- पालमपुर गांव की कहानी
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पालमपुर गांव की कहानी
पालमपुर गांव की कहानी
पालमपुर गांव की कहानी, कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के “अर्थशास्त्र” खंड में एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह कहानी ग्रामीण भारत के आर्थिक जीवन की झलक प्रस्तुत करती है। इस पाठ में मुख्य रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं जैसे कि कृषि, उत्पादन, संसाधनों का उपयोग, श्रम और तकनीकी विकास पर चर्चा की गई है। आइए इस पाठ को विस्तार से समझें।
पालमपुर गांव का परिचय
पालमपुर एक काल्पनिक गांव है, जो ग्रामीण भारत की आर्थिक संरचना को दर्शाने के लिए तैयार किया गया है। इस गांव में अच्छी सड़कें, परिवहन सुविधाएं, बिजली, स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। यह गांव हरियाणा या पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के गांवों की तस्वीर प्रस्तुत करता है।
पालमपुर गांव में लगभग 450 परिवार रहते हैं। इनमें से अधिकांश लोग खेती और उससे संबंधित गतिविधियों में संलग्न हैं।
पालमपुर गांव की अर्थव्यवस्था : पालमपुर गांव की कहानी
पालमपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। इसके अलावा, यहां कुछ अन्य गैर-कृषि गतिविधियां भी की जाती हैं।
1. कृषि
(क) खेती के लिए भूमि का उपयोग:
- गांव में खेती के लिए भूमि एक सीमित संसाधन है।
- खेती योग्य जमीन का विस्तार नहीं हो सकता क्योंकि सारी भूमि पहले से उपयोग में है।
- खेती मुख्य रूप से वर्षा और सिंचाई पर निर्भर करती है।
(ख) सिंचाई और कृषि उत्पादन:
- पालमपुर में अधिकांश खेतों की सिंचाई ट्यूबवेल के माध्यम से की जाती है।
- यहां दो फसलों की खेती होती है – रबी और खरीफ।
- कुछ किसान आधुनिक तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करके अधिक उत्पादन प्राप्त करते हैं।
(ग) हरित क्रांति का प्रभाव:
- हरित क्रांति ने कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया।
- किसानों ने उर्वरकों, कीटनाशकों और आधुनिक उपकरणों का उपयोग शुरू किया।
- इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई, लेकिन इससे पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता पर भी प्रभाव पड़ा।
(घ) कृषि श्रम:
- छोटे किसान स्वयं खेती करते हैं।
- बड़े किसान खेती के लिए मजदूरों को काम पर रखते हैं।
- मजदूरों को बहुत कम वेतन मिलता है, और उनके पास स्थायी रोजगार की कमी होती है।
2. गैर-कृषि गतिविधियां
पालमपुर में कुछ लोग गैर-कृषि गतिविधियों में भी संलग्न हैं। इनमें डेयरी, छोटे उद्योग, दुकानदार और परिवहन सेवाएं शामिल हैं।
(क) डेयरी उद्योग:
- पालमपुर के कई परिवार दूध उत्पादन में लगे हैं।
- वे दूध को स्थानीय बाजारों में बेचते हैं।
(ख) लघु उद्योग:
- कुछ परिवार छोटी फैक्ट्रियों या हस्तशिल्प उद्योगों में कार्यरत हैं।
- वे अपने उत्पाद स्थानीय बाजार में बेचते हैं।
(ग) परिवहन सेवाएं:
- कुछ लोग परिवहन के व्यवसाय में शामिल हैं।
- वे माल और यात्रियों को गांव और शहर के बीच लाते-ले जाते हैं।
पालमपुर में संसाधनों का उपयोग: पालमपुर गांव की कहानी
पालमपुर गांव की कहानी संसाधनों के सीमित उपयोग और उनके कुशल प्रबंधन पर प्रकाश डालती है।
1. भूमि और पानी:
- खेती के लिए भूमि सीमित है, और इसका सही उपयोग आवश्यक है।
- सिंचाई के लिए पानी का सही प्रबंधन जरूरी है।
2. श्रम शक्ति:
- श्रम शक्ति का उपयोग कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में होता है।
- कुशल श्रमिक और आधुनिक तकनीक उत्पादन बढ़ाने में मदद करते हैं।
3. पूंजी:
- बड़े किसान आधुनिक उपकरणों में निवेश करते हैं।
- छोटे किसानों के पास सीमित संसाधन होते हैं और वे साहूकारों या बैंक से कर्ज लेते हैं।
आर्थिक असमानता: पालमपुर गांव की कहानी
पालमपुर गांव में आर्थिक असमानता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
- बड़े किसान अधिक भूमि और संसाधनों के मालिक हैं।
- छोटे और भूमिहीन किसान गरीबी और आर्थिक संघर्ष का सामना करते हैं।
- मजदूर वर्ग के पास स्थायी रोजगार और उचित वेतन की कमी है।
तकनीकी विकास और कृषि उत्पादन: पालमपुर गांव की कहानी
तकनीकी विकास ने पालमपुर की कृषि में बड़ा बदलाव लाया है।
- उन्नत बीज, खाद और मशीनों के उपयोग से उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- हालांकि, तकनीकी विकास का लाभ केवल बड़े किसानों को मिला। छोटे किसान इससे वंचित रहे।
पालमपुर गांव की कहानी से सीख: पालमपुर गांव की कहानी
यह कहानी हमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने में मदद करती है।
- संसाधनों का सीमित उपयोग: संसाधन सीमित होते हैं, और उनका सही प्रबंधन आवश्यक है।
- तकनीकी विकास: तकनीकी विकास से उत्पादन बढ़ सकता है, लेकिन यह सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए।
- आर्थिक असमानता: समाज में आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए सरकारी नीतियों की आवश्यकता है।
- गैर-कृषि गतिविधियों का महत्व: कृषि के अलावा अन्य आर्थिक गतिविधियां रोजगार के अवसर प्रदान कर सकती हैं।
निष्कर्ष
पालमपुर गांव की कहानी ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति का एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करती है। यह पाठ हमें यह समझने में मदद करता है कि ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए संसाधनों का कुशल प्रबंधन, तकनीकी विकास, और गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देना कितना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, यह कहानी हमें ग्रामीण जीवन की चुनौतियों और संभावनाओं से भी परिचित कराती है।
पालमपुर गांव की कहानी केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत के ग्रामीण इलाकों के सामाजिक और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक है।
Importent Q/A of the Chapter.
प्रश्न 1 – भारत में जनगणना के दौरान 10 वर्ष में एक बार प्रत्येक गांव का सर्वेक्षण किया जाता है। पालमपुर से संबंधित सूचनाओं के आधार पर निम्न तालिका को भरिए:
(क) अवस्थिति क्षेत्र
(ख) गांव का कुल क्षेत्र
(ग) भूमि का उपयोग (हेक्टर में)
कृषि भूमि | ||
सिंचित | असिंचित | भूमि जो कृषि के लिए उपलब्ध नहीं है(निवास स्थानों, सड़कों तालाबों, चारागाहों आदि के क्षेत्र) |
26 हेक्टेयर |
(घ) सुविधाएं
शैक्षिक |
चिकित्सा |
बाजार |
बिजली पूर्ति |
संचार |
निकटतम कस्बा |
उत्तर – (ग) सिंचित असिंचित 200 –
(घ) सुविधाएँ
शैक्षिक – 2 प्राथमिक विद्यालय और उच्च विद्यालय
चिकित्सा – एक सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक निजी औषधालय
बाजार – रायगंज (पालमपुर से किलोमीटर की दूरी पर)
बिजली पूर्ति – हांअधिकांश घरों में बिजली पूर्ति
संचार –
निकटतम कस्बा – शाहपुर
प्रश्न 2 – खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, क्या आप सहमत हैं?
उत्तर – हां, खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, खेतों के लिए स्थाई पूंजी की जरूरत पड़ती है।औजारों तथा मशीनों में अत्यंत साधारण औजार जैसे- किसान का हल से लेकर परिष्कृत मशीनें जैसे- जनरेटर, टरबाइन ,कंप्यूटर आदि आते हैं।
प्रश्न 3 – पालमपुर में बिजली के प्रसार में किसानों की किस तरह मदद की?
उत्तर – पालमपुर में बिजली के प्रसार से किसानों को निम्नलिखित तरीके से मदद मिली है-
- बिजली के आ जाने से किसानों को घरेलू कामों में अधिक सुविधा मिल गई है।
- सिंचाई के लिए नलकूपों को बिजली से आसानी से चलाया जा सकता है।
प्रश्न 4 – क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्वपूर्ण है? क्यों?
उत्तर – सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्वपूर्ण है क्योंकि पौधों की बुवाई से लेकर उसके पकने तक सब हवा और जल के ऊपर निर्भर करता है। अगर सही समय पर पौधों को पानी ना दिया जाएं तो, ये पौधे सूख जाएंगे और किसानों की मेहनत खराब हो जाएगी। अगर इस तरह की समस्या लगातार बनी रहती है तो अकाल जैसी समस्या से लोगों को जूझना पड़ सकता है।
प्रश्न 5 – पालमपुर के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की एक सारणी बनाइए।
उत्तर – पालमपुर में 450 परिवारों में से एक लगभग एक तिहाई अर्थत 150 परिवारों के पास खेती के लिए भूमि नहीं है, जो अधिकांशत: दलित हैं। बाकी परिवारों में से 240 परिवार जिनके पास भूमि है, 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले छोटे भूमि के टुकड़ों पर खेती करते हैं। भूमि के ऐसे टुकड़े का खेती करने से किसानों के परिवारों को पर्याप्त आमदनी नहीं होती।
प्रश्न 6 – पालपुर में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम क्यों है?
उत्तर – वे दैनिक मजदूरी पर काम करते हैं उन्हें रोज काम ढूंढना पड़ता है। पार्लर पालमपुर में खेतिहर श्रमिक बहुत है और उनकी मांग कम है। इसलिए उनको खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से भी कम दी जाती है।
प्रश्न 7- अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिए। खेतों में काम करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मजदूरों में से किसी को चुने। उन्हें कितनी मजदूरी मिलती है? क्या-उन्हें नगद पैसा मिलता है या वस्तु – रूप में? क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज में हैं।
उत्तर – हमारे क्षेत्र में डाला और रामकली दो खेतिहर मजदूर हैं जो एक विनिर्माण जगह पर काम करते हैं। उन्हें मजदूरी के रूप में 80 से 100 रुपए दिए जाते हैं। हां, उन्हें नियमित रूप से नगद पैसा मिलता है या फिर कभी-कभी पैसे के बदले कुछ अनाज दे दिए जाते हैं। नहीं, उनको नियमित रूप से काम नहीं मिल पाता है, क्योंकि वहां काम करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है इसलिए कुछ मजदूर कम पैसों में भी काम करने के लिए राजी हो जाते हैं। हां उनका कहना है कि मजदूरी इतनी कम होने के कारण उनका जीवन यापन भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है ऐसे में हमें लोगों से कर्ज लेना पड़ता है।
प्रश्न 8 – एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के अलग-अलग दो कौन से तरीके हैं? समझाने के लिए उदाहरणों का उपयोग कीजिए।
उत्तर – पालमपुर में समस्त भूमि पर खेती की जाती है। कोई भूमि बेकार नहीं छोड़ी जाती। बरसात के मौसम खरीफ में किसान ज्वार और बाजरा उगाते हैं इन पौधों को पशुओं के चारे के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके बाद अक्टूबर और दिसंबर के बीच आलू की खेती होती है। सर्दी के मौसम रवि में खेतों में गेहूं गाया जाता है उत्पाद गेहूं में से परिवार के खाने के लिए रखकर शेष गेहूं किसान शाहगंज की मंडी में बेच देते हैं। भूमि के एक भाग में गन्ने की खेती की जाती है जिसकी वर्ष में एक बार कटाई होती है वरना अपने कच्चे रूप में उड़ के रूप में शाहपुर के व्यक्तियों को बेच देता है।
- पालमपुर में 1 वर्ष में किसान तीन अलग-अलग फैसले इसलिए पैदा कर पाते हैं क्योंकि वह सिंचाई की सुविधा व्यवस्था है।
- अच्छे बीजों और कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करके भूमि के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 9 – एक हेक्टेयर भूमि के मालिक किसान के कार्य का विवरण दीजिए।
उत्तर – एक हेक्टेयर भूमि, 100 मीटर की भुजा वाले वर्ग के क्षेत्रफल के बराबर होता है। अगर वो अपनी एक हेक्टेयर भूमि में गेहूं या चावल की खेती करना चाहता है तो उससे निम्नलिखित तरीकों से कार्य की योजना बनाने की जरूरत पड़ती है।
- अच्छे बीज का चयन
- कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल
- सिंचाई के लिए जल के संसाधनों का होना
- समय-समय पर फसलों की देखभाल कराने के लिए कुछ पैसे की जरूरत।
प्रश्न 10 – मझोले और बड़े किसान कृषि से कैसे पूंजी प्राप्त करते हैं? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं?
उत्तर – अधिकांश छोटे किसानों को पूंजी की व्यवस्था करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता। वह बड़े किसानों से यह गांव के साहूकारों से या खेती के लिए विभिन्न आगतो की पूर्ति करने वाले व्यापारियों से कर्ज लेते हैं। ऐसे कर्जों पर ब्याज की दर बहुत ऊंची होती है। कर्ज चुकाने के लिए उन्हें बहुत कष्ट सहने पड़ते हैं।
छोटे किसानों के विपरीत मझोले और बड़े किसानों को खेती से बचत होती है। इस तरह वे आवश्यक पूंजी की व्यवस्था कर लेते हैं।
प्रश्न 11 – सविता को किन शर्तों पर तेजपाल सिंह से ब्याज मिला? क्या ब्याज की कम दर पर बैंक से कर्ज मिलने पर सविता की स्थिति अलग होती?
उत्तर – सविता एक लघु कृषक है। वह अपनी एक हेक्टर जमीन पर गेहूं पैदा करने की योजना बनाती है। बीज और कीटनाशकों के अतिरिक्त, उसे पानी खरीदने और खेती के लिए औजार की मरम्मत करवाने के लिए नगद पैसों की जरूरत है। उसका अनुमान है कि कार्यशील पूंजी के रूप में ही उसे 3000 चाहिए। उसके पास पैसा नहीं है, इसलिए वह एक बड़े किसान तेजपाल सिंह से कर्ज लेने का निर्णय लेती है।
तेजपाल सिंह सविता को 24% की दर पर 4 महीने के लिए कर्ज देने को तैयार हो जाता है, जो ब्याज की एक बहुत ऊंची दर है। सविता को यह भी वचन देना पड़ता है कि वह कटाई के मौसम में उसके खेतों में एक श्रमिक के रूप में ₹100 प्रतिदिन पर काम करेगी। उसे अपने खेत की कटाई पूरी करने में बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और उसके बाद तेजपाल के खेतों में श्रमिक की तरह काम करना होगा। सविता फिर भी कर्ज लेने के लिए तैयार हो जाती है क्योंकि वह जानती है कि छोटे किसानों को बैंक से कर्ज मिलना बहुत कठिन होता है।
प्रश्न 12 – अपने क्षेत्र के कुछ पुराने निवासियों से बात कीजिए और पिछले 30 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में हुए परिवर्तन पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखें (वैकल्पिक)।
उत्तर – अपने क्षेत्र के कुछ पुराने निवासियों से बात करने पर पता चला कि पिछले 30 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में बहुत से परिवर्तन हुए हैं जैसे की पहले लोग खेतों की सिंचाई के लिए कुओ से रहट द्वारा पानी निकालकर छोटे-छोटे खेतों की सिंचाई किया करते थे। लेकिन बिजली आने के बाद सिंचाई करने का तरीका बदल गया अब लोगों को नलकूपों से कम मेहनत और आसानी से पानी मिल जाता है।
1968 के दशक के अंत में हरित क्रांति ने भारतीय किसानों को अधिक उपज वाले बीजों (एच.वाई.वी) के द्वारा गेहूं और चावल की खेती करने के तरीके सिखाए जिसके चलते किसानों को उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
प्रश्न 13 – आपके क्षेत्र में कौन से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं? इनकी एक संक्षिप्त सूची बनाइए।
उत्तर – हमारे क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के गैर- कृषि उत्पादन कार्य किए जाते हैं। डेयरी, विनिर्माण, दुकानदारी, परिवहन, दर्जी, बढ़ई, मुर्गी पालन आदि।
प्रश्न 14 – गांव में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर – गांव में बहुत सारे लोग बैंक से ब्याज लेते हैं ऐसे में जरूरी है कि गांव में ही कम ब्याज पर उन्हें पैसे उपलब्ध कराएं जाए।
2. गांव में गैर-कृषि क्रियाओं को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।
3. बड़े-बड़े बाजारों को खोलने के लिए बढ़ावा देना चाहिए।
4. गांव और शहरों के बीच तालमेल बैठाने का काम करना चाहिए।
5. परिवहन की अधिक व्यवस्था उपलब्ध कराना चाहिए।
7. अनाजों को सही कीमत पर बेचना चाहिए।