवों का जनन दो प्रकार से होता है: लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) और अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)।
1. अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
अलैंगिक जनन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एकल कोशिका या एकल जीव से नए जीव का निर्माण होता है, और इसमें केवल एक ही जनक की आवश्यकता होती है। इसमें लिंग नहीं होता और कोई भी युग्मज (Gametes) का आदान-प्रदान नहीं होता है। इस प्रकार के जनन में, जीव की विशेषताएँ उसी प्रकार से नए जीवों में प्रकट होती हैं।
अलैंगिक जनन के विभिन्न प्रकार हैं:
1.1 विभाजन (Fission)
यह प्रक्रिया मुख्यतः सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया और अमीबा में होती है। इस प्रक्रिया में एक कोशिका दो या अधिक समान भागों में विभाजित होकर नए जीवों का निर्माण करती है।
- दो भागों में विभाजन (Binary Fission): यह सबसे सामान्य प्रकार है, जो अमीबा और बैक्टीरिया में होता है। इस प्रक्रिया में एक जीव की कोशिका दो समान भागों में विभाजित होती है। उदाहरण: अमीबा, बैक्टीरिया।
- कई भागों में विभाजन (Multiple Fission): कुछ प्रजातियाँ जैसे प्लासमोडियम (मालरिया के कीटाणु) में यह प्रक्रिया होती है, जिसमें एक कोशिका कई भागों में विभाजित होती है।
1.2 कलांकन (Budding)
इस प्रक्रिया में जीव का एक छोटा सा भाग मुख्य शरीर से बाहर निकलता है और धीरे-धीरे नया जीव बनता है। यह प्रक्रिया कुछ जंतुओं में होती है, जैसे हाइड्रा और स्पन्ज।
- उदाहरण: हाइड्रा में मुख्य शरीर से एक छोटी सी बड (Bud) निकलती है, जो समय के साथ विकसित होकर एक नया हाइड्रा बन जाती है।
1.3 स्पोरोजनन (Sporulation)
यह प्रक्रिया फंगस, लाइचेन और कुछ पौधों में होती है। इसमें जीव सूक्ष्म बीजाणुओं (spores) का निर्माण करते हैं, जो विभिन्न परिस्थितियों में अंकुरित होकर नए जीवों का निर्माण करते हैं।
- उदाहरण: राइजोम, मोल्ड।
1.4 फ्रैग्मेंटेशन (Fragmentation)
यह प्रक्रिया कुछ शैवाल और जंतुओं में होती है। इसमें पूरा शरीर टूटकर कई हिस्सों में बंट जाता है, और प्रत्येक हिस्सा नए जीव में परिवर्तित हो जाता है।
- उदाहरण: रेजोरा (एक प्रकार की शैवाल), प्लाटीहेलमिन्थेस।
2. लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)
लैंगिक जनन एक प्रकार का जनन है जिसमें दो विभिन्न लिंगों के जीव (पुरुष और महिला) द्वारा युग्मजों (Gametes) का मिलन होता है। इसमें दो जीन की सूचनाओं का मिश्रण होता है, जिससे संतान में विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार के जनन में पुरुष और महिला दोनों के युग्मज का योगदान होता है।
2.1 लैंगिक जनन की प्रक्रिया
लैंगिक जनन की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:
- युग्मजों का निर्माण: पुरुष और महिला दोनों में विशेष कोशिकाएँ होती हैं, जिन्हें युग्मज (Gametes) कहा जाता है। पुरुष का युग्मज शुक्राणु (Sperm) और महिला का युग्मज अंडाणु (Egg) कहलाता है। इन दोनों का निर्माण विशेष अंगों (पुरुष में अंडकोष और महिला में अंडाशय) में होता है।
- युग्मन: जब पुरुष का शुक्राणु महिला के अंडाणु से मिलता है, तो इसे युग्मन (Fertilization) कहा जाता है। युग्मन आमतौर पर महिला के अंडाशय या अंडवाहिका (Oviduct) में होता है। इस प्रक्रिया में दोनों युग्मजों के गुणसूत्र मिलकर एक नई कोशिका, जिसे युग्मज (Zygote) कहा जाता है, का निर्माण करते हैं।
- विकास: युग्मज के बनने के बाद, यह विभाजित होकर भ्रूण (Embryo) में परिवर्तित हो जाता है। भ्रूण धीरे-धीरे विकसित होकर नया जीव बनता है।
- प्रजनन अंगों का कार्य:
- पुरुष के प्रजनन अंग: अंडकोष, शुक्रवाहिका, लिंग (Penis)।
- महिला के प्रजनन अंग: अंडाशय, अंडवाहिका, गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina)।
2.2 लैंगिक जनन के प्रकार
लैंगिक जनन के कई प्रकार होते हैं, जो जीवों की विविधता के आधार पर बदलते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
2.2.1 अंतर्गर्भाशयी जनन (Internal Fertilization)
इस प्रकार के जनन में युग्मन शरीर के अंदर (गर्भाशय में) होता है। इसमें आमतौर पर शरीर से बाहर निषेचन नहीं होता है। यह प्रक्रिया अधिकतर स्थलीय जानवरों (जैसे मनुष्य, कुत्ता, गाय) में होती है।
- उदाहरण: मनुष्य, कुत्ता, घोड़ा।
2.2.2 बाह्य गर्भाधान (External Fertilization)
इस प्रकार के जनन में युग्मन शरीर के बाहर (जल में) होता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर जलीय जीवों जैसे मछली और उभयचर में होती है।
- उदाहरण: मछलियाँ, मेंढक।
2.3 लैंगिक जनन के लाभ
- इस प्रक्रिया से उत्पन्न संतान में जैविक विविधता होती है, जिससे नए वातावरण में जीवों के जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
- यह प्रक्रिया आनुवंशिक गुणसूत्रों के आदान-प्रदान के कारण जीवों के गुणसूत्रों में परिवर्तन लाती है, जो संतान में नए गुणों का विकास करता है।
3. निष्कर्ष (Conclusion)
जीव जनन प्रकृति के जीवन को बनाए रखने और विकास के लिए अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया है। यह न केवल जीवों के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है, बल्कि यह जैविक विविधता और विकास के लिए भी जिम्मेदार है। अलैंगिक और लैंगिक दोनों प्रकार के जनन में विशेषताएँ होती हैं, जो जीवों की अनुकूलता और स्थिति के अनुसार बदलती रहती हैं। जनन का अध्ययन जीवविज्ञान के प्रमुख भागों में से एक है, जो जीवन के सभी पहलुओं को समझने में सहायक होता है।
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