9th S.Science HM

अध्याय-2: भारत का भौतिक स्वरूप

अध्याय-2: भारत का भौतिक स्वरूप

भारत का भौतिक स्वरूप

भारत का भौतिक स्वरूप (Class 9th Social Science Notes)

भारत का भौतिक स्वरूप (Physical Features of India) विषय में हम भारत के प्राकृतिक स्वरूप, विविध भौगोलिक संरचनाओं, तथा विभिन्न भौतिक क्षेत्रों का अध्ययन करते हैं। भारत का भौतिक स्वरूप कई भू-आकृतिक इकाइयों में विभाजित है, जो इसे एक अद्वितीय भौगोलिक विविधता प्रदान करती हैं।

भारत के भौतिक स्वरूप को मुख्य रूप से पाँच प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:

  1. उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र (The Northern Mountains)
  2. उत्तरी मैदान (The Northern Plains)
  3. प्रायद्वीपीय पठार (The Peninsular Plateau)
  4. थार मरुस्थल (The Indian Desert)
  5. तटीय मैदान और द्वीप समूह (The Coastal Plains and Islands)

इन भौगोलिक इकाइयों का विवरण निम्नलिखित है:


1. उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र (The Northern Mountains)

विवरण:

  • यह क्षेत्र भारत के उत्तर में स्थित है और इसमें हिमालय पर्वत श्रृंखला शामिल है।
  • हिमालय पर्वत विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है और यह लगभग 2,400 किमी लंबाई में फैली हुई है।
  • हिमालय की चौड़ाई पश्चिम में लगभग 400 किमी और पूर्व में 150 किमी है।

हिमालय की प्रमुख विशेषताएँ:

  • हिमालय को तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है:
    1. हिमाद्रि (Greater Himalayas):
      • यह हिमालय का सबसे ऊँचा भाग है।
      • यहाँ कई ऊँचे शिखर हैं, जैसे माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर), कंचनजंगा (8598 मीटर), नंदा देवी (7816 मीटर)।
      • यहाँ साल भर बर्फ रहती है और कई ग्लेशियर पाए जाते हैं।
    2. हिमाचल (Lesser Himalayas):
      • यह हिमालय का मध्य भाग है।
      • यहाँ की औसत ऊँचाई 3,700 से 4,500 मीटर के बीच है।
      • इस क्षेत्र में प्रसिद्ध घाटियाँ जैसे कश्मीर घाटी, कुल्लू घाटी, और कांगड़ा घाटी स्थित हैं।
      • यहाँ के प्रमुख पर्वत शृंखलाएँ महाभारत श्रेणी और पीर पंजाल श्रेणी हैं।
    3. शिवालिक (Outer Himalayas):
      • यह हिमालय का सबसे निचला भाग है।
      • यहाँ की ऊँचाई 900 से 1100 मीटर के बीच होती है।
      • यह क्षेत्र अपेक्षाकृत नया है और भूकंप प्रवण क्षेत्र है।

महत्व:

  • हिमालय भारत की उत्तरी सीमा को सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यहाँ कई नदियों का उद्गम होता है जैसे गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र।
  • यह क्षेत्र जलवायु को नियंत्रित करता है और मानसून पर असर डालता है।

2. उत्तरी मैदान (The Northern Plains)

विवरण:

  • उत्तरी मैदान हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ (alluvial) मिट्टी से बना है।
  • यह मैदान गंगा, ब्रह्मपुत्र, और सिंधु नदी प्रणालियों के द्वारा बना है।
  • यह मैदान 2400 किमी लंबा और 240 से 320 किमी चौड़ा है।

उत्तरी मैदान के भाग:

  1. पंजाब का मैदान (Punjab Plains):
    • यह सिंधु और इसकी सहायक नदियों जैसे झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज के जलोढ़ से बना है।
  2. गंगा का मैदान (Ganga Plains):
    • यह गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित है।
    • यह मैदान भारत का सबसे उपजाऊ भाग है।
  3. ब्रह्मपुत्र का मैदान (Brahmaputra Plains):
    • यह मैदान असम में स्थित है और ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा निर्मित है।

महत्व:

  • यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है और यहाँ कृषि मुख्य गतिविधि है।
  • यहाँ गेहूँ, धान, गन्ना, दलहन, और तिलहन जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
  • यह क्षेत्र घनी आबादी वाला है और भारत की आर्थिक रीढ़ माना जाता है।

3. प्रायद्वीपीय पठार (The Peninsular Plateau)

विवरण:

  • यह भारत का सबसे पुराना भौगोलिक क्षेत्र है और यह गोंडवाना भूमि का हिस्सा है।
  • यह पठार त्रिभुजाकार है और इसके पूर्व और पश्चिम में तटीय मैदान हैं।

प्रायद्वीपीय पठार के भाग:

  1. मालवा का पठार (Malwa Plateau):
    • यह विंध्य पर्वत के उत्तर में स्थित है।
  2. छोटानागपुर पठार (Chotanagpur Plateau):
    • यह खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है।
  3. दक्कन का पठार (Deccan Plateau):
    • यह भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसके पूर्वी और पश्चिमी घाट इसे घेरते हैं।

महत्व:

  • यहाँ कई महत्वपूर्ण नदियाँ जैसे गोदावरी, कृष्णा, कावेरी बहती हैं।
  • यह क्षेत्र खनिज संसाधनों में समृद्ध है।

4. थार मरुस्थल (The Indian Desert)

विवरण:

  • यह राजस्थान राज्य में स्थित है और इसे “थार मरुस्थल” कहा जाता है।
  • यहाँ का जलवायु शुष्क और शुष्कता अधिक होती है।
  • यहाँ की वर्षा 150 मिमी से भी कम होती है।

विशेषताएँ:

  • यहाँ रेत के टीले पाए जाते हैं जिन्हें “बालू के टीले” कहा जाता है।
  • यहाँ पर खेजड़ी जैसे पेड़ पाए जाते हैं।

महत्व:

  • यह क्षेत्र पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है।
  • यहाँ कच्छ का रण और मरुभूमि सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र है।

5. तटीय मैदान और द्वीप समूह (The Coastal Plains and Islands)

तटीय मैदान:

  • भारत के पूर्व और पश्चिम में समुद्र तटों के साथ तटीय मैदान स्थित हैं।
  1. पूर्वी तटीय मैदान (Eastern Coastal Plains):
    • यह मैदान बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है।
    • यहाँ कावेरी, कृष्णा और गोदावरी जैसी नदियाँ डेल्टा बनाती हैं।
  2. पश्चिमी तटीय मैदान (Western Coastal Plains):
    • यह मैदान अरब सागर के किनारे स्थित है।
    • यह मैदान संकरा है और यहाँ मलाबार तट तथा कोंकण तट प्रमुख हैं।

द्वीप समूह:

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands):
    • यह बंगाल की खाड़ी में स्थित हैं।
  2. लक्षद्वीप द्वीप समूह (Lakshadweep Islands):
    • यह अरब सागर में स्थित प्रवाल द्वीप हैं।

महत्व:

  • तटीय क्षेत्र मछली पकड़ने, बंदरगाह, और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • द्वीप समूह पर्यावरणीय और रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष:

भारत का भौतिक स्वरूप अत्यंत विविधतापूर्ण है। उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र, उत्तरी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, थार मरुस्थल, और तटीय मैदान तथा द्वीप समूह सभी भारत की भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। इन क्षेत्रों का अपना विशेष महत्त्व है जो भारत की प्राकृतिक सुंदरता, कृषि, खनिज संसाधनों और आर्थिक विकास में योगदान देते हैं।

भारत का भौतिक स्वरूप इसे विश्व के सबसे अद्वितीय देशों में से एक बनाता है।

Importent Q/A of Chapter

1. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।

(i) एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो –

(क) तट

(ख) प्रायद्वीप

(ग) द्वीप

(घ) इनमें से कोई नहीं

उत्तर – प्रायद्वीप

(ii) भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का संयुक्त नाम –

(क) हिमाचल

(ख) पूर्वांचल

(ग) उत्तराखंड

(घ) इनमें से कोई नहीं।

उत्तर – पूर्वांचल

(iii) गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी –

(क) कोरोमंडल

(ख) कन्नड़

(ग) कोंकण

(घ) उत्तरी सरकार

उत्तर – कन्नड़

(iv) पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर –

(क) अनाईमुडी

(ख) महेंद्रगिरि

(ग) कंचनजुंगा

(घ) खासी

उत्तर – महेंद्रगिरी

2. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए 

(i) ‘भाबर’ क्या है ?

उत्तर – आकृति भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में विभाजित किया जाता है। नदियां पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि ० मी ० के चौड़ी पट्टी से गुटका का निक्षेपण करती हैं। इसे ‘भाबर’ के नाम से जाना जाता है। सभी सरिताएं है इस भाबर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं।

(ii) हिमालय के तीन प्रमुख भागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए?

उत्तर – हिमालय विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है और एक अत्यधिक असम अवरोधों में से एक है। ये 2,400 कि ० मी० की लंबाई में फैले एक अर्धवृत्त का निर्माण करते हैं। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 400 कि० मी० एवं अरुणाचल में 150 कि० मी० है। पश्चिमी भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊंचाई में अधिक विविधता पाई जाती है।

अपने पूरे देशांतरीय विस्तार के साथ हिमालय को तीन भागों में बांट सकते हैं। इन श्रंखलाओं के बीच बहुत अधिक संख्या में घाटियां पाई जाती हैं। सबसे उत्तरी भाग में स्थित श्रंखला को महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि कहते हैं। यह सबसे अधिक सतत श्रंखला है, जिसमें 6,000 मीटर की औसत ऊंचाई वाले सर्वाधिक ऊंचे शिखर हैं। इसमें हिमालय के सभी मुख्य शिखर हैं।

हिमाद्री के दक्षिण में स्थित श्रंखला सबसे अधिक असम है एवं हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती हैं। इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यत: अत्यधिक संपीड़ित तथा परिवर्तित शैलो से हुआ है। इनकी ऊंचाई 3,700 मीटर से 4.500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। जबकि पीर पंजाल श्रंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रंखला है, धौलाधार एवं महाभारत श्रंखलाएं भी महत्वपूर्ण है। हिमालय की सबसे बाहरी श्रंखला को शिवा लिक कहा जाता है। इनकी चौड़ाई 10 से 50कि ०मी० तथा ऊंचाई 900 से 1.100 मीटर के बीच है। ये श्रंखलाएं, उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गयी असंपीड़ित अवसादो से बनी है।

(iii) अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में कौन- सा पठार स्थित है?

उत्तर – अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में मलावा पठार स्थित है। ये राजस्थान और मध्यप्रदेश के क्षेत्र में आता है।

(iv) भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।

उत्तर – द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था। 1917 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया। यह 32 वर्ग कि ०मी० के छोटे से क्षेत्र में फैला है। कावारती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है। इस द्वीप समूह पर पादप तथा जंतु के बहुत से प्रकार पाए जाते हैं। ये अंडमान एवं निकोबार द्वीप है। यह द्वीप समूह आकार में बड़े संख्या में बहुल तथा बिखरे हुए हैं। यह द्वीप समूह मुख्यत: दो भागों में बांटा गया है- उत्तर में अंडमान तथा दक्षिण में निकोबार।

3. निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए 

(i) बांगर और खादर

उत्तर – बांगर

उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ़ का बना है। वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। इस भाग को ‘बांगर’ के नाम से जाना जाता है।

खादर 

बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षपों को खादर कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुननिर्माण होता है। इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।

(ii) पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट

पूर्वी घाट – पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है। पूर्वी घाट का विस्तार सतत नहीं है। ये अनियमित है। एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है। पूर्वी घाट के दक्षिण- पश्चिम में शेवराय तथा जावेडी की पहाड़ियां स्थित हैं।

पश्चिमी घाट – दक्षिण के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमश पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित है। पश्चिमी घाट पश्चिमी तट के समानांतर स्थित है। वे सतत हैं तथा उन्हें केवल दर्रो के द्वारा ही पार किया जा सकता है। पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊंचे हैं। पूर्वी घाट के 600 मीटर की औसत ऊंचाई की तुलना में पश्चिमी घाट की ऊंचाई 900 से 1,600 मीटर हैं।

प्रश्न 4 – भारत के प्रमुख भू – आकृति विभाग कौन से हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अंतर है?

उत्तर –  भारत के प्रमुख भू -आकृतिक विभाग निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  1. हिमालय पर्वत श्रंखला
  2. उत्तरी मैदान
  3. प्रायद्वीपपीय पठार
  4. भारतीय मरुस्थल
  5. तटीय मैदान
  6. द्वीप समूह

हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में अंतर 

हिमालय क्षेत्र 

  1. भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रंखला हैं।
  2. ये पर्वत श्रृंखलाएं पश्चिम – पूर्व दिशा में सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली हैं।
  3. हिमालय विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है और एक अत्यधिक असम अवरोधों में से एक हैं।
  4. अपने पूरे देशांतरीय विस्तार के साथ हिमालय को तीन भागों में बांट सकते हैं।
  5. इन श्रृंखलाओं के बीच बहुत अधिक संख्या में घाटियां पाई जाती हैं।
  6. यह सबसे अधिक सतत श्रृंखला है।
  7. इसमें हिमालय के सभी मुख्य शिखर हैं।

प्रायद्वीप पठार

  1. प्रायद्वीपीय पठार एक मेज  की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलो से बना है।
  2. इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियां एवं गोलाकार पहाड़ियां हैं।
  3. इस पठार के दो मुख्य भाग हैं – मध्य उच्च भूमि और दक्कन का पठार।
  4. इस क्षेत्र में बहने वाली नदियां चंबल, सिंधु, बेतवा तथा केन दक्षिण – पश्चिम से उत्तर पूर्वी की तरह बहती हैं।
  5. विंध्य श्रृंखला दक्षिण में सतपुड़ा श्रृंखला तथा उत्तर – पश्चिम में अरावली से घिरी है।
  6. पश्चिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले मरुस्थल से मिल जाती है।
  7. मध्य उच्च भूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।

प्रश्न 5 – भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।

उत्तर – उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों – सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षो में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन में जलोढ़ का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है। इसका विस्तार 7 लाख किलोमीटर के क्षेत्र पर है। यह मैदान लगभग 2,400 किलोमीटर लंबा एवं 240 से 320 किलोमीटर चौड़ा है। यह संघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है।

समृद्ध मृदा, आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण किसी की दृष्टि से या भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है। उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ का बना है। वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित है तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 6 – निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए –

(i) मध्य हिमालय

उत्तर – मध्य हिमालय हिमाद्री के दक्षिण में स्थित श्रृंखला सबसे अधिक असम है एवं हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती हैं। इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यत: अत्यधिक संपीड़ित तथा परिवर्तित शैलो से हुआ है। इनकी ऊंचाई 3,700 मीटर से 4.500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। जबकि पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रंखला है, धौलाधार एवं महाभारत श्रृंखलाएं भी महत्वपूर्ण है। हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवा लिक कहा जाता है। इनकी चौड़ाई 10 से 50 कि०मी० तथा ऊंचाई 900 से 1.100 मीटर के बीच है। ये श्रृंखलाएं, उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गयी असंपीड़ित अवसादो से बनी है।

(ii) मध्य उच्च भूमि –

उत्तर – नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्च भूमि के नाम से जाना जाता है। प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलो से बना है। इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छीछली घाटियां एवं गोलाकार पहाड़ियां हैं। इस पठार के दो मुख्य भाग हैं – मध्य उच्च भूमि और दक्कन का पठार। इस क्षेत्र में बहने वाली नदियां चंबल, सिंधु, बेतवा तथा केन दक्षिण – पश्चिम से उत्तर पूर्वी की तरह बहती हैं। विंध्य श्रंखला दक्षिण में सतपुड़ा श्रंखला तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है।

(iii) भारत के द्वीप समूह

उत्तर – भारत के निम्नलिखित द्वीप समूहों के नाम इस प्रकार है –

अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप समूह।

अध्याय-3: अपवाह

Also Visit eStudyzone for English Medium Study Material