- परीक्षण मापन और मूल्यांकन
- FAQs on परीक्षण मापन और मूल्यांकनसे संबंधित
- 1. परीक्षण, मापन और मूल्यांकन में क्या अंतर है?
- 2. परीक्षण के प्रकार कौन-कौन से हैं?
- 3. मूल्यांकन के उद्देश्य क्या हैं?
- 4. अच्छे परीक्षण की विशेषताएं क्या होनी चाहिए?
- 5. मापन के कौन-कौन से स्तर होते हैं?
- 6. मूल्यांकन कितने प्रकार के होते हैं?
- 7. परीक्षण और मापन का शिक्षण प्रक्रिया में क्या महत्व है?
- 8. मूल्यांकन प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
- 9. मापन की वैधता और विश्वसनीयता में क्या अंतर है?
- 10. नैदानिक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation) का उपयोग कब और क्यों किया जाता है?
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परीक्षण मापन और मूल्यांकन
परीक्षण मापन और मूल्यांकन:
परीक्षण मापन और मूल्यांकन, परीक्षण एक ऐसा यंत्र है जो एक व्यक्ति अथवा खिलाड़ी के गुण (attribute), दक्षता, ज्ञान, प्रवृत्ति, अथवा स्वस्थता की स्थिति का सटीक अनुमान लगाने के लिए प्रयुक्त प्रश्न या मापन प्रविधि है।
“परीक्षण एक ऐसा यंत्र है जो एक व्यक्ति या खिलाड़ी के कौशल प्रदर्शन अथवा किए गये कार्य की विश्वसनीयता का मूल्यांकन करने का साधन है”।
मापन:-
परीक्षण द्वारा किसी खिलाड़ी के प्रदर्शन को आँकड़ों में एकत्रित करने की प्रक्रिया मापन कहलाती है।
परीक्षणों के प्रशासन और उनकी स्कोरिंग से प्राप्तांकों को मापन कहते है।
मूल्यांकन:-
परीक्षणों द्वारा संकलित मापनों के मूल्य को सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को मूल्यांकन कहते हैं।
किसी वैज्ञानिक यंत्र (परीक्षण) के प्रयोग द्वारा प्राप्त मापन की रीडिंग को मापदंडों से तुलना करने की क्रिया मूल्यांकन कहलाती है।
खेल -कूद में परीक्षण, मानप, और मूल्यांकन का महत्त्व:-
- खिलाड़ी के चयन में सहायक।
- लक्ष्य एवं उद्देश्य निर्धारित करने में सहायक।
- खिलाड़ियों का मूल्यांकन करने में सहायक।
- शिक्षा – प्रणाली का मूल्यांकन करने में सहायक।
- खिलाड़ियों की योग्यताओं और क्षमताओं की जानकारी प्राप्त करने में सहायक।
- मापदंड और मानक तैयार करने में सहायक।
- अनुसंधान कार्यप्रणाली में सहायक खिलाड़ी के व्यक्तिगत खेल के वर्गीकरण में सहायक।
- खिलाड़ी के प्रदर्शन संभावना के बारे में पहले से घोषणा करने में सहायक।
- खिलाड़ी की आवश्यकताओं की जानकारी प्राप्त करने में सहायक।
बॉडी मास इंडेक्स:-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
बॉडी मास इंडेक्स एक सांख्यकीय मापन है जो व्यक्ति के भार और ऊँचाई की तुलना करके निकाला जाता है।
वेस्ट – हिप – रेशो:-
वेस्ट – हिप – रेशो : – कमर एवं कूल्हों पर परिधियों की माप का अनुपात होता है।
मानव शरीर के प्रकार:-
मानव शरीर के प्रकार का अर्थ मानव शरीर के आकार व रचना से है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक विलियम हरबर्ट शैल्डन (William Herbert Sheldon) के अनुसार शरीर के आकार अर्थात Somatotype के आधार पर सभी व्यक्तियों को तीन निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा गया है।
- एंडोमोर्फ (Endomorph)
- मेसोमोर्फ (Mesomorph)
- एक्टोमोर्फ (Ectomorph)
एंडोमार्फ (Endomorph):-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
इस प्रकार के व्यक्तियों का शरीर गोल मटोल होता है। ये बड़े एवं सुदृढ शरीर के कारण खेलों में अधिक प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। इसके लिए उपयुक्त खेल भारोत्तोलन (Weight Lifiting) तथा पावर लिफ्टिंग (Power Lifting) होते हैं।
मेसोमोर्फ (Mesomorph):-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
मेसोमोर्फ व्यक्तियों का शरीर, सुदृढ़, मजबूत एवं वर्गाकार होता है। इन व्यक्तियों के कंधे व छाती चौड़ी होती है। ये व्यक्ति किसी भी खेल में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
एक्टोमोर्फ (Actomorph):-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
जिन व्यक्तियों का शरीर पतला एवं लंबा होता है उन्हें एक्टोमोर्फ श्रेण्धी में रखा गया है। इनके शरीर के माँसपेशियों पतली होती हैं व हाथ – पैर लंबे होते हैं। इनकी छाती चपटी होती है। इनका शरीर ढाँचा हल्का होता है। अतः ये सहनदक्षता संबंधित खेलों के लिए उपयुक्त होता है। जैसे- लंबी दूरी की दौड़, जिम्नास्टिक आदि।
स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि के घटकों का मापन:-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि का संबंध, पुष्टि के घटकों के विकास व उनको बनाए रखने से है, जो विभिन्न बीमारियों व रोगों के बचाव व उपाय के द्वारा स्वास्थ्य के स्तर को बढ़ा सकते है, स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि, व्यक्ति के कुशलतापूर्वक कार्य करने की योग्यता को बढ़ाती है तथा स्वस्थ जीवन – शैली को बनाए रखती है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि सभी व्यक्तियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।
स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि के मुख्यतः पाँच घटकों में विभाजित किया जा सकता है।
- शरीर की रचना या संयोजन (Body composition)
- हृदय – श्वसन सहनदक्षता (Cardio – respiratory Endurance)
- मांसपेशीय सहनक्षमता (Muscular Endurance)
- लचक (Flexibility)
- मांसपेशीय शक्ति (Muscular strength)
शरीर संरचना या संयोजन:-
शरीर की संरचना का अर्थ, शरीर के भार में वसा मुक्त मात्रा से है। यह एक जाना पहचाना तथ्य है कि शरीर के कुल भार में शरीर की वसा का उच्च प्रतिशत हानिकारक होता है, तथा यह स्थूलता की ओर अग्रसर करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से युवा पुरुषों व स्त्रियों के लिए शरीर की वसा की सामान्य प्रतिशत क्रमशः 15 व 25 से अधिक नहीं होना चाहिए।
व्यक्तियों द्वारा शरीर की संरचना को मापने के लिए विभिन्न विधियाँ जैसे पानी के अन्दर भार मापना, स्किनफोल्ड मापन, व एन्थ्रोपोमैट्रिक मापन आदि विधियाँ प्रयोग में लाई जाती है। इसका अर्थ यह है कि स्वास्थ्य संबंधी पुष्टि के लिए एक व्यक्ति को आदर्श शरीर भार व वसा प्रतिशत रखना चाहिए।
भार मापना
स्किनफोल्ड मापन
एन्थ्रोपोमैट्रिक मापन
हृदय – श्वसन सहनक्षमता:-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
यह एक व्यक्ति की वह योग्यता है जो कि किसी कार्य जो उच्च तीव्रता पर अधिक समय तक जारी रखने में सक्षम हो। इसके अन्तर्गत हृदय, फेकड़ों, और रक्त पेशियों द्वारा आक्सीजन युक्त रक्त की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
हृदय – श्वसन सहनदक्षता का मापन विभिन्न प्रकार की दौड़, तैराकी प्रतियोगिता, और ऐरोबिक क्रियाओं के माध्यम से किया जा सकता है। एक व्यक्ति को ये क्रियाएँ अधिकतम 20 मिनट तक लगातार जारी रखनी चाहिए अथवा अपनी हृदय दर की क्षमतानुसार करनी चाहिए।
मांसपेशीय सहनक्षमता:-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
मांसपेशीय सहन क्षमता, एक मांसपेशीय अथवा मांसपेशीय समूह को अधिकतम समय तक संकुचन जारी रखने या किसी शक्ति के विरूद्ध बार – बार मांसपेशीय संकुचन करने की योग्यता होती है। मांसपेशीय सहनक्षमता को मापने के लिए भारोत्तोलन सिट – अप आदि द्वारा मापा जा सकता है।
लचक:-
लचक जोड़ों की गति की क्षमता होती है, दैनिक जीवन में लचक सभी व्यक्तियों के लिए आवश्यक है। इसके सक्रिय लचक व असक्रिय लचक में वर्गीकृत किया जा सकता है। सक्रिय लचक को पुनः स्थिर लचक व गतिशील लचक में वर्गीकृत किया जा सकता है किसी खेल क्रिया के बाद या पूर्व में खिंचाव वाले व्यायाम करने से लचक को बढ़ावा जा सकता है। लचक का मापन – सिट एण्ड रीच परीक्षण द्वारा किया जा सकता है।
मांसपेशीय शक्ति:-परीक्षण मापन और मूल्यांकन
मांसपेशीय शक्ति, शक्ति की अधिकतम मात्रा होती है, जो एक मांसपेशी या मांसपेशीय समूह द्वारा किसी प्रतिरोध के विरूद्ध लगाई जाती है। माँसपेशीय शक्ति मापन के लिए पुश – अप, अधिकतम भार उठाने की क्षमता (Heavy weight lift) आदि द्वारा मापा जा सकता है।
FAQs on परीक्षण मापन और मूल्यांकनसे संबंधित
1. परीक्षण, मापन और मूल्यांकन में क्या अंतर है?
उत्तर:
- परीक्षण (Test) किसी व्यक्ति की विशेषताओं, कौशल, या ज्ञान को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया एक औपचारिक उपकरण है।
- मापन (Measurement) प्राप्त परिणामों को संख्यात्मक रूप में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया है।
- मूल्यांकन (Evaluation) इन मापन के परिणामों का विश्लेषण और व्याख्या करते हुए किसी विशेष मानक या उद्देश्य के अनुसार निर्णय लेने की प्रक्रिया है।
2. परीक्षण के प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
परीक्षण मुख्य रूप से निम्न प्रकार के होते हैं:
- लिखित परीक्षा: जैसे बहुविकल्पीय प्रश्न या निबंध।
- प्रायोगिक परीक्षा: व्यावहारिक कौशल की जांच।
- मौखिक परीक्षा: मौखिक प्रश्नों के उत्तर।
- प्रदर्शन आधारित परीक्षण: किसी कार्य को वास्तविक परिस्थितियों में प्रदर्शन करना।
3. मूल्यांकन के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य छात्रों के सीखने के स्तर, शिक्षण की प्रभावशीलता और पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता का विश्लेषण करना है। यह शिक्षण प्रक्रिया में सुधार और व्यक्तिगत प्रगति को मापने के लिए उपयोगी होता है।
4. अच्छे परीक्षण की विशेषताएं क्या होनी चाहिए?
उत्तर:
एक अच्छा परीक्षण निम्नलिखित विशेषताओं वाला होता है:
- वस्तुनिष्ठता: व्यक्तिगत पक्षपात से मुक्त।
- वैधता (Validity): सही चीज़ को मापना।
- विश्वसनीयता (Reliability): समय और परिस्थिति के साथ स्थिर परिणाम देना।
- प्रश्नों की उपयुक्तता: शिक्षण उद्देश्यों के अनुरूप।
- व्यावहारिकता: आसान और लागत-प्रभावी।
5. मापन के कौन-कौन से स्तर होते हैं?
उत्तर:
मापन के चार मुख्य स्तर होते हैं:
- नाममात्र स्तर (Nominal Level): श्रेणियों में वर्गीकरण।
- क्रम स्तर (Ordinal Level): रैंकिंग या क्रम।
- अंतराल स्तर (Interval Level): मात्रात्मक मापन।
- अनुपात स्तर (Ratio Level): शून्य बिंदु के साथ सटीक मापन।
6. मूल्यांकन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
मूल्यांकन मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
- प्रारंभिक मूल्यांकन (Formative Evaluation): शिक्षण के दौरान।
- सारांशात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation): पाठ्यक्रम के अंत में।
- नैदानिक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation): छात्रों की समस्याओं को पहचानने के लिए।
7. परीक्षण और मापन का शिक्षण प्रक्रिया में क्या महत्व है?
उत्तर:
परीक्षण और मापन शिक्षकों को यह समझने में मदद करते हैं कि छात्रों ने पाठ्यक्रम के लक्ष्यों को कितना प्राप्त किया है। इससे शिक्षण के तरीकों में सुधार और छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन में सहायता मिलती है।
8. मूल्यांकन प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर:
- स्पष्ट और मापने योग्य उद्देश्यों का निर्धारण।
- छात्रों को समय पर और रचनात्मक प्रतिक्रिया देना।
- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों का उपयोग।
- निष्पक्ष और सटीक परिणाम सुनिश्चित करना।
9. मापन की वैधता और विश्वसनीयता में क्या अंतर है?
उत्तर:
- वैधता (Validity): मापन उपकरण का यह सुनिश्चित करना कि वह सही गुण को माप रहा है।
- विश्वसनीयता (Reliability): मापन उपकरण के परिणाम समय और परिस्थिति के साथ स्थिर और सटीक होना।
10. नैदानिक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation) का उपयोग कब और क्यों किया जाता है?
उत्तर:
नैदानिक मूल्यांकन का उपयोग तब किया जाता है जब छात्रों के सीखने में किसी प्रकार की बाधा या समस्या का पता लगाना होता है। यह मूल्यांकन छात्रों की कमजोरियों को पहचानने और उनकी समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए किया जाता है।