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अध्याय-1: फ्रांसीसी क्रांति

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  फ्रांसीसी क्रांति (Class 9th Social Science Notes)

फ्रांसीसी क्रांति, 1789 में शुरू हुई और इसे आधुनिक विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। यह घटना फ्रांस में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के खिलाफ एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। इस अध्याय में फ्रांसीसी क्रांति की पृष्ठभूमि, कारण, घटनाएं और परिणामों को समझाया गया है।


1. फ्रांसीसी क्रांति की पृष्ठभूमि

फ्रांसीसी क्रांति की पृष्ठभूमि में फ्रांस के आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता, और सामाजिक असमानता प्रमुख थे। 18वीं सदी के अंत में, फ्रांस में एक निरंकुश राजशाही शासन कर रही थी, जिसका नेतृत्व लुई सोलहवें (Louis XVI) कर रहे थे। राजा की शक्ति असीमित थी और वह जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं था।

(क) सामाजिक संरचना: तीन एस्टेट्स

फ्रांस की सामाजिक संरचना तीन वर्गों में विभाजित थी:

  1. पहला एस्टेट: इसमें पादरी और चर्च से जुड़े लोग शामिल थे। ये विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग थे और टैक्स नहीं चुकाते थे।
  2. दूसरा एस्टेट: इसमें सामंती कुलीन वर्ग (nobility) शामिल था। ये भी टैक्स से मुक्त थे और अधिकांश जमीन के मालिक थे।
  3. तीसरा एस्टेट: इसमें किसान, कारीगर, व्यापारी, और मजदूर शामिल थे। इनकी जनसंख्या सबसे अधिक थी, लेकिन ये भारी टैक्स चुकाने के लिए बाध्य थे।

(ख) आर्थिक संकट

  • फ्रांस की अर्थव्यवस्था अत्यधिक संकट में थी। अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस की भागीदारी और राजशाही का विलासितापूर्ण खर्च खजाने को खाली कर चुका था।
  • खाद्य संकट और अनाज की बढ़ती कीमतों ने जनता की समस्याओं को बढ़ा दिया।
  • किसानों और मजदूरों को भूख और गरीबी का सामना करना पड़ रहा था।

(ग) विचारधारात्मक प्रभाव

  • 18वीं सदी के दार्शनिकों, जैसे जॉन लॉक, जीन-जैक्स रूसो, और मॉन्टेस्क्यू ने लोगों को स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के विचारों से प्रेरित किया।
  • इन विचारों ने लोगों में जागरूकता फैलाई और राजशाही के खिलाफ विद्रोह के लिए प्रेरित किया।

2. फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य कारण

(क) सामाजिक असमानता

तीन एस्टेट्स के बीच असमानता और भेदभाव ने जनता में असंतोष पैदा किया। तीसरा एस्टेट सभी आर्थिक बोझ उठाने के बावजूद किसी भी राजनीतिक निर्णय में भाग नहीं ले सकता था।

(ख) आर्थिक समस्याएं

  • राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा था, और जनता पर भारी कर लगाया गया।
  • 1788-89 के दौरान अकाल और अनाज की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।

(ग) राजनीतिक अस्थिरता

  • लुई सोलहवें का कमजोर नेतृत्व और निर्णय लेने की अक्षमता ने संकट को और बढ़ाया।
  • जनता के प्रति सरकार की उदासीनता ने विद्रोह को उकसाया।

(घ) दार्शनिक प्रभाव

दार्शनिकों के लेखन ने स्वतंत्रता और समानता के विचारों को लोकप्रिय बनाया। रूसो की पुस्तक “द सोशल कॉन्ट्रैक्ट” और मोंटेस्क्यू की “द स्पिरिट ऑफ लॉज” ने लोगों में राजनीतिक चेतना जागृत की।


3. क्रांति की शुरुआत

1789 में, आर्थिक संकट और सामाजिक असमानता के कारण लुई सोलहवें ने कर प्रणाली में सुधार के लिए एस्टेट्स-जनरल की बैठक बुलाई।

(क) नेशनल असेंबली का गठन

  • तीसरे एस्टेट ने खुद को “नेशनल असेंबली” घोषित कर लिया।
  • “टेनिस कोर्ट शपथ” (20 जून 1789): नेशनल असेंबली के सदस्यों ने संविधान तैयार करने की शपथ ली।

(ख) बैस्टील का पतन (14 जुलाई 1789)

  • जनता ने बैस्टील किले पर हमला कर दिया। इसे क्रांति की शुरुआत माना जाता है।
  • बैस्टील सामंती अत्याचार और निरंकुशता का प्रतीक था।

(ग) ग्रामीण विद्रोह

  • किसानों ने सामंती संपत्तियों पर हमला किया और करों का विरोध किया।
  • यह चरण ग्रेट फियर (महान भय) के रूप में जाना जाता है।

4. क्रांति के प्रमुख घटनाक्रम

(क) 4 अगस्त 1789

नेशनल असेंबली ने सामंती अधिकारों को समाप्त कर दिया। चर्च की भूमि का राष्ट्रीयकरण किया गया।

(ख) मानव अधिकारों की घोषणा (26 अगस्त 1789)

  • “डिक्लेरेशन ऑफ द राइट्स ऑफ मैन एंड सिटीजन” पारित की गई।
  • इसमें स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व को मौलिक अधिकारों के रूप में मान्यता दी गई।

(ग) संवैधानिक राजतंत्र (1791)

  • संविधान तैयार किया गया और राजा की शक्तियों को सीमित कर दिया गया।
  • यह राजतंत्र को संवैधानिक बनाने का प्रयास था।

(घ) राजशाही का पतन

  • 1792 में, फ्रांस को गणराज्य घोषित किया गया।
  • लुई सोलहवें और रानी मैरी एंटोनेट को 1793 में गिलोटिन से मौत की सजा दी गई।

(ङ) जेकॉबिन शासन (1793-1794)

  • जेकॉबिन दल के नेता रोबेस्पियर ने सत्ता संभाली।
  • रेन ऑफ टेरर (आतंक का शासन): राजनीतिक विरोधियों को गिलोटिन किया गया।

(च) रोबेस्पियर का पतन

  • 1794 में रोबेस्पियर को गिरफ्तार कर गिलोटिन किया गया।
  • इसके बाद डायरेक्टरी शासन की स्थापना हुई।

5. फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम

(क) राजनीतिक परिणाम

  • राजशाही का अंत हुआ और गणराज्य की स्थापना हुई।
  • लोकतंत्र और गणतंत्र की अवधारणाएं मजबूत हुईं।

(ख) सामाजिक परिवर्तन

  • सामंती व्यवस्था समाप्त हुई।
  • समानता और स्वतंत्रता के विचार स्थापित हुए।

(ग) आर्थिक प्रभाव

  • चर्च और सामंती संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • कर प्रणाली में सुधार हुआ।

(घ) वैश्विक प्रभाव

  • फ्रांसीसी क्रांति ने अन्य देशों में भी स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया।
  • यह क्रांति लोकतंत्र और राष्ट्रीयता के विचारों का वैश्विक प्रतीक बन गई।

6. फ्रांसीसी क्रांति का महत्व

फ्रांसीसी क्रांति ने आधुनिक राजनीतिक और सामाजिक विचारों को आकार दिया। इसने न केवल फ्रांस, बल्कि पूरे विश्व में समानता और स्वतंत्रता के आदर्शों को स्थापित किया। यह घटना राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर परिवर्तन का प्रतीक बन गई।


निष्कर्ष

फ्रांसीसी क्रांति एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने मानव इतिहास को नई दिशा दी। इसने लोकतंत्र, समानता और स्वतंत्रता जैसे विचारों को जन-जन तक पहुंचाया। यद्यपि क्रांति के दौरान हिंसा और अस्थिरता भी देखी गई, लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणाम सकारात्मक और प्रेरणादायक थे।

फ्रांसीसी क्रांति Q/A

प्रश्न 1– फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?

उत्तर – फ्रांस में क्रांतिकारी की शुरुआत निम्नलिखित परिस्थितियों में हुई-

18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज तीन स्टेट में विभाजित हो गया था। प्रथम दो एस्टेटस कुलीन वर्ग एवं पधारी वर्ग के लोगों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे। इसके साथ ही उन्हें सरकार द्वारा करों में छूट दी जाती थी।लेकिन तीसरे वर्ग के लोगों को स्वामी के घर एवं खेतों में काम करना, सैन्य सेवाएं देने जैसे कामों के लिए बाध्य थे।

सन् 1774 में राजवंश का लुई XVI फ्रांस की राजगद्दी मिल गई। राज्यारोहण के समय उसने राजकोष खाली पाया। लंबे समय तक चले युद्ध के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे। सेना की देखभाल और महल की शानो-शौकत को बनाए रखने के लिए लुई कर बढ़ाने के लिए बाध्य था। जिसके कारण फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध बढ़ा।

तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधियों में मिराब्यो और आबे सिए ने नेशनल असेंबली घोषित कर दिया और शपथ ली, जब तक सम्राट की शक्तियों को कम नहीं करने वाला संविधान तैयार नहीं किया जाएगा तब तक असेंबली भंग नहीं होगी। इस बीच खाद्य संकट बढ़ गया जिसके चलते गुस्सायी औरतों ने हमला बोल दिया। इसके बाद सम्राट ने सेना को पैलेस में प्रवेश करने का आदेश दे दिया। इसके बाद 14 जुलाई को बास्तील को नष्ट कर दिया गया। इस तरह से फ्रांसीसी क्रांति का प्रारंभ हुआ।

प्रश्न 2- फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को क्रांति का फायदा मिला? कौन से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूह को निराशा हुई होगी?

उत्तर – फ्रांसीसी समाज में सबसे ज्यादा फायदा पढ़ें–लिखे लोग और मध्य वर्ग के लोगों का हुआ। राजपरिवार के समूह को सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। क्रांति के नतीजों से समाज में सबसे ज्यादा महिला वर्ग के समूह को निराशा झेलनी पड़ी।

प्रश्न -3  उन्नीसवीं और बीसवीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति कौन सी विरासत छोड़ गई?

उत्तर – 19वीं और 20वीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति में निम्नलिखित विरासत छोड़ गई –

स्वतंत्रता और जनवादी अधिकारों के विचार फ्रांसीसी क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण विरासत थे। 19वीं सदी में फ्रांस से निकलकर बाकी यूरोप में फैले और इनके कारण वहां सामंती व्यवस्था का नाश हुआ।

औपनिवेशिक समाजों ने संप्रभु राष्ट्र – राज्य की स्थापना के अपने आंदोलनों में दसता से मुक्ति के विचार को नई परिभाषा दी।

प्रश्न 4–  उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएं जो आज हमें मिले हुए हैं और जिन का उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में है।

उत्तर – उन जनवादी अधिकारों की सूची निम्नलिखित है जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में भी किया गया है –

  1. प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार।
  2. स्वतंत्रता एवं समानता का अधिकार।
  3. भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार।
  4. मत देने का अधिकार।

प्रश्न 5 – क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतविरोधी थे।

उत्तर – हां, सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतविरोधी थे। संविधान ‘ पुरुष एवं एवं नागरिक अधिकार घोषणा पत्र ’ में सभी को जीवन के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकार दिए गए थे, ये अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से प्राप्त थे और इन अधिकारों को कोई छीन नहीं सकता।

फ्रांसीसी समाज में सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार नहीं था। 25 वर्ष से अधिक उम्र वाले केवल ऐसे पुरुषों को ही सक्रिय नागरिक( जिन्हें मत देने का अधिकार था) का दर्जा दिया गया था, जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे। गरीबों और महिलाओं के अधिकार को दबा दिया गया था।

प्रश्न 6– नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है?

उत्तर – नेपोलियन बोनापार्ट ने खुद को सन् 1804 में फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। यूरोपीय देशों की विजय यात्रा शुरू की, नए साम्राज्य बनाएं, और पुराने राजवंशों को हटाकर अपने खानदान के लोगों के हाथ में दे दिए। उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के कानून बनाएं और दशमलव पद्धति पर आधारित नापतोल की एक सामान्य प्रणाली चलाई। जनता को उसे स्वतंत्रता दिलाने की उम्मीद थी, लेकिन जल्द ही लोग उसे हमलावर मानने लगे। सन् 1815 में उसकी हार हो गई।

अध्याय-2: यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

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