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विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic Effect of Electric Current) – कक्षा 10 विज्ञान
प्रस्तावना
विधुत धारा के प्रवाह के कारण चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होता है। यह प्रभाव ओर्स्टेड (Hans Christian Ørsted) द्वारा 1820 में पहली बार देखा गया था, जब उन्होंने यह पाया कि यदि एक तार में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो तो उसके आसपास चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। चुंबकीय प्रभाव विद्युत धारा के प्रवाह और चुंबकीय क्षेत्र के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करता है। इस प्रभाव का अध्ययन करना हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रभाव कई उपकरणों और तकनीकों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि इलेक्ट्रोमैग्नेट, मोटर, जनरेटर आदि।
विधुत धारा और चुंबकीय क्षेत्र
जब कोई विद्युत धारा किसी चालक तार में बहती है, तो वह चालक तार के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यह चुंबकीय क्षेत्र उस धारा की दिशा और शक्ति पर निर्भर करता है। इस क्षेत्र की दिशा का निर्धारण हाथ की दाहिनी अंगुली के नियम (Right Hand Thumb Rule) से किया जाता है।
ओर्स्टेड का प्रयोग
हांस क्रिश्चियन ओर्स्टेड ने सबसे पहले इस प्रभाव का अनुभव किया। उन्होंने एक विद्युत धारा प्रवाहित हो रहे तार को एक चुंबकीय सूत के पास रखा। उन्होंने देखा कि जब धारा प्रवाहित होती है, तो सूत को एक दिशा में घुमाया जाता था। इससे यह सिद्ध हुआ कि विद्युत धारा के आसपास चुंबकीय क्षेत्र होता है। ओर्स्टेड का यह प्रयोग विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव का प्रमाण था और इसी से चुंबकीय क्षेत्र और विद्युत धारा के सम्बन्ध की खोज शुरू हुई।
हाथ की दाहिनी अंगुली का नियम (Right Hand Thumb Rule)
हाथ की दाहिनी अंगुली का नियम यह बताता है कि यदि हम किसी चालक तार में प्रवाहित होती धारा के दिशा के अनुसार अपने दाहिने हाथ की अंगुली को मोड़ते हैं, तो अंगुली के चारों ओर जिस दिशा में अंगूठा घूमेगा, उस दिशा में चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं बनती हैं।
- यदि तार को सीधा पकड़ा जाए और उसमें धारा का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर हो, तो अंगूठा ऊपर की दिशा में होगा और अंगुलियां तार के चारों ओर गोल घुमेंगी, जिससे चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का निर्धारण होता है।
चुंबकीय क्षेत्र की ताकत
चुंबकीय क्षेत्र की ताकत विद्युत धारा और चालक की लंबाई पर निर्भर करती है। यह ताकत जितनी अधिक होगी, चुंबकीय क्षेत्र भी उतना ही शक्तिशाली होगा। चुंबकीय क्षेत्र की ताकत को मापने के लिए “ऐमपियर” (Ampere) नामक इकाई का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, चुंबकीय क्षेत्र की ताकत को प्रभावित करने वाले अन्य कारक जैसे कि चालक के निकटता, धारा का प्रवाह और चालक की लंबाई आदि होते हैं।
विद्युत धारा द्वारा चुंबकीय प्रभाव के उपयोग
विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव का उपयोग कई स्थानों पर किया जाता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं:
- इलेक्ट्रोमैग्नेट (Electromagnet): विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग इलेक्ट्रोमैग्नेट में किया जाता है। जब कोई तार में विद्युत धारा बहती है, तो वह तार एक चुंबक जैसा कार्य करने लगता है। यदि तार को लोहा या स्टील की कोर से लपेट दिया जाए, तो वह चुंबक और भी शक्तिशाली बन जाता है। इलेक्ट्रोमैग्नेट का उपयोग क्रेन, इलेक्ट्रिक मोटर्स, और धातु के कचरे को उठाने में होता है।
- ध्रुवीय मोटर (Electric Motor): एक इलेक्ट्रिक मोटर में विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुंबकीय प्रभाव का उपयोग किया जाता है। मोटर में एक ध्रुवीय चुंबक और एक विद्युत धारा से लदा हुआ कुंडल (coil) होता है। चुंबकीय क्षेत्र द्वारा कुंडल को घुमाया जाता है, जिससे मोटर में यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे कई उपकरणों जैसे पंखे, वाशिंग मशीन और पंप आदि में इस्तेमाल किया जाता है।
- जनरेटर (Generator): विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव जनरेटर में भी देखा जाता है। जनरेटर में चुंबकीय क्षेत्र और यांत्रिक ऊर्जा के बीच परस्पर कार्य होता है। जब चुंबक की मदद से किसी तार के कुंडल को घुमाया जाता है, तो विद्युत धारा उत्पन्न होती है। इसका उपयोग बिजली पैदा करने में किया जाता है।
- चुंबकीय ब्रेक (Magnetic Brakes): चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव का उपयोग चुंबकीय ब्रेक में भी किया जाता है। इस प्रणाली में, जब एक चालक को चुंबकीय क्षेत्र के अंदर रखा जाता है, तो उसकी गति को रोकने के लिए एक विपरीत बल उत्पन्न होता है। इसका उपयोग उच्च गति वाले वाहनों या उपकरणों में किया जाता है।
- मेटल डिटेक्टर (Metal Detector): विद्युत धारा और चुंबकीय प्रभाव का उपयोग मेटल डिटेक्टर में भी किया जाता है। यह उपकरण एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है और जब किसी धातु का संपर्क होता है, तो उस धातु के कारण चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव आता है, जिससे डिटेक्टर इसे पहचानता है।
चुंबकीय क्षेत्र का माप (Magnetic Field Measurement)
चुंबकीय क्षेत्र की ताकत को मापने के लिए एक यंत्र का उपयोग किया जाता है जिसे “मैग्नेटोमीटर” कहते हैं। यह यंत्र चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और ताकत को मापता है। इसके अलावा, चुंबकीय क्षेत्र की ताकत को “गॉस” (Gauss) या “टेस्ला” (Tesla) की इकाई में मापा जाता है। 1 टेस्ला = 10,000 गॉस होता है।
निष्कर्ष
विधुत धारा का चुंबकीय प्रभाव विद्युत और चुंबकत्व के बीच के गहरे सम्बन्ध को दर्शाता है। इसका उपयोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों में हो रहा है, जैसे कि मोटर, जनरेटर, इलेक्ट्रोमैग्नेट, और मेटल डिटेक्टर आदि में। यह प्रभाव न केवल विज्ञान में महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके अनुप्रयोग हमारे रोज़मर्रा के जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, इस प्रभाव को समझना और इसके उपयोगों को जानना छात्रों के लिए बहुत आवश्यक है।
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