- मानव विकास
- मानव विकास
- FAQs on मानव विकास (Human Development)
- 1. मानव विकास क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
- 2. मानव विकास के चार प्रमुख स्तंभ क्या हैं?
- 3. मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है?
- 4. मानव विकास सूचकांक और आर्थिक विकास में क्या अंतर है?
- 5. मानव विकास के क्षेत्रीय असमानता के क्या कारण हैं?
- 6. मानव विकास में शिक्षा का क्या योगदान है?
- 7. भारत में मानव विकास सूचकांक का वर्तमान स्तर क्या है?
- 8. मानव विकास में स्थायित्व (Sustainability) का क्या महत्व है?
- 9. मानव विकास के लिए सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है?
- 10. मानव विकास में सामाजिक समानता का क्या योगदान है?
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मानव विकास
मानव विकास
मानव विकास, सार्थक जीवन केवल दीर्घ नहीं होता। जीवन का कोई उद्देश्य होना जरूरी है। अर्थात् लोग स्वस्थ हो विवेक पूर्वक सोचकर समाज में प्रतिभागिता करें व उद्देश्यों को पूरा करने में स्वतन्त्र हों।
विकास :-
गुणात्मक परिवर्तनों को विकास कहा जाता है विकल्पों में वृद्धि होना वर्तमान स्थिति में परिवर्तन होना ही विकास है।
वृद्धि :-
वृद्धि मात्रात्मक होती है वृद्धि को मापा जा सकता है वृद्धि धनात्मक भी हो सकती है और ऋणात्मक भी संख्या में होने वाले परिवर्तन को ही वृद्धि कहा जाता है।
विकास और वृद्धि में अन्तर :-
- वृद्धि समय के संदर्भ के मात्रात्मक एंव मूल्य निरपेक्ष परिवर्तन को सूचित करती है। यह धनात्मक व ऋणात्मक दोनों हो सकती है।
- विकास का अर्थ गुणात्मक परिर्वन से है जो मूल्य सापेक्ष होता है।
- विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वर्तमान दशाओं में सकारात्मक वृद्धि ना हो। यह गुणात्मक एवं पूर्ण सकारात्मक परिवर्तन की सूचक है।
- मानव विकास :-
- मानव विकास से तात्पर्य लोगों के विकल्पों में वृद्धि करना तथा उनके जीवन में सुधार लाना है। यह व्यक्ति के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन को प्रदर्शित करता है।
डॉ . महबूब उल हक द्वारा मानव विकास का वर्णन :-
” मानव विकास का अभिप्राय ऐसे विकास से है जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता है। विकास का मूल उद्देश्य ऐसी दशाओं को उत्पन्न करना है जिनमें लोग सार्थक जीवन व्यतीत कर सकें।
” मानव विकास के चार स्तम्भ :-
- समता :- उपलब्ध अवसरों में प्रत्येक व्यक्ति को समान भागीदारी मिलना ही समानता है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग, प्रजाति, आय और भारत के संदर्भ में जाति के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिए।
- सतत् पोषणीयता :- सतत् पोषणीयता का अर्थ अवसरों की उपलब्धि में निरन्तरता है। इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिलें। भावी पीढ़ियों को ध्यान में रखकर पर्यावरणीय, वित्तीय और मानव संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। इनमें से किसी भी संसाधन का दुरूपयोग भावी पीढ़ी के लिए अवसरों को कम करेगा।
- उत्पादकता :- यहाँ उत्पादकता शब्द का प्रयोग मानव श्रम की उत्पादकता के संदर्भ में किया जाता है। लोगों को समर्थ और सक्षम बनाकर मानव श्रम की उत्पादकता को निरन्तर बेहतर बनाना चाहिए। लोगों के ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास तथा उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने से उनकी कार्य क्षमता बेहतर होगी।
- सशक्तीकरण :- सशक्तिकरण का तात्पर्य आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को हर तरह से समर्थ बनाना। जिससे वे विकल्प चुनने के लिए स्वतंत्र रहे।
मानव विकास के विभिन्न उपागम :-
मानव विकास से सम्बन्धित समस्याओं के लिए अनेक उपागम है। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण निम्न है :-
- आय उपागम :- यह मानव के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़कर देखा जाता है। आय का उच्च स्तर विकास के ऊंचे स्तर को दर्शाता है।
- कल्याण उपागम :- यह उपागम मानव को लाभार्थी अथवा सभी विकासात्मक गतिविधियों के लक्ष्य के रूप में देखता है। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।
- आधारभूत आवश्यकता उपागम :- इस उपागम को मूलरूप से अन्तराष्ट्रीय श्रम संगठन ने प्रस्तावित किया था। इसमें छ : न्यूनतम् आवश्यकताओं जैसे – शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता, स्वास्थ्य और आवास की पहचान की गई थी। इनमें मानव विकल्पों के प्रश्न की उपेक्षा की गई है।
- क्षमता उपागम :- इस उपागम का संबंध प्रो . अमर्त्य सेन से है। संसाधनों तक पहंच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण करना बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।
मानव विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
- देश के आर्थिक विकास के लिए मानव विकास अति आवश्यक है जो निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट होता है।
- मानव विकास से राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की जा सकती है।
- यदि देश में योग्य कुशल प्रतिभावान व्यक्ति वैज्ञानिक आदि होंगे तो देश के प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण, व कुशलतम उपयोग हो सकता है। मानव विकास से उत्पादन की नई तकनीकों का विकास होगा।
- श्रम न केवल उत्पादक है बल्कि उपभोक्ता भी है। यह वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन ही नहीं उनका उपयोग भी करता है। इस तरह श्रम वस्तुओं की और सेवाओं की मांग करता है।
मानव विकास सूचकांक :-
मानव विकास सूचकांक ‘ एक मापक है जिसके द्वारा किसी देश के लोगो के विकास का मापन, उनके स्वास्थ्य, शिक्षा के स्तर तथा संसाधनों तक उनकी पहुंच के संदर्भ में किया जाता है। यह सूचकांक 0 – 1 के बीच कुछ भी हो सकता है।
मानव विकास सूचकांक का मापन किस प्रकार किया जाता है ?
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ‘ मानव विकास लोगों के विकल्पों को विकसित व परिवर्द्धित करने की प्रक्रिया है। मानव विकास सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा तथा संसाधनों तक पहुंच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निष्पादन के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है। यह क्रम 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है, जो किसी देश के मानव विकास सूचकों के रिकार्ड से प्राप्त किया जाता है।
मानव विकास के मापन के तीन प्रमुख सूचकांक :-
- स्वास्थ्य :- स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए चुना गया सूचक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है जो दीर्घ एंव स्वस्थ्य जीवन का सूचक है।
- शिक्षा :- शिक्षा का मूल्यांकन करने के लिए प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात को आधार माना जाता है। यह मनुष्य की ज्ञान तक पहुंच को प्रदर्शित करता है।
- संसाधनों तक पहुंच :- यह लोगों की क्रय शक्ति को प्रकट करता है। यह आर्थिक सामर्थ्य का सूचक है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम :-
1990 से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) मानव विकास सूचकांक और मानव गरीबी सूचकांक को मापकर मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
मानव विकास के उच्च स्तर वाले देश :-
- इन देशों में सेवाओं जैसे शिक्षा एंव स्वास्थ्य पर सरकार द्वारा अत्याधिक निवेश किया जाता है तथा इन सेवाओं को उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होती है।
- राजनैतिक उपद्रव एवं सामाजिक अस्थिरता यहाँ पर नहीं पाई जाती है।
- यहाँ बहुत अधिक सामाजिक विविधता नहीं है।
- इस देशों में नार्वे, आईसलैंड, आस्ट्रेलिया, लेक्जेमबर्ग, कनाडा आदि।
मानव विकास के निम्न स्तर वाले देश :-
- सामाजिक सेवाओं में सरकार द्वारा आवश्यक निवेश किया जाता है।
- इन देशों में प्रतिरक्षा एवं गृहकलह शान्त करने में अधिक व्यय होता है। अधिकांश देशों में आर्थिक विकास की गति बहुत धीमी है।
- अधिकांश देश राजनैतिक उपद्रवों गृहयुद्ध, सामाजिक अस्थिरता – अकाल अथवा बीमारियों के दौर से गुज़र रहे हैं।
FAQs on मानव विकास (Human Development)
1. मानव विकास क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
मानव विकास का अर्थ है, व्यक्तियों और समुदायों के जीवन स्तर, उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, और आर्थिक अवसरों में सुधार करना। यह केवल आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि मानव जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। मानव विकास का उद्देश्य लोगों को उनकी क्षमताओं और अवसरों को बढ़ाने में सक्षम बनाना है ताकि वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकें। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज की समग्र प्रगति का मापदंड है और आर्थिक विकास के साथ सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करता है।
2. मानव विकास के चार प्रमुख स्तंभ क्या हैं?
उत्तर:
मानव विकास के चार प्रमुख स्तंभ हैं:
- समानता (Equity): सभी को समान अवसर प्रदान करना।
- स्थायित्व (Sustainability): संसाधनों का इस प्रकार उपयोग करना कि वे भविष्य में भी उपलब्ध रहें।
- उत्पादकता (Productivity): संसाधनों और क्षमताओं का अधिकतम उपयोग।
- सशक्तिकरण (Empowerment): लोगों को अपने निर्णय लेने और अपनी जिंदगी बेहतर बनाने की स्वतंत्रता देना।
3. मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक (HDI) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा विकसित एक सूचकांक है जो किसी देश के मानव विकास स्तर को मापता है। इसमें तीन मुख्य घटक होते हैं:
- जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy): स्वास्थ्य और जीवन स्तर को मापने के लिए।
- शिक्षा (Education): औसत और अपेक्षित स्कूली शिक्षा वर्ष।
- प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income): जीवन स्तर और आर्थिक संसाधनों को मापने के लिए।
4. मानव विकास सूचकांक और आर्थिक विकास में क्या अंतर है?
उत्तर:
- मानव विकास सूचकांक: यह स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के आधार पर किसी देश की समग्र प्रगति को मापता है।
- आर्थिक विकास: यह केवल देश की आर्थिक गतिविधियों, जैसे GDP, औद्योगिक उत्पादन आदि पर केंद्रित होता है।
मानव विकास में आर्थिक विकास शामिल होता है, लेकिन यह समाज के अन्य पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और समानता पर भी ध्यान देता है।
5. मानव विकास के क्षेत्रीय असमानता के क्या कारण हैं?
उत्तर:
मानव विकास में क्षेत्रीय असमानता के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- आर्थिक संसाधनों का असमान वितरण।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी।
- सरकार की नीतियों में भेदभाव।
- भौगोलिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ।
- संस्कृति और सामाजिक कारक।
6. मानव विकास में शिक्षा का क्या योगदान है?
उत्तर:
शिक्षा मानव विकास का एक प्रमुख घटक है। यह लोगों को कौशल, ज्ञान और समझ प्रदान करती है, जिससे उनकी उत्पादकता और रोजगार क्षमता बढ़ती है। शिक्षा के माध्यम से:
- सशक्तिकरण होता है।
- आर्थिक और सामाजिक गतिशीलता संभव होती है।
- स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार होता है।
- सामाजिक असमानताओं को कम किया जा सकता है।
7. भारत में मानव विकास सूचकांक का वर्तमान स्तर क्या है?
उत्तर:
भारत का मानव विकास सूचकांक वैश्विक औसत से कम है। हालांकि, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार के साथ यह सूचकांक बढ़ रहा है। भारत में असमानता-समायोजित HDI (IHDI) कम है क्योंकि यहां क्षेत्रीय और सामाजिक असमानताएँ अधिक हैं। वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार, भारत HDI रैंकिंग में मध्यम श्रेणी में आता है।
8. मानव विकास में स्थायित्व (Sustainability) का क्या महत्व है?
उत्तर:
स्थायित्व मानव विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह सुनिश्चित करता है कि वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते समय प्राकृतिक संसाधनों का ऐसा उपयोग करे कि वे भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी उपलब्ध रहें। पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना, संसाधनों का कुशल प्रबंधन, और हरित विकास (Green Development) इसके मुख्य उद्देश्य हैं।
9. मानव विकास के लिए सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सशक्तिकरण मानव विकास का मुख्य घटक है क्योंकि यह लोगों को अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग करने का अवसर देता है।
- यह व्यक्तिगत और सामुदायिक निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है।
- महिलाएँ और कमजोर वर्ग सशक्त होकर समाज में समान भूमिका निभा सकते हैं।
- यह सामाजिक न्याय और समावेशिता को प्रोत्साहित करता है।
10. मानव विकास में सामाजिक समानता का क्या योगदान है?
उत्तर:
सामाजिक समानता मानव विकास का एक आवश्यक तत्व है। जब सभी लोगों को समान अवसर मिलते हैं, तो समाज में:
- आर्थिक और सामाजिक विकास तेज होता है।
- गरीबी और असमानता में कमी आती है।
- सामाजिक तनाव और संघर्षों में कमी आती है।
- वंचित वर्गों का सशक्तिकरण होता है।