Importent FAQs related to the topic राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ
1. स्वतंत्र भारत में राष्ट्र निर्माण की सबसे प्रमुख चुनौतियाँ क्या थीं?
भारत को स्वतंत्रता के समय तीन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ा:
- राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखना: विविध भाषाओं, धर्मों, और जातियों के देश में सांप्रदायिक एकता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था।
- लोकतंत्र की स्थापना: एक स्थिर लोकतांत्रिक शासन स्थापित करना।
- आर्थिक विकास और पुनर्निर्माण: विभाजन के कारण शरणार्थियों का पुनर्वास, गरीबी उन्मूलन, और औद्योगिक विकास।
2. 1947 में भारत विभाजन ने राष्ट्र निर्माण को कैसे प्रभावित किया?
भारत विभाजन ने सांप्रदायिक हिंसा, बड़े पैमाने पर शरणार्थी संकट और सामाजिक अस्थिरता को जन्म दिया।
- पाकिस्तान के निर्माण ने क्षेत्रीय अखंडता पर प्रश्न खड़ा किया।
- विभाजन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा ने सांप्रदायिक एकता की भावना को कमजोर किया।
3. रियासतों के एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका क्या थी?
सरदार पटेल को “लौह पुरुष” कहा जाता है, जिन्होंने 500 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में जोड़ा।
- पटेल ने साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाई।
- हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसी समस्याग्रस्त रियासतों को भारत में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. संविधान निर्माण राष्ट्र निर्माण के लिए कैसे महत्वपूर्ण था?
भारतीय संविधान ने देश को एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था प्रदान की।
- संविधान में मौलिक अधिकार और संघीय ढांचा, राष्ट्रीय एकता और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्थापित किए गए।
- यह विभाजन के बाद के सांप्रदायिक तनाव को शांत करने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में सहायक हुआ।
5. कांग्रेस प्रणाली और एक-दलीय प्रभुत्व राष्ट्र निर्माण में कैसे सहायक रहे?
नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक-दलीय शासन स्थापित किया।
- इससे राजनीतिक स्थिरता मिली।
- यह प्रणाली नई नीतियों के निर्माण और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने में सहायक रही।
6. शीत युद्ध का राष्ट्र निर्माण पर क्या प्रभाव पड़ा?
शीत युद्ध के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्ष नीति अपनाई।
- इसने भारत को आर्थिक और सैन्य सहायता प्राप्त करने में मदद की।
- भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई।
7. भारत के आर्थिक विकास में नियोजित अर्थव्यवस्था की क्या भूमिका थी?
भारत ने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कृषि, उद्योग और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी।
- हरित क्रांति और औद्योगिक विकास से आत्मनिर्भरता बढ़ी।
- आर्थिक असमानता कम करने के लिए भूमि सुधार और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम लागू किए गए।
8. भारत की विदेश नीति का राष्ट्र निर्माण में क्या योगदान है?
- नेहरू की गुटनिरपेक्ष नीति ने भारत को वैश्विक शांति और विकास में भाग लेने की अनुमति दी।
- पड़ोसी देशों के साथ संबंध स्थापित करने और औपनिवेशिक विरासत को दूर करने में मदद मिली।
9. क्षेत्रीय आकांक्षाओं का समाधान राष्ट्र निर्माण के लिए क्यों आवश्यक था?
अनेक राज्यों में क्षेत्रीय आकांक्षाएँ अलगाववाद की ओर बढ़ने लगीं।
- भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन (1956) किया गया।
- इन आकांक्षाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से हल किया गया।
10. आज के संदर्भ में राष्ट्र निर्माण की क्या चुनौतियाँ हैं?
- सामाजिक असमानता: जातीय और लैंगिक भेदभाव।
- आर्थिक असमानता: ग्रामीण-शहरी विभाजन।
- सांप्रदायिकता और अलगाववाद: सांप्रदायिक तनाव और उग्रवाद।
- वैश्वीकरण का प्रभाव: पारंपरिक मूल्यों का क्षरण और आर्थिक अस्थिरता।