- NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi
- विधुत आवेश (Electric Charge)
- विधुत क्षेत्र (Electric Field)
- ओह्म का नियम (Ohm’s Law)
- विद्युत धारा (Electric Current)
- विद्युत प्रतिरोध (Electric Resistance)
- विद्युत ऊर्जा (Electric Energy)
- विद्युत शक्ति (Electric Power)
- धारा के प्रकार (Types of Electric Current)
- विद्युत सर्किट (Electric Circuit)
- विद्युत सुरक्षा (Electric Safety)
- निष्कर्ष
- NCERT Solutions
NCERT Solutions for Class 10 Science in Hindi
विधुत – कक्षा 10वीं विज्ञान
परिभाषा
विधुत वह प्राकृतिक बल है जो पदार्थों में मौजूद आवेशों द्वारा उत्पन्न होता है। जब हम विद्युत के बारे में बात करते हैं, तो हम मुख्य रूप से दो प्रकार की विद्युत से संबंधित होते हैं—स्थिर विद्युत (Static Electricity) और धारा (Current Electricity)। विद्युत की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम विद्युत के मौलिक सिद्धांतों को समझें, जैसे कि आवेश, विद्युत क्षेत्र, ओह्म का नियम, विद्युत ऊर्जा और शक्ति आदि।
विधुत आवेश (Electric Charge)
विधुत आवेश पदार्थों के कणों द्वारा उत्पन्न होता है। यह दो प्रकार के होते हैं:
- सकारात्मक आवेश (Positive Charge): यह उस समय उत्पन्न होता है जब इलेक्ट्रॉन किसी वस्तु से हट जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि रेजर के साथ रुमाल को घिसा जाए, तो रेजर में सकारात्मक आवेश उत्पन्न होगा।
- नकारात्मक आवेश (Negative Charge): यह उस समय उत्पन्न होता है जब इलेक्ट्रॉन किसी वस्तु पर जुड़ जाते हैं। जैसे, जब रुमाल रेजर के साथ घिसा जाता है, तो रुमाल पर नकारात्मक आवेश उत्पन्न होगा।
आवेश का परिमाण
आवेश का परिमाण (Quantification of Charge) एसआई इकाई कूलम (Coulomb, C) में मापा जाता है। एक कूलम वह आवेश होता है जो एक सेकंड में 1 एम्पियर धारा के द्वारा एक तार के माध्यम से बहता है।
विधुत क्षेत्र (Electric Field)
विधुत क्षेत्र एक काल्पनिक क्षेत्र है जो किसी आवेश द्वारा उत्पन्न होता है। यदि एक सकारात्मक आवेश किसी स्थान पर रखा जाए, तो वह आस-पास के स्थानों पर एक क्षेत्र उत्पन्न करेगा। विद्युत क्षेत्र की दिशा हमेशा सकारात्मक आवेश की ओर होती है। विद्युत क्षेत्र का परिमाण इलेक्ट्रिक फील्ड स्ट्रेंथ (Electric Field Strength) के रूप में मापा जाता है, जिसकी इकाई न्यूटन प्रति कूलम (N/C) है।
ओह्म का नियम (Ohm’s Law)
ओह्म का नियम विद्युत धारा, वोल्टेज और प्रतिरोध (Resistance) के बीच के संबंध को व्यक्त करता है। यह नियम कहता है कि “किसी चालक में बहने वाली विद्युत धारा उसके दोनों सिरों के बीच वोल्टेज के अनुपाती होती है और चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रमी होती है।”
ओह्म का नियम:
V=I×RV = I \times R
जहाँ:
- VV = वोल्टेज (Voltage) (वोल्ट में)
- II = धारा (Current) (एम्पियर में)
- RR = प्रतिरोध (Resistance) (ओम में)
यह नियम हमें बताता है कि यदि किसी चालक पर वोल्टेज बढ़ाया जाता है, तो उसमें बहने वाली धारा भी बढ़ेगी। इसके विपरीत, यदि प्रतिरोध बढ़ाया जाता है, तो धारा कम हो जाएगी।
विद्युत धारा (Electric Current)
विद्युत धारा वह गति है जो इलेक्ट्रॉनों के एक दिशा में बहने से उत्पन्न होती है। इसे अम्पीयर (Ampere, A) में मापा जाता है। एक एम्पीयर वह धारा होती है जो किसी तार के माध्यम से एक सेकंड में एक कूलम आवेश को पार करती है। विद्युत धारा का दिशा सकारात्मक से नकारात्मक की ओर होती है, जबकि वास्तविक इलेक्ट्रॉन नकारात्मक से सकारात्मक की ओर बहते हैं।
विद्युत प्रतिरोध (Electric Resistance)
विद्युत प्रतिरोध वह गुण है जो किसी सामग्री को विद्युत धारा के बहने का प्रतिरोध करने के रूप में व्यक्त करता है। प्रतिरोध की SI इकाई ओम (Ω) है। किसी सामग्री का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:
- सामग्री की प्रकार: कुछ पदार्थ जैसे ताम्र (Copper) का प्रतिरोध कम होता है, जबकि कुछ जैसे रेजिस्टर्स का प्रतिरोध अधिक होता है।
- लंबाई (Length): अधिक लंबी तार में अधिक प्रतिरोध होगा।
- व्यास (Cross-sectional Area): मोटी तार में कम प्रतिरोध होता है।
- तापमान (Temperature): तापमान बढ़ने से पदार्थ का प्रतिरोध बढ़ता है।
विद्युत ऊर्जा (Electric Energy)
जब विद्युत धारा किसी उपकरण से होकर बहती है, तो वह ऊर्जा का रूपांतरण करती है। उदाहरण के लिए, बिजली का पंखा घूमने में, बल्ब रोशन होने में, या अन्य उपकरण कार्य करने में विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण होता है। विद्युत ऊर्जा का सूत्र है:
E=V×I×tE = V \times I \times t
जहाँ:
- EE = विद्युत ऊर्जा (Joules में)
- VV = वोल्टेज (Volts में)
- II = धारा (Ampere में)
- tt = समय (सेकंड में)
विद्युत शक्ति (Electric Power)
विद्युत शक्ति वह दर है जिस पर विद्युत ऊर्जा का उपयोग या रूपांतरण होता है। इसे वाट (Watt, W) में मापा जाता है। विद्युत शक्ति का सूत्र है:
P=V×IP = V \times I
जहाँ:
- PP = विद्युत शक्ति (Watt में)
- VV = वोल्टेज (Volts में)
- II = धारा (Ampere में)
धारा के प्रकार (Types of Electric Current)
- स्थिर धारा (Direct Current – DC): इसमें धारा एक ही दिशा में बहती है। जैसे बैटरी में उत्पन्न धारा।
- परिवर्तित धारा (Alternating Current – AC): इसमें धारा अपनी दिशा को समय-समय पर बदलती रहती है। घरों और उद्योगों में मुख्य रूप से एसी धारा का उपयोग होता है।
विद्युत सर्किट (Electric Circuit)
विद्युत सर्किट वह मार्ग है जिसमें विद्युत धारा बह सकती है। यह विभिन्न यंत्रों जैसे बल्ब, बैटरी, स्विच आदि से मिलकर बनता है। विद्युत सर्किट दो प्रकार के होते हैं:
- श्रृंखलाबद्ध सर्किट (Series Circuit): इसमें सभी घटक एक साथ जुड़े होते हैं। यदि एक घटक भी खराब हो जाए तो पूरी सर्किट बंद हो जाती है।
- समानांतर सर्किट (Parallel Circuit): इसमें घटक समानांतर रूप से जुड़े होते हैं। किसी एक घटक के खराब होने से बाकी घटक कार्य करते रहते हैं।
विद्युत सुरक्षा (Electric Safety)
विद्युत उपकरणों का उपयोग करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है, जैसे:
- फ्यूज (Fuse): यह एक सुरक्षा उपकरण है, जो अत्यधिक धारा के कारण सर्किट को बंद कर देता है।
- अर्थिंग (Earthing): इससे विद्युत उपकरणों में कोई फॉल्ट होने पर वह सुरक्षित तरीके से पृथ्वी तक पहुंचता है, जिससे कोई दुर्घटना नहीं होती।
- स्विच (Switch): यह विद्युत सर्किट को चालू या बंद करने के लिए उपयोग होता है।
निष्कर्ष
विधुत विज्ञान का अध्ययन हमें ऊर्जा के विभिन्न रूपों और उनके कार्यों को समझने में मदद करता है। यह न केवल हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी है, बल्कि आधुनिक युग के तकनीकी विकास में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्युत उपकरणों का सही उपयोग और सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि हम किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं से बच सकें और विद्युत ऊर्जा का अधिकतम लाभ उठा सकें।
NCERT Solutions
https://readspot.in/ch10/