- हिंदी व्याकरण : विशेषण
- 1. विशेषण क्या है?
- 2. विशेषण के प्रकार कौन-कौन से होते हैं?
- 3. गुणवाचक विशेषण के बारे में विस्तार से समझाइए।
- 4. संख्या वाचक विशेषण क्या है?
- 5. विशेषण के प्रयोग में कौन-कौन सी गलतियां होती हैं?
- 6. विशेषण व सर्वनाम में क्या अंतर है?
- 7. क्या विशेषण हमेशा संज्ञा के पहले आता है?
- 8. क्या विशेषण की पहचान का कोई सरल तरीका है?
- 9. विशेषण और क्रिया विशेषण में क्या अंतर है?
- 10. क्या विशेषण का स्वरूप बदल सकता है?
- Also Visit eStudyzone for English Medium Study Material
हिंदी व्याकरण : विशेषण
विशेषण
- विशेषण वे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। ये शब्द वाक्य में संज्ञा के साथ लगकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं।
- विशेषण विकारी शब्द होते हैं एवं इन्हें सार्थक शब्दों के आठ भेड़ों में से एक माना जाता है।
- बड़ा, काला, लम्बा, दयालु, भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा – मेढ़ा, एक, दो, वीर पुरुष, गोरा, अच्छा, बुरा, मीठा, खट्टा आदि विशेषण शब्दों के कुछ उदाहरण हैं।
विशेषण की परिभाषा
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण, सं ख्या, मात्रा या परिमाण आदि) बताते हैं विशेषण कहलाते हैं |
जैसे – बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, अच्छा, गन्दा, बुरा, एक, दो आदि।
- वहां चार लड़के बैठे थे।
- अध्यापक के हाथ में लंबी छड़ी है
- वह घर जा रहा था।
- गीता सुंदर लड़की है
विशेष्य
जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताई जाए वे विशेष्य कहलाते हैं।
जैसे – मोहन सुंदर लड़का है
प्रविशेषण
विशेषण शब्द की भी विशेषता बतलाने वाले शब्द ‘प्रविशेषण’ कहलाते हैं।
जैसे – राधा बहुत सुंदर लड़की है।
इस वाक्य में सुंदर (विशेषण) की विशेषता बहुत शब्द के द्वारा बताई जा रही है। इसलिए बहुत प्रविशेषण शब्द है।
विशेषण के भेद
हिन्दी व्याकरण में विशेषण के मुख्यतः 5 भेद या प्रकार होते हैं|
- गुणवाचक
- परिमाणवाचक
- संख्यावाचक
- सार्वनामिक
- गुणवाचक :- जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के गुण या दोष का बोध हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। ये विशेषण भाव, रंग, दशा, आकार, समय, स्थान, काल आदि से सम्बन्धित होते है।
जैसे – अच्छा, बुरा, सफेद, काला, रोगी, मोटा, पतला, लम्बा, चौड़ा, नया, पुराना, ऊँचा, मीठा, चीनी, नीचा, प्रातःकालीन
आदि।
- गुणवाचक विशेषणों में ‘सा’ सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों को कम भी किया जाता है।
जैसे – लाल-सा, बड़ा-सा, छोटी-सी, ऊँची-सी आदि।
- कभी-कभी गुणवाचक विशेषणों के विशेष्य वाक्य लुप्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में संज्ञा का काम भी विशेषण ही करता है।
जैसे – बड़ों का आदर करना चाहिए।
दीनों पर दया करनी चाहिए।
- गुणवाचक विशेषण में विशेष्य के साथ कैसा/ कैसी लगाकर प्रश्न करने पर विशेषण पता किया जाता है।
- परिमाणवाचक :- जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के परिमाण, मात्रा, माप या तोल का बोध हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है |
इसके दो भेद हैं।
- निश्चित परिमाणवाचक :- दस क्विटल, तीन किलो, डेढ़ मीटर।
- अनिश्चित परिमाणवाचक :- थोड़ा, इतना, कुछ, ज्यादा, बहुत, अधिक, कम, तनिक, थोड़ा, इतना, जितना, ढेर सारा।
- संख्यावाचक :- जिस विशेषण द्वारा किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे – बीस दिन, दस किताब, सात भैंस आदि। यहाँ पर बीस, दस तथा सात – संख्यावाचक विशेषण हैं। इसके दो भेद हैं –
- निश्चित संख्यावाचक :- दो, तीन, ढाई, पहला, दूसरा, इकहरा, दुहरा, तीनो, चारों, दर्जन, जोड़ा, प्रत्येक।
- अनिश्चित संख्यावाचक :- कई, कुछ, काफी, बहुत।
- सार्वनामिक :- पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनाम (मैं, तू, वह) के अतिरिक्त अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे – यह घोड़ा अच्छा है।, वह नौकर नहीं आया। यहाँ घोड़ा और नौकर संज्ञाओं के पहले विशेषण के रूप में ‘यह’ और ‘वह’ सर्वनाम आये हैं। अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं।
जैसे – यह विद्यालय, वह बालक, वह खिलाड़ी आदि ।
सार्वनामिक विशेषण के भेद
व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-
- मौलिक सार्वनामिक विशेषण
- यौगिक सार्वनामिक विशेषण
- मौलिक सार्वनामिक विशेषण :- जो सर्वनाम बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं उसे मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे –
- वह लड़का,
- यह कार,
- कोई नौकर,
- कुछ काम इत्यादि।
- यौगिक सार्वनामिक विशेषण :- जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।
जैसे –
कैसा घर, उतना काम, ऐसा आदमी, जैसा देश इत्यादि।
विशेष्य और विशेषण में संबंध
ऊपर आपने विशेषण और विशेष्य के बारे में पढ़ा, अब इन दोनों के संबंधों पर बात करेंगे।
“वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है- कभी विशेषण विशेष्य के पहले आता है और कभी विशेष्य के बाद।” इस प्रकार प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद हैं-
- विशेष्य – विशेषण
- विधेय – विशेषण
- विशेष्य विशेषण :- जो विशेषण विशेष्य के पहले आये, वह विशेष्य – विशेष होता हैं।
जैसे –
- मुकेश चंचल बालक है।,
- संगीता सुंदर लड़की है।
इन वाक्यों में चंचल और सुंदर क्रमशः बालक और लड़की के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य) के पहले आये हैं।
- विधेय विशेषण :- जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच आये, वहाँ विधेय – विशेषण होता हैं।
जैसे –
- मेरा कुत्ता लाल हैं।,
- मेरा लड़का आलसी है।
इन वाक्यों में लाल और आलसी ऐसे विशेषण हैं, जो क्रमशः कुत्ता (संज्ञा) और है (क्रिया) तथा लड़का (संज्ञा) और है (क्रिया) के बीच आये हैं।
महत्वपूर्ण
विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग, वचन आदि के अनुसार होते हैं।
जैसे –
- अच्छे लड़के पढ़ते हैं।,
- नताशा भली लड़की है।,
- रामू गंदा लड़का है। आदि
यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों तो विशेषण के लिंग और वचन समीप वाले विशेष्य के लिंग, वचन के अनुसार होंगे,
जैसे –
- नये पुरुष और नारियाँ,
- नयी धोती और कुरता। आदि
FAQs on हिंदी व्याकरण: विशेषण
1. विशेषण क्या है?
विशेषण ऐसे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। ये शब्द वस्तु, व्यक्ति, स्थान, या किसी भी संज्ञा के गुण, मात्रा, रंग, आकार, अवस्था आदि की जानकारी देते हैं। उदाहरण:
- बड़ा घर (यहां “बड़ा” विशेषण है जो “घर” की विशेषता बता रहा है।)
2. विशेषण के प्रकार कौन-कौन से होते हैं?
विशेषण के मुख्य चार प्रकार हैं:
- गुणवाचक विशेषण: जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण को बताते हैं।
उदाहरण: अच्छा बच्चा। - परिमाणवाचक विशेषण: जो संज्ञा की मात्रा या परिमाण को बताते हैं।
उदाहरण: थोड़ा पानी। - संख्या वाचक विशेषण: जो संज्ञा की संख्या को बताते हैं।
- निश्चित संख्या वाचक: चार लड़के।
- अनिश्चित संख्या वाचक: कुछ किताबें।
- क्रमसूचक संख्या वाचक: पहला स्थान।
- सर्वनामिक विशेषण: जो किसी सर्वनाम के रूप में विशेषता बताता है।
उदाहरण: उसका घर।
3. गुणवाचक विशेषण के बारे में विस्तार से समझाइए।
गुणवाचक विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के गुण, रंग, रूप, आकार, या विशेषता बताते हैं।
उदाहरण:
- नीला आसमान (“नीला” रंग का गुण बता रहा है।)
- लंबा आदमी (“लंबा” आकार का गुण बता रहा है।)
- प्यारा बच्चा (“प्यारा” भावना का गुण बता रहा है।)
4. संख्या वाचक विशेषण क्या है?
संख्या वाचक विशेषण ऐसे शब्द होते हैं जो संज्ञा या सर्वनाम की संख्या या क्रम को व्यक्त करते हैं।
उदाहरण:
- दस सेब (निश्चित संख्या वाचक)।
- कुछ लड़कियां (अनिश्चित संख्या वाचक)।
- चौथा अध्याय (क्रमसूचक संख्या वाचक)।
5. विशेषण के प्रयोग में कौन-कौन सी गलतियां होती हैं?
विशेषण के प्रयोग में होने वाली सामान्य गलतियां हैं:
- विशेषण और संज्ञा में लिंग या वचन का सामंजस्य न होना।
उदाहरण: अच्छा लड़की ❌ (सही: अच्छी लड़की)। - गलत विशेषण का चयन करना।
उदाहरण: तेज हवा (सही), तेज पानी ❌ (सही: बहता पानी)। - विशेषण का अतिशयोक्ति में प्रयोग।
उदाहरण: बहुत ही सबसे अच्छा। ❌
6. विशेषण व सर्वनाम में क्या अंतर है?
विशेषण और सर्वनाम में मुख्य अंतर यह है कि:
- विशेषण: संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।
उदाहरण: सुंदर लड़की (“सुंदर” विशेषण है)। - सर्वनाम: संज्ञा का स्थान लेता है।
उदाहरण: वह लड़की सुंदर है (“वह” सर्वनाम है)।
7. क्या विशेषण हमेशा संज्ञा के पहले आता है?
नहीं, विशेषण संज्ञा के पहले या बाद में कहीं भी आ सकता है।
उदाहरण:
- अच्छा खाना (विशेषण पहले)।
- खाना अच्छा है (विशेषण बाद में)।
स्थान का चयन वाक्य की संरचना पर निर्भर करता है।
8. क्या विशेषण की पहचान का कोई सरल तरीका है?
विशेषण की पहचान के लिए निम्नलिखित बिंदु देखें:
- वह शब्द किसी संज्ञा की विशेषता बता रहा है।
उदाहरण: लाल किताब (“लाल” किताब की विशेषता है)। - वह संज्ञा या सर्वनाम के साथ प्रश्न “कैसा/कैसी/कैसे” या “कितना/कितनी/कितने” से उत्तर देता है।
उदाहरण:- कैसा घर? बड़ा घर।
- कितना पानी? थोड़ा पानी।
9. विशेषण और क्रिया विशेषण में क्या अंतर है?
- विशेषण: संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।
उदाहरण: हरा पेड़। - क्रिया विशेषण: क्रिया, विशेषण, या वाक्य की विशेषता बताता है।
उदाहरण: वह तेज दौड़ता है (यहां “तेज” दौड़ने की क्रिया की विशेषता बता रहा है)।
10. क्या विशेषण का स्वरूप बदल सकता है?
हां, विशेषण का स्वरूप संज्ञा या सर्वनाम के लिंग, वचन, और कारक के अनुसार बदल सकता है।
उदाहरण:
- लड़का सुंदर है। (एकवचन पुल्लिंग)।
- लड़कियां सुंदर हैं। (बहुवचन स्त्रीलिंग)।
- सुंदरता की तारीफ हुई। (विशेषण से संज्ञा बना)।