संविधान निर्माण
संविधान निर्माण
संविधान निर्माण, संविधान किसी देश की सर्वोच्च विधिक पुस्तक होती है, जो देश के शासन और प्रशासन के लिए मूलभूत नियमों, सिद्धांतों और अधिकारों को परिभाषित करती है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसका निर्माण एक लंबी प्रक्रिया के बाद 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया
संविधान सभा का गठन
भारत में संविधान निर्माण का कार्य संविधान सभा द्वारा किया गया।
- संविधान सभा का गठन:
- संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना (1946) के तहत हुआ।
- इसके सदस्य भारत के विभिन्न प्रांतों और राज्यों के प्रतिनिधि थे।
- संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिनमें 292 ब्रिटिश भारत के प्रांतों से, 93 देशी रियासतों से, और 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों से चुने गए।
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद: संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर: संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया के प्रमुख चरण
- मसौदा समिति का गठन (Drafting Committee):
- मसौदा समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को किया गया।
- इसका उद्देश्य संविधान का प्रारूप तैयार करना था।
- डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समिति का नेतृत्व किया।
- संविधान निर्माण में विचार-विमर्श:
- संविधान निर्माण के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई, जैसे मौलिक अधिकार, संघीय ढांचा, न्यायपालिका, और नागरिकों के कर्तव्य।
- संविधान सभा ने कुल 2 साल, 11 महीने, और 18 दिन में संविधान का निर्माण किया।
- इसमें 11 सत्र आयोजित हुए।
- संविधान का अंगीकरण:
- 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार किया गया।
- 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ।
- 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संविधान के प्रमुख विशेषताएँ
1. लिखित संविधान
- भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग, और 8 अनुसूचियां थीं (अब 12 अनुसूचियां हैं)।
2. प्रस्तावना (Preamble):
- प्रस्तावना संविधान का परिचय है।
- इसमें भारत को “समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य” घोषित किया गया।
- नागरिकों के लिए “न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व” का वादा किया गया।
3. संघीय ढांचा (Federal Structure):
- भारत संघीय ढांचे पर आधारित है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है।
- यह केंद्र-सापेक्ष संघीय व्यवस्था है।
4. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights):
- संविधान ने नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए:
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार
5. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties):
- 42वें संविधान संशोधन (1976) द्वारा मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया।
- वर्तमान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं।
6. न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independent Judiciary):
- भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष है।
- सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) संविधान का संरक्षक है।
7. लोकतंत्र (Democracy):
- भारत एक संसदीय लोकतंत्र है।
- नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने का अधिकार है।
8. संविधान संशोधन की प्रक्रिया (Amendment Process):
- संविधान को समय और परिस्थितियों के अनुसार संशोधित किया जा सकता है।
- अब तक 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं।
संविधान निर्माण में योगदान देने वाले प्रमुख व्यक्तित्व
1. डॉ. भीमराव अंबेडकर:
- संविधान के प्रमुख शिल्पकार।
- उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता पर विशेष जोर दिया।
2. डॉ. राजेंद्र प्रसाद:
- संविधान सभा के अध्यक्ष।
- संविधान निर्माण के दौरान सभा का नेतृत्व किया।
3. पंडित जवाहरलाल नेहरू:
- उन्होंने “उद्देश्य प्रस्ताव” पेश किया, जो संविधान की प्रस्तावना का आधार बना।
4. सardar वल्लभभाई पटेल:
- देशी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी।
5. महात्मा गांधी:
- उन्होंने ग्राम स्वराज और लोकतंत्र के सिद्धांतों को प्रेरित किया।
संविधान का महत्व
- समानता और स्वतंत्रता:
- संविधान सभी नागरिकों को समानता और स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया:
- यह भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाता है।
- सामाजिक न्याय:
- संविधान ने समाज में पिछड़े वर्गों और कमजोर समूहों के उत्थान के लिए प्रावधान किए।
- राष्ट्रीय एकता:
- यह विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के बीच सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।
- संवैधानिक सरकार:
- यह सरकार को कानून के अधीन बनाता है और निरंकुशता को रोकता है।
संविधान निर्माण से जुड़े रोचक तथ्य
- संविधान निर्माण में कुल 11 सत्र हुए, जिसमें 165 दिनों तक बहस हुई।
- इसे तैयार करने में कुल ₹64 लाख का खर्च हुआ।
- संविधान का प्रारूप तैयार करने में विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया गया।
निष्कर्ष
भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह देश के नागरिकों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। यह भारत को एक सशक्त, समृद्ध, और समतामूलक राष्ट्र बनाने की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
Importent Q/A of Chapter
प्रश्न 1– नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए हैं। हर एक में की गई गलती पहचाने और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
(क) स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्र आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हर एक बात पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहां लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
उत्तर – (क) स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य के मत अलग-अलग थे। लेकिन वह अपने मत को सुलझा कर संविधान में कही गई हर एक बात पर सहमत थे।
(ग) जिस देश में लोकतंत्र है, वहां पर संविधान होना जरूरी है।
(घ) संविधान में संशोधन करना पड़े तो उसमें संसद के दो तिहाई सदस्यों का बहुमत प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
प्रश्न 2- दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में,इनमे से कौन- सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण था:
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का
उत्तर – गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का।
प्रश्न 3 – लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन- सा प्रावधान नहीं रहता?
(क) शासन प्रमुख के अधिकार
(ख) शासन प्रमुख का नाम
(ग) विधायिका के अधिकार
(घ) देश का नाम
उत्तर – शासन प्रमुख का नाम
प्रश्न 4 – संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाए:
मोतीलाल नेहरू – संविधान सभा के अध्यक्ष
बी.आर.अंबेडकर – संविधान सभा की सदस्य
राजेंद्र प्रसाद – प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
सरोजिनी नायडू – 1928 में भारत का संविधान बनाया
उत्तर –
मोती लाल नेहरू – 1928 में भारत का संविधान बनाया
बी.आर.अंबेडकर – प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
राजेंद्र प्रसाद– संविधान सभा के अध्यक्ष
सरोजिनी नायडू – संविधान सभा के सदस्य
प्रश्न 5- जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें:
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है?
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विषय से जुड़े हैं?
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या सप्त चाहते थे?
(घ) “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आंख से आंसू पहुंचने की है”। वह इस कथन में किस का जिक्र कर रहे थे?
उत्तर – (क) नेहरू मानना था कि राष्ट्र के निर्माण का कार्य बहुत बड़ा होता है। इसलिए उन्हें काम करने की जरूरत है ना कि आराम करने की।
(ख) नए भारत के सपने संविधान सभा के दृश्य से जुड़े हैं, और इनकी जिम्मेदारियां को निभाना इस सभा का कर्तव्य होता है।
(ग) संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे, कि भारत के संसाधनों, जनता की सेवा, और मानवता के लिए खुद को समर्पण करने वाला व्यक्ति होना चाहिए।
(घ) महात्मा गांधी
प्रश्न 6- हमारे संविधान को दिशा देने वाली ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
(क) संप्रभु – सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
(ख) गणतंत्र – फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ग) बंधुत्व – शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(घ) धर्मनिरपेक्ष – लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
उत्तर –
(क) संप्रभु – फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ख) गणतंत्र – शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(ग) बंधुत्व- लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
(घ) धर्मनिरपेक्ष – सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
प्रश्न 7- कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहां की राजनीतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहां अनेक राजनैतिक पार्टियां राजा के शासन का विरोध कर रही थी। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियां नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की मांग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
उत्तर – चुने गए प्रतिनिधियों को अधिक अधिकार और शक्ति दी जानी चाहिए ताकि वह समाज के लिए कार्य कर सकें। राजशाही को खत्म करके नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए संविधान सभा को गठित किया जाना चाहिए।
प्रश्न 8 – भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग – अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्वपूर्ण कारण मानते हैं?
(क) अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलीयों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम में औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी ना दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रीय वादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नो स्वतंत्र राष्ट्र में लोकतंत्र का ना आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
उत्तर –
(क) इस कारण को पूर्णता: स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन हम इसे अंग्रेजों की देन नहीं मान सकते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना में प्रशिक्षण का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने उपनिवेशवादी और भारतीय लोगों को जाति की सदस्यता का अधिकार दिया।
(ग) हमारे नेता लोकतांत्रिक संस्थानों और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमेशा ही सजग रहते थे।
प्रश्न 9 – 1912 में प्रकाशित ‘ विवाहित महिलाओं के लिए आचरण ’ पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें:
“ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है। उन्हें आत्मरक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवनभर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है- कभी पिता के, कभी पति के,और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराशा होने की जगह इस बात को अनुग्रहित होना चाहिए। कि वह अपने आप को पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।” क्या इस अनुच्छेद में व्यक्ति मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
उत्तर – अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शनों से मेल नहीं खाते हैं, हमारे संविधान में पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार के साथ-साथ वोट डालने, स्वतंत्रता, और समानता का भी अधिकार दिया गया है।आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले काफी आगे है।
उदाहरण – पुलिस, डॉक्टर, प्रोफेसर, आदि।
प्रश्न 10 – निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विभिन्न अंगों का गठन किस तरह होगा।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सप्ताह की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) सविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना – देना नहीं है।
उत्तर –
(क) यह बात सत्य है कि संविधान देश की नींव है।
(ख) यह बात सत्य है कि संविधान निर्माण के महत्वपूर्ण अंगों का ढांचा होता है।
(ग) यह बात सत्य है कि संविधान देश के नागरिकों के अधिकारों के लिए लिखा गया है।
(घ) यह गलत है कि सविधान समय, संचार और मूल्यों का सही मार्गदर्शक होता है।