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जैव प्रक्रम (Biological Processes) – कक्षा 10वीं विज्ञान
परिभाषा
जैव प्रक्रम वह प्रक्रियाएं हैं जो जीवों में घटित होती हैं और जीवन के लिए आवश्यक कार्यों को संपन्न करती हैं। इन प्रक्रियाओं में ऊर्जा का उत्पादन, पोषक तत्वों का पाचन, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन और कोशिका विभाजन जैसी गतिविधियां शामिल हैं। जैव प्रक्रमों का मुख्य उद्देश्य जीवों के शरीर में संतुलन बनाए रखना और जीवित रहने के लिए आवश्यक कार्यों को पूरा करना है।
प्रमुख जैव प्रक्रम
कक्षा 10वीं विज्ञान में मुख्यतः जैव प्रक्रमों में पौधों और जानवरों के शरीर में होने वाली प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इनमें प्रमुख जैव प्रक्रम निम्नलिखित हैं:
1. श्वसन (Respiration)
श्वसन एक जैविक प्रक्रम है, जिसके द्वारा जीवों के शरीर में ऑक्सीजन का उपयोग कर कार्बोहाइड्रेट्स (मुख्यतः ग्लूकोज) का विघटन होता है और ऊर्जा प्राप्त होती है। श्वसन का उद्देश्य कोशिकाओं में ऊर्जा का उत्पादन करना है, जो विभिन्न शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है। श्वसन दो प्रकार का होता है:
- एरोबिक श्वसन (Aerobic Respiration): इसमें ऑक्सीजन की उपस्थिति में श्वसन होता है और ऊर्जा के रूप में ATP (Adenosine Triphosphate) का निर्माण होता है।
- रासायनिक समीकरण:
ग्लूकोज+ऑक्सीजन⟶कार्बन डाइऑक्साइड+पानी+ऊर्जा (ATP)\text{ग्लूकोज} + \text{ऑक्सीजन} \longrightarrow \text{कार्बन डाइऑक्साइड} + \text{पानी} + \text{ऊर्जा (ATP)}ग्लूकोज+ऑक्सीजन⟶कार्बन डाइऑक्साइड+पानी+ऊर्जा (ATP)
- रासायनिक समीकरण:
- एनएरोबिक श्वसन (Anaerobic Respiration): इसमें ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में श्वसन होता है। यह प्रक्रिया कम ऊर्जा उत्पन्न करती है और कुछ अवांछनीय अपशिष्ट जैसे लैक्टिक ऐसिड या अल्कोहल उत्पन्न होते हैं।
2. प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis)
प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पौधे सूर्य के प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का उपयोग करके अपने भोजन (ग्लूकोज) का निर्माण करते हैं। यह प्रक्रिया पौधों के हरे रंग के पत्तों में स्थित क्लोरोफिल के द्वारा होती है। प्रकाश संश्लेषण से उत्पन्न ग्लूकोज का उपयोग पौधे अपनी वृद्धि और विकास के लिए करते हैं।
- रासायनिक समीकरण:
कार्बन डाइऑक्साइड+पानी+सूर्य की रोशनी⟶ग्लूकोज+ऑक्सीजन\text{कार्बन डाइऑक्साइड} + \text{पानी} + \text{सूर्य की रोशनी} \longrightarrow \text{ग्लूकोज} + \text{ऑक्सीजन}कार्बन डाइऑक्साइड+पानी+सूर्य की रोशनी⟶ग्लूकोज+ऑक्सीजन
यह प्रक्रिया दिन के समय होती है और पौधों के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
3. पाचन क्रिया (Digestion)
पाचन क्रिया वह जैविक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा जीवों के शरीर में भोजन को छोटे-छोटे अंशों में तोड़ा जाता है ताकि वह शरीर द्वारा अवशोषित किया जा सके। यह प्रक्रिया शरीर के विभिन्न अंगों में घटित होती है। मनुष्यों में पाचन क्रिया के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:
- मुख से भोजन का सेवन: यहां भोजन का कणों में टूटना शुरू होता है।
- अन्ननलिका (Esophagus): भोजन को यह मार्ग पेट तक पहुँचाता है।
- पेट में पाचन: पेट के एसिड और एंजाइम भोजन को तोड़ते हैं।
- आंतों में अवशोषण: छोटी आंत में पाचन के बाद पोषक तत्वों का अवशोषण होता है।
इस प्रक्रिया के द्वारा शरीर में आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, और खनिज अवशोषित होते हैं।
4. निष्कासन क्रिया (Excretion)
निष्कासन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर से अवांछनीय पदार्थ (जैसे अपशिष्ट पदार्थ) बाहर निकाल दिए जाते हैं। मनुष्य में यह प्रक्रिया मुख्य रूप से गुर्दों (Kidneys) के माध्यम से होती है, जो रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छानकर मूत्र (Urine) के रूप में निष्कासित करते हैं। इसके अतिरिक्त, श्वसन और पसीने के माध्यम से भी अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन होता है।
- रासायनिक समीकरण:
वायु में CO2+पानी⟶पसीने के द्वारा पानी का निष्कासन\text{वायु में CO}_2 + \text{पानी} \longrightarrow \text{पसीने के द्वारा पानी का निष्कासन}वायु में CO2+पानी⟶पसीने के द्वारा पानी का निष्कासन
5. कोशिका विभाजन (Cell Division)
कोशिका विभाजन वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक कोशिका दो नई कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है। यह प्रक्रिया जीवों की वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। कोशिका विभाजन के दो प्रमुख प्रकार हैं:
- माइटोसिस (Mitosis): यह सामान्य कोशिका विभाजन है, जिसमें एक कोशिका दो समान कोशिकाओं में विभाजित होती है। यह प्रक्रिया शरीर के सामान्य विकास और मरम्मत में होती है।
- मीओसिस (Meiosis): यह विशेष प्रकार का विभाजन है, जो जननांगों में नए युग्मज (गैमेट्स) का निर्माण करता है, जैसे शुक्राणु और अंडाणु।
6. जैविक संतुलन (Biological Balance)
जैविक संतुलन वह स्थिति है जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीवों और उनके वातावरण के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध होते हैं। यह संतुलन विभिन्न जैविक प्रक्रमों द्वारा बनाए रखा जाता है, जैसे श्वसन, प्रकाश संश्लेषण, पाचन, और निष्कासन। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जिससे प्राकृतिक आपदाएं, प्रदूषण और जैव विविधता का नुकसान हो सकता है।
निष्कर्ष
जैव प्रक्रम जीवों के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इन प्रक्रियाओं के द्वारा जीवों के शरीर में आवश्यक ऊर्जा का निर्माण, पोषक तत्वों का अवशोषण, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन और जीवन के लिए आवश्यक संतुलन बनाए रखा जाता है। जैव प्रक्रमों का अध्ययन न केवल जीवविज्ञान की समझ को बढ़ाता है, बल्कि यह हमारे जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।
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