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अध्याय-5: प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

प्राकृतिक वनस्पति और वन्य प्राणी हमारे पर्यावरण के महत्वपूर्ण घटक हैं। ये पृथ्वी पर जैव विविधता को बनाए रखते हैं और जीवन को संतुलित करने में मदद करते हैं। भारत अपनी भौगोलिक और जलवायु विविधता के कारण प्राकृतिक वनस्पति और वन्य प्राणियों की बहुतायत के लिए जाना जाता है।


प्राकृतिक वनस्पति

प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ उन पेड़-पौधों और वनस्पतियों से है जो बिना मानव हस्तक्षेप के प्राकृतिक रूप से उगते हैं। यह वनस्पति मुख्य रूप से जलवायु, मिट्टी और स्थलाकृति पर निर्भर करती है।

वनस्पति के प्रकार

भारत में जलवायु और भौगोलिक विविधता के आधार पर प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:


1. उष्णकटिबंधीय वर्षा वन (Tropical Rainforests)

  • स्थान: ये वन मुख्यतः पश्चिमी घाट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पूर्वोत्तर राज्यों और हिमालय की तराई क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • जलवायु: इन क्षेत्रों में वर्षा 200 सेमी से अधिक होती है और तापमान 25°C से 27°C के बीच रहता है।
  • विशेषताएँ:
    • पेड़ सदाबहार होते हैं अर्थात इनमें पूरे वर्ष पत्तियाँ रहती हैं।
    • इन वनों में पेड़ ऊँचे और घने होते हैं।
  • प्रमुख पेड़: महोगनी, एबोनी, रोज़वुड, बांस आदि।
  • महत्व: ये वन औषधीय पौधों और मूल्यवान लकड़ी के स्रोत हैं।

2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन (Tropical Deciduous Forests)

  • स्थान: ये वन भारत के विशाल भाग में पाए जाते हैं जैसे कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, और बिहार।
  • जलवायु: इन क्षेत्रों में वर्षा 100 से 200 सेमी के बीच होती है।
  • विशेषताएँ:
    • ये वन गर्मियों में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
    • ये घने नहीं होते, जिससे सूर्य का प्रकाश भूमि तक पहुँच पाता है।
  • प्रमुख पेड़: साल, सागौन, शीशम, आम, महुआ, नीम आदि।
  • महत्व: ये वनों का सबसे बड़ा भाग हैं और लकड़ी, ईंधन, और अन्य वनोपज का मुख्य स्रोत हैं।

3. शुष्क वनस्पति (Thorn Forests and Scrubs)

  • स्थान: ये वन राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • जलवायु: इन क्षेत्रों में वर्षा 50 से 100 सेमी के बीच होती है।
  • विशेषताएँ:
    • इन वनों में पेड़ छोटे होते हैं और पत्तियाँ काँटेदार होती हैं ताकि पानी की हानि कम हो।
  • प्रमुख पेड़: बबूल, खेजड़ी, खैर, थूहर, कैक्टस आदि।
  • महत्व: ये वन शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी को कटने से बचाते हैं।

4. पर्वतीय वन (Montane Forests)

  • स्थान: ये वन हिमालय और दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • जलवायु: ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में यह वनस्पति पाई जाती है।
  • विशेषताएँ:
    • ऊँचाई के अनुसार वनस्पति में अंतर होता है।
    • निचली पहाड़ियों में उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन होते हैं और ऊँचाई बढ़ने पर शंकुधारी वृक्ष मिलते हैं।
  • प्रमुख पेड़: देवदार, चीड़, फर, स्प्रूस आदि।
  • महत्व: ये वन पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी को कटने से बचाते हैं और जलवायु को संतुलित करते हैं।

5. मरुस्थलीय वनस्पति (Desert Vegetation)

  • स्थान: ये मुख्यतः राजस्थान और गुजरात के मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • जलवायु: यहाँ वर्षा 50 सेमी से कम होती है और तापमान अत्यधिक होता है।
  • विशेषताएँ:
    • इन क्षेत्रों में पौधों की जड़ें गहरी होती हैं और पत्तियाँ काँटेदार होती हैं।
  • प्रमुख पेड़: बबूल, खेजड़ी, खैर, कैक्टस।
  • महत्व: ये पौधे मरुस्थल में मिट्टी को स्थिर रखते हैं।

वन्य प्राणी

भारत विविध वन्य प्राणियों का घर है। यहाँ कई प्रकार के स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, और जलीय जीव पाए जाते हैं।

वन्य प्राणियों के प्रकार

वन्य प्राणियों को उनके आवास और भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर विभाजित किया जा सकता है:

  1. स्तनधारी (Mammals):
    • बाघ, शेर, हाथी, गैंडा, भालू, हिरण, भेड़िया, बंदर आदि।
  2. पक्षी (Birds):
    • मोर, तोता, बत्तख, बाज, गिद्ध, सारस आदि।
  3. सरीसृप (Reptiles):
    • साँप, मगरमच्छ, घड़ियाल, छिपकली आदि।
  4. जलीय जीव (Aquatic Animals):
    • डॉल्फिन, कछुआ, मछलियाँ आदि।

वनस्पति और वन्य प्राणियों का महत्व

  1. पारिस्थितिकी संतुलन: वनस्पति और वन्य प्राणी पर्यावरण को संतुलित रखते हैं।
  2. ऑक्सीजन का स्रोत: पेड़-पौधे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करते हैं।
  3. जैव विविधता: वन्य प्राणी जैव विविधता को बनाए रखते हैं।
  4. आर्थिक महत्व: वनों से लकड़ी, गोंद, औषधियाँ, और अन्य उत्पाद मिलते हैं।
  5. पर्यटन: वन्य जीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।

वनस्पति और वन्य प्राणियों का संरक्षण

मानव हस्तक्षेप के कारण प्राकृतिक वनस्पति और वन्य प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसके लिए संरक्षण आवश्यक है।

संरक्षण के उपाय

  1. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम (1972): भारत सरकार ने वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए यह अधिनियम लागू किया।
  2. राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य:
    • भारत में कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभयारण्य बनाए गए हैं जैसे काजीरंगा, रणथंभौर, सुंदरबन आदि।
  3. वन संरक्षण: वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  4. जागरूकता: लोगों को वनस्पति और वन्य प्राणियों के महत्व के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
  5. वनों की अवैध कटाई पर रोक: सरकार को सख्त कानून लागू करने चाहिए।

निष्कर्ष

प्राकृतिक वनस्पति और वन्य प्राणी हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इनके बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है। हमें इनकी सुरक्षा के लिए प्रयास करने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस जैव विविधता का आनंद ले सकें। वनस्पति और वन्य प्राणियों का संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को इसमें भागीदारी निभानी चाहिए।

Importent Q/A of Chapter

 

प्रश्न 1 – वैकल्पिक प्रश्न

(i) रबड़ का संबंध किस प्रकार की वनस्पति से है?

(क) टुंड्रा (ख) हिमालय (ग) मैंग्रोव (घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन

उत्तर – मैंग्रोव

(ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?100 से०मी०70  से०मी०50 से०मी०50 से०मी० से कम वर्षा

उत्तर – 100 से०मी०

(iii) सिमलीपाल जीव मंडल निचय कौन – से राज्य में स्थित है?

(क) पंजाब (ख) दिल्ली (ग) ओडिशा (घ) पश्चिम बंगाल

उत्तर – ओडिशा

(iv) भारत के कौन-से जीव मंडल निचय विश्व के जीव मंडल निचयों में लिए गए हैं?मानसमन्नार की खाड़ीनीलगिरीपन्ना

उत्तर – मानस।

प्रश्न 2 – संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न:

(i) भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्वों द्वारा निर्धारित होता है?

उत्तर – भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण निम्नलिखित तत्वों द्वारा निर्धारित होता है-

  1. भूभाग
  2. मृदा
  3. तापमान
  4. सूर्य का प्रकाश
  5. वर्षण

(ii) जीव मंडल निचय से क्या अभिप्राय है कोई दो उदाहरण दो।

उत्तर – जीव मंडल निचय से अभिप्राय है – संरक्षित क्षेत्र, जहां पर सभी प्रजाति को प्राकृतिक वातावरण के देखरेख में संरक्षित किया जाता है।

दो उदाहरण निम्नलिखित हैं –

नंदा देवी

नीलगिरी

(iii) कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।

उत्तर – उष्ण कटिबंधीय वर्षा – इन वनों में सामान्य रूप से पाए जाने वाले जानवर हाथी, बंदर, लैमूर और हिरण हैं। एक सींग वाले गैंडे, असम और पश्चिमी बंगाल के दलदली क्षेत्र में मिलते हैं।

पर्वतीय वन – इन वनों में प्राय: कश्मीरी महामृग, चितरा हिरण, जंगली भेड़, खरगोश, तिब्बती बारहसिंघा, याक, हिम, तेंदुआ, गिलहरी, रिछ, आईबैक्स, कहीं-कहीं लाल पांडा, घने बालों वाली भेड़ तथा बकरियां पाई जाती हैं।

प्रश्न 3 – निम्नलिखित में अंतर कीजिए:

(i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत।

उत्तर – वनस्पति जगत शब्दों का इस्तेमाल पेड़ – पौधों के लिए किया जाता है। वनस्पति जगत में घास के मैदान तथा जंगल आते हैं।

प्राणी जगत शब्दों का इस्तेमाल जीव और जंतु के लिए किया जाता है। प्राणी जगत में मछली और पक्षी आते हैं।

(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन

सदाबहार वन – ये वन पश्चिमी घाटी के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों, असम के ऊपरी भागों तथा तमिलनाडु के तक सीमित है। 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा के साथ एक थोड़े समय के लिए शुष्क ऋतु पाई जाती है। ये क्षेत्र वर्षा भर गर्म तथा आर्द्र रहते हैं। यहां हर प्रकार की वनस्पति, वृक्ष, झाड़ियां व लताएं उगती हैं इन वनों में रबड़ और बंदर भी पाए जाते हैं।

पर्णपाती वन – ये भारत में सबसे बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। इन्हें मानसूनी वन भी कहते हैं और ये उन क्षेत्रों में विस्तृत है जहां 70 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। जल की उपलब्धि के आधार पर इन वनों के आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वनों में विभाजित किया जाता है। आर्द्र या और नम पर्णपाती और शुष्क पर्णपाती वन। इन वनों में सागोन, साल, शीशम, चंदन, और शेर, हिरन आदि पाए जाते हैं।

प्रश्न 4 – भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएं और अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।

उत्तर – भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम निम्नलिखित है-

उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन

उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

उष्ण कटिबंधीय कटीले वन तथा झाड़ियां

पर्वतीय वन

मैंग्रोव वन

अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति 

पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊंचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता है। वनस्पति में जिस प्रकार का अंतर हम उष्णकटिबंधीय प्रदेशों से टुंडा की ओर देखते हैं उसी प्रकार का अंतर पर्वतीय भागों में ऊंचाई के साथ-साथ देखने को मिलता है। 1,000 मीटर से 2,00 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आर्द्र शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनर जैसे वृक्षों की प्रधानता होती है।

1.500 से 3,000 मीटर की ऊंचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड़ (पाईन), देवदार, सिल्वर-फर स्फूसू  सीडर आदि पाए जाते हैं। ये वन प्राय: हिमालय की दक्षिणी ढलानों, दक्षिण और उत्तर-पूर्वी भारत के अधिक ऊंचाई वाले भागों में पाए जाते हैं। 3,600 मीटर ऊंचाई पर स्थित शीतोष्ण कटिबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पलाइन वनस्पति ले लेती है।

प्रश्न 5 – भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियां संकटग्रस्त हैं – उदाहरण सहित बताएं।

उत्तर – 1. ऊनी वस्त्रों के लिए जानवरों को मारना

2. वनोन्मूलन

3. शिकार करना

4. विकास के लिए वनों की कटाई

5. सड़क, नाव, रबड़ आदि को बनाने के लिए अत्यधिक मात्रा में पेड़ों को काटा जाना।

6. औद्योगिक से निकलने वाले धूंआ और अपशिष्ट से जंतुओं का जीवन खतरे में पड़ना।

प्रश्न 6 – भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धानी क्यों है?

उत्तर – 1. भारत का विस्तार अधिक है।

2. यहां की जलवायु में भी आपको विविधता दिखाई देगी।

3. भारत में कुछ इलाके ऐसे हैं जहां अधिक वर्षा होती है और कुछ इलाके में कम वर्षा होती हैं।

अध्याय-6: जनसंख्या

 

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