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अध्याय 13: हम बीमार क्यों होते है

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हम बीमार क्यों होते हैं

हम बीमार क्यों होते है

हम बीमार क्यों होते है

हम बीमार क्यों होते है, स्वस्थ शरीर मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है। परंतु कभी-कभी हम बीमार पड़ जाते हैं। यह बीमारियाँ शरीर के सामान्य कार्यों में रुकावट डालती हैं। बीमारियाँ क्यों और कैसे होती हैं, इसका अध्ययन हमें स्वास्थ्य और बीमारियों के बीच के संबंध को समझने में मदद करता है।

इस अध्याय में हम बीमारियों के कारण, प्रकार, उनकी रोकथाम, और उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


बीमारी और स्वास्थ्य का संबंध

बीमारी (Disease) एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का कोई अंग या प्रणाली सही ढंग से काम नहीं करती। इसे स्वास्थ्य की सामान्य स्थिति में बाधा भी कहा जा सकता है।

  • स्वास्थ्य की परिभाषा: स्वास्थ्य केवल बीमारियों की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक कल्याण की स्थिति है।
  • बीमारियाँ क्यों महत्वपूर्ण हैं?
    • बीमारियाँ शरीर के कार्यों को बाधित करती हैं।
    • यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति और सामाजिक कार्यक्षमता को भी प्रभावित कर सकती हैं।

बीमारियों के कारण

हमारे बीमार होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं। इन्हें मुख्यतः दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

1. आंतरिक कारण (Internal Causes)

आंतरिक कारण वे होते हैं जो हमारे शरीर के अंदर से उत्पन्न होते हैं।

  • आनुवंशिक दोष: कुछ बीमारियाँ जन्मजात होती हैं, जैसे थैलेसीमिया और हीमोफीलिया।
  • पोषण की कमी: यदि किसी विशेष पोषक तत्व की कमी हो, तो यह बीमारी का कारण बन सकती है। जैसे, विटामिन-सी की कमी से स्कर्वी।
  • हार्मोनल असंतुलन: मधुमेह (डायबिटीज़) हार्मोनल असंतुलन का एक उदाहरण है।

2. बाहरी कारण (External Causes)

बाहरी कारण वे हैं जो हमारे शरीर के बाहर से आते हैं।

  • संक्रामक एजेंट (Infectious Agents):
    • बैक्टीरिया: टाइफॉयड, क्षय रोग (टी.बी.)।
    • वायरस: डेंगू, इन्फ्लुएंजा।
    • प्रोटोजोआ: मलेरिया।
    • फंगी: त्वचा रोग।
  • पारिस्थितिकीय कारक:
    • गंदगी और प्रदूषण।
    • पानी और भोजन का दूषित होना।

बीमारियों के प्रकार

बीमारियों को मुख्य रूप से दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. संक्रामक बीमारियाँ (Infectious Diseases)

  • ये बीमारियाँ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं।
  • इनके फैलने के साधन:
    • हवा: खांसी, छींक, या सांस लेने से (जैसे, क्षय रोग)।
    • जल: दूषित पानी के कारण (जैसे, हैजा)।
    • संपर्क: त्वचा के संपर्क से (जैसे, दाद)।
    • वाहक जीव: मच्छर, मक्खी (जैसे, मलेरिया)।

2. गैर-संक्रामक बीमारियाँ (Non-Infectious Diseases)

  • ये बीमारियाँ एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती हैं।
  • जैसे,
    • मधुमेह (डायबिटीज़)।
    • उच्च रक्तचाप।
    • कैंसर।

संक्रामक रोगों का अध्ययन

संक्रामक रोगों को फैलाने वाले कारकों को समझना आवश्यक है। इनके चार प्रमुख घटक हैं:

  1. रोगजनक (Pathogen): बीमारी का कारण बनने वाला सूक्ष्मजीव।
  2. मेजबान (Host): जिस जीव के शरीर में रोगजनक रहते हैं।
  3. वातावरण (Environment): रोगजनक के विकास और प्रसार में सहायक।
  4. संचरण माध्यम (Transmission Medium): रोगजनक के फैलने का तरीका।

संक्रामक रोगों के प्रमुख उदाहरण

रोग कारक फैलने का तरीका लक्षण
मलेरिया प्रोटोजोआ मच्छर के काटने से बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द।
हैजा बैक्टीरिया दूषित जल या भोजन उल्टी, दस्त, निर्जलीकरण।
डेंगू वायरस मच्छर के काटने से बुखार, खून बहना, जोड़ों में दर्द।
तपेदिक (टी.बी.) बैक्टीरिया हवा के माध्यम से खांसी, वजन कम होना, बुखार।

रोगों के लक्षण और प्रभाव

बीमारियाँ शरीर को दो प्रकार से प्रभावित करती हैं:

  1. तीव्र प्रभाव (Acute Effects)
    • ये बीमारियाँ जल्दी ठीक हो जाती हैं।
    • उदाहरण: सर्दी-जुकाम।
  2. दीर्घकालिक प्रभाव (Chronic Effects)
    • इन बीमारियों का असर लंबे समय तक रहता है।
    • उदाहरण: मधुमेह, टी.बी।

लक्षणों का महत्व

  • लक्षण हमें यह संकेत देते हैं कि हमारा शरीर असामान्य तरीके से काम कर रहा है।
  • ये बीमारी का निदान करने में मदद करते हैं।

बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण

1. रोगों से बचाव

बीमारियों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • स्वच्छता: साफ पानी, स्वच्छ भोजन और व्यक्तिगत सफाई।
  • टीकाकरण: टीके हमारे शरीर को रोगजनकों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं।
  • पोषण युक्त आहार: एक संतुलित आहार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  • शारीरिक व्यायाम: नियमित व्यायाम से शरीर स्वस्थ रहता है।

2. रोग नियंत्रण

  • एंटीबायोटिक्स: ये बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी होती हैं।
  • एंटीवायरल दवाएं: वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करती हैं।
  • अन्य उपचार: प्रोटोजोआ और फंगी से संबंधित रोगों के लिए विशेष दवाइयाँ।

टीकाकरण का महत्व

  • टीकाकरण शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
  • यह रोगजनक के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है।
  • भारत में विभिन्न टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जैसे पल्स पोलियो अभियान।

सारांश

बीमारियाँ हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं, लेकिन सही जानकारी और प्रयास से हम इन्हें रोक सकते हैं।

  • स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छता, संतुलित आहार, और व्यायाम आवश्यक हैं।
  • संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण और व्यक्तिगत स्वच्छता को अपनाना चाहिए।
  • बीमारियों का प्रारंभिक निदान और उपचार उन्हें गंभीर बनने से रोकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
  • बीमारियों से बचाव ही सबसे बेहतर उपचार है।

अध्याय से संबंधित प्रश्न

  1. लघु उत्तरीय प्रश्न
    • (i) संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों में क्या अंतर है?
    • (ii) मलेरिया किस प्रकार फैलता है?
  2. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
    • (i) संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोकने के उपाय बताइए।
    • (ii) रोग और स्वास्थ्य के बीच के संबंध को समझाइए।

FAQs on “हम बीमार क्यों होते हैं”

Q1. बीमारियाँ किसे कहते हैं और यह हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करती हैं?

उत्तर:
बीमारी एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर का कोई अंग या प्रणाली सामान्य रूप से काम नहीं करती। यह शरीर के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कार्यों को बाधित करती है। बीमारियाँ संक्रमण, पोषण की कमी, आनुवंशिक दोष, या बाहरी कारकों के कारण हो सकती हैं।

Q2. संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों में क्या अंतर है?

उत्तर:
संक्रामक बीमारियाँ रोगजनकों (बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, आदि) के कारण होती हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती हैं। जैसे, मलेरिया और टी.बी।
गैर-संक्रामक बीमारियाँ शरीर की आंतरिक समस्याओं जैसे आनुवंशिक दोष, हार्मोनल असंतुलन, या जीवनशैली से जुड़ी होती हैं। ये एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलतीं। जैसे, मधुमेह और कैंसर।

Q3. हमें बीमार करने वाले मुख्य कारक क्या हैं?

उत्तर:
हमें बीमार करने वाले मुख्य कारक हैं:

  • आंतरिक कारण: आनुवंशिक दोष, पोषण की कमी, और हार्मोनल असंतुलन।
  • बाहरी कारण: रोगजनक (बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ), गंदगी, दूषित पानी और भोजन।
  • पर्यावरणीय कारक: प्रदूषण, खराब जीवनशैली, और तनाव।

Q4. संक्रामक बीमारियाँ फैलने के मुख्य तरीके क्या हैं?

उत्तर:
संक्रामक बीमारियाँ निम्नलिखित तरीकों से फैलती हैं:

  1. हवा: खांसी, छींक, या सांस से (जैसे, क्षय रोग)।
  2. जल: दूषित पानी पीने से (जैसे, हैजा)।
  3. संपर्क: संक्रमित व्यक्ति के साथ त्वचा संपर्क से (जैसे, दाद)।
  4. वाहक जीव: मच्छर और मक्खियाँ रोगजनकों को एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँचाती हैं (जैसे, मलेरिया, डेंगू)।

Q5. बीमारी के लक्षण और संकेतों के बीच क्या अंतर है?

उत्तर:

  • लक्षण (Symptoms): यह वह स्थिति है जिसे रोगी अनुभव करता है, जैसे सिरदर्द, बुखार, या कमजोरी।
  • संकेत (Signs): यह चिकित्सक द्वारा पहचाने जाने वाले लक्षण हैं, जैसे त्वचा पर चकत्ते, सूजन, या खून की कमी।
    दोनों मिलकर बीमारी का निदान करने में मदद करते हैं।

Q6. टीकाकरण क्या है, और यह बीमारियों से कैसे बचाता है?

उत्तर:
टीकाकरण एक प्रक्रिया है जिसमें शरीर में एक कमजोर या मृत रोगजनक डाला जाता है ताकि शरीर उस रोगजनक के खिलाफ एंटीबॉडी बना सके। यह भविष्य में रोगजनक के हमले से बचाव करता है।
उदाहरण: पोलियो, चेचक, और डिप्थीरिया के लिए टीके।

Q7. हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारियों से कैसे लड़ती है?

उत्तर:
प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर में मौजूद रोगजनकों को पहचानती है और उन्हें नष्ट करती है। यह सफेद रक्त कोशिकाओं और एंटीबॉडी के माध्यम से काम करती है।

  • प्राकृतिक प्रतिरक्षा: जन्म से मौजूद।
  • अधिग्रहित प्रतिरक्षा: संक्रमण या टीकाकरण के बाद विकसित होती है।

Q8. बीमारी के तीव्र और दीर्घकालिक प्रभावों में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • तीव्र प्रभाव (Acute Effects): बीमारियाँ जल्दी ठीक हो जाती हैं और इनके लक्षण कुछ समय तक ही रहते हैं। जैसे, सर्दी-जुकाम।
  • दीर्घकालिक प्रभाव (Chronic Effects): इन बीमारियों का असर लंबे समय तक रहता है और शरीर को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है। जैसे, मधुमेह और टी.बी।

Q9. बीमारियों की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

उत्तर:

  • व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
  • स्वच्छ और पोषणयुक्त भोजन खाएँ।
  • दूषित पानी से बचें।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • समय पर टीकाकरण कराएँ।
  • मच्छर और मक्खी जैसे वाहकों से बचाव करें।

Q10. पोषण का हमारे स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाव में क्या योगदान है?

उत्तर:
संतुलित आहार हमारे शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।

  • प्रोटीन: शरीर की मरम्मत और वृद्धि के लिए।
  • विटामिन और खनिज: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।
  • जल: शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए।
    पोषण की कमी से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

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