नियंत्रण एवं समन्वय NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi
नियंत्रण एवं समन्वय (Class 10th Science)
नियंत्रण एवं समन्वय जीवों के शरीर में दो प्रमुख कार्यों का संयोजन है: शरीर में विभिन्न अंगों के बीच सूचना का आदान-प्रदान और शरीर के भीतर विभिन्न गतिविधियों का समन्वय करना। ये दोनों प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और शरीर के विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रित करती हैं। नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य प्रमुख रूप से तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र (हॉर्मोनल तंत्र) द्वारा किया जाता है।
1. नियंत्रण (Control)
नियंत्रण का अर्थ है शरीर की गतिविधियों को एक निश्चित दिशा में चलाने के लिए उन्हें नियंत्रित करना। यह प्रक्रिया तंत्रिका तंत्र (Nervous System) और अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System) द्वारा की जाती है। तंत्रिका तंत्र तात्कालिक प्रतिक्रिया प्रदान करता है, जबकि अंतःस्रावी तंत्र धीरे-धीरे कार्य करता है और लंबे समय तक प्रभाव डालता है।
तंत्रिका तंत्र (Nervous System)
तंत्रिका तंत्र शरीर में सूचना संचार का प्रमुख साधन है। यह तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों और मस्तिष्क के बीच सूचना का आदान-प्रदान करता है। तंत्रिका तंत्र मुख्य रूप से तीन अंगों से बना होता है:
- मस्तिष्क (Brain): यह शरीर का केंद्रीय नियंत्रण अंग है, जो सभी शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
- रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord): यह मस्तिष्क और शरीर के विभिन्न अंगों के बीच सूचना का आदान-प्रदान करता है।
- तंत्रिकाएँ (Nerves): ये तंत्रिका कोशिकाओं के समूह होते हैं, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में जानकारी भेजने और प्राप्त करने का कार्य करते हैं।
तंत्रिका तंत्र द्वारा कार्यों का नियंत्रण बहुत तेजी से होता है, जैसे कि जब हमें कोई वस्तु गर्म लगती है, तो हम तात्कालिक प्रतिक्रिया के रूप में उस वस्तु को छोड़ देते हैं।
अंतःस्रावी तंत्र (Endocrine System)
अंतःस्रावी तंत्र शरीर में हार्मोन (Hormones) का स्राव करता है। ये हार्मोन रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में भेजे जाते हैं, जो शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। इस तंत्र में विभिन्न ग्रंथियाँ शामिल होती हैं, जैसे:
- पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland): इसे ‘गुरु ग्रंथि’ भी कहा जाता है, जो अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों को नियंत्रित करती है।
- थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid Gland): यह शरीर की मेटाबोलिक दर को नियंत्रित करती है।
- एड्रिनल ग्रंथि (Adrenal Gland): यह शारीरिक तनाव की स्थिति में हार्मोन स्रावित करती है।
- पैन्क्रियास (Pancreas): यह इंसुलिन और ग्लूकागोन हार्मोन का स्राव करता है, जो रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं।
ये हार्मोन शरीर की शारीरिक गतिविधियों में धीमी और लंबी प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं, जैसे विकास, प्रजनन और तनाव प्रतिक्रिया।
2. समन्वय (Coordination)
समन्वय का अर्थ है शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों के बीच सामंजस्यपूर्ण कार्य। यह आवश्यक है क्योंकि सभी शारीरिक गतिविधियाँ एक दूसरे से जुड़ी होती हैं और बिना समन्वय के कोई भी गतिविधि सही तरीके से नहीं हो सकती। समन्वय के लिए तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र मिलकर काम करते हैं। तंत्रिका तंत्र त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करता है, जबकि अंतःस्रावी तंत्र धीमी और स्थायी प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
तंत्रिका समन्वय (Nervous Coordination)
तंत्रिका तंत्र का मुख्य कार्य शरीर के विभिन्न अंगों के बीच त्वरित सूचना का आदान-प्रदान करना है। यह क्रियाएं जैसे कि अंगों की गति, अंगों का कार्य, और अन्य प्रतिक्रियाएँ नियंत्रित करता है। तंत्रिका कोशिकाएँ (न्यूरॉन) यह सूचना भेजने और प्राप्त करने का कार्य करती हैं। न्यूरॉन के पास एक कोशिका शरीर, डेंड्राइट्स, और एक न्युक्लियस होता है। इनका कार्य विद्युत सिग्नल्स को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना है।
हॉर्मोनल समन्वय (Hormonal Coordination)
हॉर्मोनल समन्वय शरीर के भीतर दीर्घकालिक नियंत्रण की प्रक्रिया है, जो शरीर के विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रित करता है। जैसे, शारीरिक वृद्धि, विकास, प्रजनन, और तनाव प्रतिक्रिया आदि। अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हार्मोन स्रावित करती हैं, जो रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में जाते हैं। यह हॉर्मोनल समन्वय धीरे-धीरे काम करता है, लेकिन इसका प्रभाव दीर्घकालिक होता है।
3. नियंत्रण एवं समन्वय के उदाहरण
- प्रतिक्रिया (Reflex Action): यह एक त्वरित और स्वतः क्रिया होती है, जो तंत्रिका तंत्र के माध्यम से होती है। उदाहरण के लिए, जब हाथ को गर्मी महसूस होती है, तो हम उसे तुरंत हटा लेते हैं।
- हार्मोन का प्रभाव: उदाहरण के लिए, एडल्ट जीवन में इंसुलिन का स्राव रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है, जबकि थायरॉइड हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करता है।
- सांसों की गति: जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है, तो तंत्रिका तंत्र द्वारा यह संदेश फेफड़ों तक पहुँचता है, और यह श्वसन दर को बढ़ा देता है।
4. नियंत्रण एवं समन्वय का महत्व
नियंत्रण और समन्वय की प्रक्रियाएँ शरीर में ऊर्जा की खपत को कम करती हैं, अंगों के कार्यों को सुचारू रूप से चलाती हैं और शरीर को बाहरी पर्यावरण के साथ अनुकूल बनाए रखती हैं। ये प्रक्रियाएँ हमें बाहरी और आंतरिक परिस्थितियों के अनुसार तुरंत प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रदान करती हैं, जिससे हम बेहतर तरीके से कार्य कर सकते हैं।
निष्कर्ष
नियंत्रण और समन्वय शरीर की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में से एक हैं। ये हमें शरीर के विभिन्न अंगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और शारीरिक गतिविधियों को उचित तरीके से संचालित करने में मदद करते हैं। तंत्रिका तंत्र और अंतःस्रावी तंत्र मिलकर शरीर के सभी अंगों के कार्यों को नियंत्रित करते हैं और शरीर में सही समय पर सही प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं।
NCERT Solutions
https://readspot.in/ch6/