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अध्याय 8 : लोकतंत्र की चुनौतियाँ( नागरिक शस्त्र )

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लोकतंत्र की चुनौतियाँ

लोकतंत्र की चुनौतियाँ

लोकतंत्र की चुनौतियाँ

लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में लोग ज्यादा संतुष्ट हैं | इस शासन का कोई दूसरा प्रतिद्वंद्वी नहीं है और न ही इस शासन व्यवस्था में कोई चुनौती है | लोकतंत्र में हमने देखा कि लोग थोड़े में ही संतुष्ट हैं, आगे की इच्छा नहीं रखते हैं | लोकतंत्र में जीतनी संभावनाएं हैं, दुनिया में कहीं भी उसका पूरा लाभ नहीं उठाया गया है |

लोकतांत्रिक सिद्धांत एवं व्यवहार में सामंजस्य 

लोकतंत्र को जैसा हम जानते हैं, यह पूर्णतया प्राचीन पद्धति है | लोकतंत्र का प्रारंभिक स्वरूप वैसा नहीं था, जैसा कि आजकल हमलोग देखते हैं | लोकतंत्र को आधुनिक स्वरूप तक पहुँचने में काफी समय लगा | लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के विकास के क्रम में सिद्धांतों का समावेश होता गया | लोकतांत्रिक व्यवस्था कुछ सिद्धांतों पर आधारित होती है | लोकतांत्रिक व्यवस्था उस राजनीतिक पद्धति में विद्यमान रह सकती है, जहाँ सिद्धांतों के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं | लोकतंत्र के स्वीकृत सिद्धांत निम्नलिखित हैं –

  1. विधि का शासन – पहले शासन का केंद्र राजा हुआ करता था | समस्त शक्तियाँ राजा में निहित थी, राजा की इच्छा से ही कानून बनाते थे | ऐसी शासन व्यवस्था को राजतंत्र कहा जाता है | धीरे-धीरे इस शासन-व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठने लगी, जो बाद में जन आंदोलन के रूप में बदल गया |
  2. प्रतिनिधि सरकार का सिद्धांत – प्रतिनिधि सरकार का सिद्धांत के अनुसार लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार का गठन प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए | इस तरह की लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपनी सरकार बनाने के लिए अपने प्रतिनिधि को चुनती है |
  3. उत्तरदायी सरकार का सिद्धांत – लोकतंत्र में उत्तरदायी सरकार का सिद्धांत भी 1688 में इंगलैंड के गौरवपूर्ण क्रांति के बाद ही अस्तित्व में आया | उत्तरदायी सरकार का अर्थ जनता की उस शक्ति से है, जिसके कारण जनता सरकार से पूछ सकती है कि जो कुछ उसने किया, वह क्यों किया और यदि वह सरकार की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है तो उसे आगामी निर्वाचन में अपदस्थ कर सकती है |
  4. प्रतियोगी राजनीति – प्रतियोगी राजनीति का सिद्धांत लोकतांत्रिक सिद्धांतों में आधुनिक सिद्धांत है | लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रतियोगी राजनीति के लिए आवश्यक है कि अनेक संगठन, राजनीतिक दल व समूह प्रतियोगी रूप में उस व्यवस्था में सक्रिय रहें |
  5. लोकप्रिय संप्रभुता का सिद्धांत – लोकतंत्र के इस सिद्धांत के अनुसार लोकतंत्र की अंतिम शक्ति जनता में निहित होती है |
  6. नागरिक अधिकारों का सिद्धांत – लोकतंत्र के इस सिद्धांत के अनुसार नागरिकों को बुनियादी अधिकार जैसे स्वतंत्रता एवं समानता का अधिकार, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, राजनीतिक अधिकार, एवं सामाजिक न्याय के अधिकार प्रदान किये जाते हैं | लोकतंत्र का मूल सिद्धांत समानता पर आधारिक है अर्थात् किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो | लोकतंत्र प्रतिनिधित्व एवं उत्तरदायित्व के सिद्धांत पर भी आधारित है | भारत में सभी नागरिकों को सार्वजनिक मताधिकार प्रदान कर इस सिद्धांत को व्यवहारिक रूप प्रदान किया गया है |

लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था की चुनौतियाँ  

आज विश्व के लगभग एक चौथाई देश ऐसे हैं जहाँ लोकतंत्र स्थापित नही हो सका है | परंतु जहाँ इसकी स्थापना हो चुकी है, उसे चुनौती देने वाली कोई दूसरी व्यवस्था नहीं है | लोकतंत्र के विकास के मार्ग में कई पड़ाव आये | प्रत्येक पड़ाव पर दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने गंभीर चुनौतियाँ हैं | ये चुनौतियाँ अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रकृति की हैं | जिन देशों में लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था नहीं है, उन देशों में लोकतांत्रिक सरकार गठन करने की चुनौती | लोकतंत्र के विस्तार की चनौती | लोकतंत्र को मजबूत करना लोकतंत्र की तीसरी प्रमुख चुनौती है |

लोकतंत्र की बुनियादी चुनौती -लोकतंत्र की चुनौतियाँ

  1. लोकतांत्रिक सरकार गठन की चुनैती |
  2. लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती |
  3. लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती |

भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रमुख चुनौतियाँ -लोकतंत्र की चुनौतियाँ

  1. सरकार के तीनों अंगों के बीच टकराव |
  2. संकीर्ण दलीय राजनीति |
  3. संघ एवं इकाइयों के बीच टकराव |
  4. दलों द्वारा उम्मीदवारों के टिकट वितरण में प्रदर्शिता का अभाव |
  5. राजनीतिक दलों द्वारा अपराधियों को ज्यादा महत्त्व दिया जाना |
  6. गठबंधन के राजनीति की मजबूरी |
  7. क्षेत्रीय असंतुलन |
  8. सामाजिक भेदभाव |

लोकतंत्र की चुनौतियों के समाधान के लिए सझाव -लोकतंत्र की चुनौतियाँ

  1. शिक्षा एवं जागरूकता,
  2. बेरोजगारी की सम्पति,
  3. मूलभूत बातों पर सहमति,
  4. स्थानीय स्वशासन की मजबूती,
  5. समानता की स्थापना,
  6. नागरिकों के अधिकार एवं स्वतंत्रता की बहाली,
  7. स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव,
  8. जनसंपर्क माध्यमों की स्वतंत्रता,
  9. सुधारात्मक कानूनों का निर्माण,
  10. स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका |

बिहार में लोकतंत्र की जड़े कितनी गहरी हैं ? 

बिहार से लोकतंत्र का पुराना रिश्ता है | लोकतंत्र की शुरुआत बिहार के वैशाली के लिच्छवी से हुआ | तब से लेकर आज तक लोकतंत्र परिपक्व होता गया और इसका विस्तार होता गया | बिहार भारतीय संघ का एक राज्य है | यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि बिहार में लोकतंत्र की जड़े काफी गहरी हैं |

 

IMPORTENT FAQs ON लोकतंत्र की चुनौतियाँ (Class 10th) 


प्रश्न 1: लोकतंत्र की चुनौतियाँ क्या हैं?

उत्तर: लोकतंत्र की चुनौतियाँ उन समस्याओं और मुद्दों को संदर्भित करती हैं जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया, संस्थानों और मूल्यों के सुचारु कार्यान्वयन में बाधा डालती हैं। ये राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हो सकती हैं।


प्रश्न 2: लोकतंत्र की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर:

  1. सामाजिक असमानता: जाति, धर्म, लिंग और आर्थिक आधार पर भेदभाव।
  2. भ्रष्टाचार: प्रशासन और राजनीति में अनैतिक प्रथाओं का बढ़ना।
  3. निर्णायक नेतृत्व का अभाव: कमजोर और अलोकप्रिय नेतृत्व।
  4. अशिक्षा और जागरूकता की कमी: नागरिकों में राजनीतिक समझ और सहभागिता की कमी।
  5. अल्पसंख्यक अधिकारों की सुरक्षा: अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और असुरक्षा।
  6. लोकतांत्रिक संस्थानों की कमजोरी: न्यायपालिका, चुनाव आयोग आदि का स्वतंत्र रूप से काम न कर पाना।

प्रश्न 3: लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

उत्तर:

  1. नागरिकों में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना।
  2. मजबूत और स्वतंत्र संस्थानों का निर्माण।
  3. भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून और उनके प्रभावी क्रियान्वयन।
  4. महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा।
  5. समान अवसर और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

प्रश्न 4: भारत में लोकतंत्र को किन प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर:

  1. जातिगत भेदभाव: सामाजिक न्याय में बाधा।
  2. धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव: धर्म आधारित राजनीति।
  3. धन और बाहुबल का प्रभाव: चुनावों में अनुचित प्रभाव।
  4. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता: सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता पर असर।
  5. शहरी और ग्रामीण असमानता: विकास की असमान गति।

प्रश्न 5: लोकतंत्र के लिए भ्रष्टाचार क्यों खतरनाक है?

उत्तर:
भ्रष्टाचार लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है क्योंकि यह:

  1. जनहितकारी नीतियों के कार्यान्वयन को प्रभावित करता है।
  2. प्रशासनिक कार्यक्षमता को कम करता है।
  3. नागरिकों के विश्वास को कमजोर करता है।
  4. संसाधनों का अनुचित उपयोग करता है।

प्रश्न 6: लोकतंत्र में जन भागीदारी क्यों आवश्यक है?

उत्तर: जन भागीदारी लोकतंत्र का आधार है क्योंकि:

  1. यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित करती है।
  2. सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाती है।
  3. नीतियों और योजनाओं में नागरिकों की आवश्यकता और दृष्टिकोण शामिल करती है।

प्रश्न 7: लोकतंत्र में मीडिया की क्या भूमिका है?

उत्तर:

  1. जागरूकता फैलाना: नागरिकों को सूचित रखना।
  2. सरकार की निगरानी: सत्ता का दुरुपयोग रोकना।
  3. सार्वजनिक राय बनाना: लोगों की आवाज़ को मंच देना।
  4. सूचना तक पहुंच: निष्पक्ष और सत्य जानकारी प्रदान करना।

प्रश्न 8: लोकतंत्र और विकास के बीच क्या संबंध है?

उत्तर: लोकतंत्र और विकास परस्पर जुड़े हुए हैं:

  1. लोकतंत्र में समान अवसर और अधिकार सुनिश्चित होते हैं।
  2. पारदर्शिता और जवाबदेही के माध्यम से संसाधनों का सही उपयोग होता है।
  3. विकास की नीतियाँ जनहित पर केंद्रित रहती हैं।

प्रश्न 9: भारत में लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने कौन से कदम उठाए हैं?

उत्तर:

  1. RTI (सूचना का अधिकार) अधिनियम, 2005: पारदर्शिता बढ़ाने के लिए।
  2. पंचायती राज संस्थाएँ: स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा।
  3. चुनाव सुधार: पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए।
  4. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009: शिक्षा और जागरूकता को बढ़ाने के लिए।

प्रश्न 10: लोकतंत्र की चुनौतियों का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर:
लोकतंत्र की चुनौतियों का अध्ययन यह समझने में मदद करता है कि:

  1. लोकतंत्र को कैसे बेहतर बनाया जाए।
  2. नागरिक अपनी जिम्मेदारियों और अधिकारों को कैसे निभा सकते हैं।
  3. समाज को अधिक न्यायपूर्ण और समान कैसे बनाया जाए।

नोट्स:

  • परीक्षा के लिए लोकतंत्र की चुनौतियों के प्रमुख उदाहरण और सुधारों का अभ्यास करें।
  • उत्तर में स्पष्टता और क्रमबद्धता बनाए रखें।

अध्याय 1 : सत्ता की साझेदारी ( नागरिक शस्त्र )

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