- खनिज तथा ऊर्जा संसाधन
- FAQs related to खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Minerals and Energy Resources)
- 1. खनिज संसाधन किसे कहते हैं? इनके प्रकार बताइए।
- 2. भारत में प्रमुख खनिज क्षेत्रों के बारे में बताइए।
- 3. खनिजों के सतत उपयोग के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
- 4. भारत में ऊर्जा संसाधनों के प्रकार और उनका महत्व क्या है?
- 5. कोयले का महत्व और भारत में इसके प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
- 6. भारत में लौह अयस्क के भंडार और उपयोग के बारे में बताइए।
- 7. पेट्रोलियम का महत्व और भारत में इसके भंडार कहां-कहां हैं?
- 8. नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में क्या अंतर है?
- 9. भूगर्भीय ऊर्जा (Geothermal Energy) क्या है और इसका उपयोग कहां किया जाता है?
- 10. खनिज संसाधनों के उपयोग से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
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- FAQs related to खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Minerals and Energy Resources)
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन
खनिज :-
एक खनिज वह प्राकृतिक पदार्थ है जिसमें निश्चित रासायनिक व भौतिक गुण होते हैं। इनकी उत्पत्ति का आधार अजैविक, कार्बनिक या अकार्बनिक हो सकता है।
खनिज के प्रकार :-
रासायनिक व भौतिक गुणों के आधार पर खनिज के प्रकार :-
- धात्विक खनिज
- अधात्विक खनिज
- धात्विक खनिज :-लौह अयस्क, तांबा व सोना, मैंगनीज और वाक्साइट आदि धातु से प्राप्त होते है, इन्हें धात्विक खनिज कहते है।
- अधात्विक खनिज :-ये खनिज दो प्रकार के होते है। इनमें कुछ खनिज, कार्बनिक उत्पति के होते हैं, जैसे जीवाश्म ईधन, जिन्हें खनिज ईधन भी कहते है, जैसे कोयला और पैट्रोलियम। अन्य अकार्बनिक उत्पति के खनिज होते है। जैसे अभ्रक, चूना पत्थर और ग्रेफाइट आदि।
भारत में खनिज एजेंसियाँ :-
- राष्ट्रीय अल्यूमिनियम कंपनी लि .
- भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (GSI)
- तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग ONGC (1956)
- खनिज अन्वेषण निगम लि . MECL
- राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
- भारतीय खान ब्यूरो
- भारत गोल्ड माइन्स लि .
- हिन्दुस्तान कॉपर लि .
भारत में खनिजों की प्रमुख पट्टियां :-
नोट :- खनिज पट्टियों का अर्थ होता है जहाँ खनिज पाए जाते है।
- उतर पूर्वी पठारी पट्टी :- इस पट्टी के अंतर्गत छोटा, नागपुर, पठार (झारखंड), उड़ीसा का पठार, पं . बंगाल तथा छतीसगढ़ के कुछ भाग सम्मिलित है। यहां पर विभिन्न प्रकार के खनिज उपलब्ध है। इनमें लोह अयस्क, कोयला, मैंगनीज आदि प्रमुख है।
- दक्षिणी परिचमी पठारी पट्टी :- यह पट्टी कर्नाटक, गोआ, तमिलनाडु की उच्च भूमि और केरल में विस्तृत है। यह पट्टी लौह धातुओं तथा बॉक्साइट में समद्व है।
- उत्तर पश्चिमी पट्टी :- यह पट्टी राजस्थान में अरावली और गुजराज के कुछ भाग पर विस्तृत है। यहां खनिज धारवाड़ क्रम की शैलों में पाये जाते है। जिनमें तांबा, जिंक, आदि प्रमुख खनिज है। गुजरात में पेट्रोलियम के निक्षेप है।
तांबे के लाभ तथा क्षेत्र :-
- बिजली की मोटरें, ट्रांसफार्मर, जेनरेटर्स आदि के बनाने तथा विद्युत उद्योग के लिए ताँबा अपरिहार्य धातु है।
- यह एक आघातवर्द्धनीय तथा तन्य धातु हैं।
- आभूषणों को मजबूती प्रदान करने के लिए इसे सोने के साथ मिलाया जाता है।
- खनन क्षेत्र – झारखण्ड का सिंहभूमि जिला, मध्यप्रदेश में बालाघाट कर्नाटक में चित्रदुर्ग राजस्थान में झुंझुनु, अलवर व खेतड़ी जिले।
मैंगनीज के लाभ तथा क्षेत्र :-
- लौह अयस्क के प्रगलन के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है।
- इसका उपयोग लौह मिश्र धातु तथा विनिर्माण में भी किया जाता है।
- खनन क्षेत्र :- उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश व झारखण्ड।
ऊर्जा संसाधन :-
- वह सभी संसाधन जो ऊर्जा प्रदान करते हैं, ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं।
- कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन (जो जीवाश्म ईंधन के रूप में जाने जाते हैं), परमाणु ऊर्जा, ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं।
ऊर्जा संसाधनों के प्रकार :-
ऊर्जा के संसाधनों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है :-
- परंपरागत संसाधन
- अपरंपरागत संसाधन
ऊर्जा के परंपरागत संसाधन :-
- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा नाभिकीय ऊर्जा जैसे ईंधन के स्रोत समाप्य कच्चे माल का प्रयोग करते हैं।
- इन साधनों का वितरण बहुत असमान है।
- ये साधन पर्यावरण अनुकूल नही है अर्थात पर्यावरण प्रदूषण में इनकी बड़ी भूमिका है।
ऊर्जा के गैर अपरंपरागत संसाधन :-
- सौर, पवन, जल, भूतापीय ऊर्जा असमाप्य है।
- ये साधन अपेक्षाकृत अधिक समान रूप से वितरित है।
- ये ऊर्जा के स्वच्छ साधन और पर्यावरण हितैषी है।
ऊर्जा के अपरम्परागत स्रोत :-
- सौर ऊर्जा – भारत के परिचमी भागों गुजराज व राजस्थान में और ऊर्जा के विकास की अधिक संभावनाएं है।
- पवन ऊर्जा – पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजराज, महाराष्ट्र, तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियों विधमान है।
- ज्वारीय ऊर्जा – भारत के पश्चिमी तट के साथ ज्वारीय ऊर्जा विकसित होने की व्यापक संभावनाएं है।
- भूतापीय ऊर्जा – इसके लिए हिमालय प्रदेश, में विकसित होने की व्यापक संभावनाएं है।
- जैव ऊर्जा – ग्रामीण क्षेत्रों में जैव ऊर्जा विकसित होने की व्यापक संभावनाएं है।
अपटत वेधन :-
समुद्र तट से दूर समुद्र की तली में मौजूद प्राकृतिक तेल को वेधन करके प्राप्त करना अपतट वेधन है।
भारत में पाए जाने वाली खनिजों की विशेषताए :-
- खनिज, असमान रूप में वितरित होते हैं। सब जगह सभी खनिज नहीं मिलते।
- अधिक गुणवत्ता वाले खनिज, कम गुणवत्ता वाले खनिजों की तुलना में कम मात्रा में पाए जाते हैं। खनिजों की गुणवत्ता व मात्रा में प्रतिलोमी संबंध पाया जाता है।
- सभी खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। भूगार्भिक दृष्टि से इन्हें बनने में लम्बा समय लगता है और आवश्यकता के समय इनका तुरन्त पुनर्भरण नहीं किया जा सकता है।
भारत में खनिजों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
- खनिज समय के साथ समाप्त हो जाते हैं।
- भूगर्मिक दृष्टि से इन्हें बनने में लम्बा समय लगता है।
- आवश्यकता के समय तुरन्त इनका पुनर्भरण नहीं किया जा सकता।
- सतत् पोषणीय विकास तथा आर्थिक विकास के लिए खनिजों का संरक्षण करना आवश्यक हो जाता है।
खनिजों का संरक्षण की विधियाँ :-
- इसके लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, पवन, तरंग व भूतापीय ऊर्जा के असमाप्य स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए।
- धात्विक खनिजों में, छाजन धातुओं के उपयोग तथा धातुओं के पुर्नचक्रण पर बल देना चाहिए।
- अत्यल्प खनिजों के लिए प्रति स्थापनों का उपयोग भी खनिजों के। संरक्षण में सहायक है।
- सामरिक व अति अल्प खनिजों के निर्यात को भी घटाना चाहिए।
- सबसे उचित तरीका है खनिजों का सूझ – बूझ से तथा मितव्यतता से प्रयोग कराना है ताकि वर्तमान आरक्षित भण्डारों का लंबे समय तक प्रयोग किया जा सके।
FAQs related to खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Minerals and Energy Resources)
1. खनिज संसाधन किसे कहते हैं? इनके प्रकार बताइए।
खनिज संसाधन वे प्राकृतिक पदार्थ हैं जो पृथ्वी के गर्भ में पाए जाते हैं और जिनका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है। खनिजों को उनके उपयोग और संरचना के आधार पर निम्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- धात्विक खनिज (Metallic Minerals): जैसे, लौह अयस्क, तांबा, सोना।
- अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals): जैसे, चूना पत्थर, अभ्रक, सिलिका।
- ऊर्जा खनिज (Energy Minerals): जैसे, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
2. भारत में प्रमुख खनिज क्षेत्रों के बारे में बताइए।
भारत में खनिज संसाधन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में पाए जाते हैं:
- छोटा नागपुर का पठार: झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में लौह अयस्क, मैंगनीज, और कोयले के प्रमुख भंडार।
- पश्चिमी घाट: महाराष्ट्र और गोवा में बॉक्साइट और लौह अयस्क।
- राजस्थान: अभ्रक, जस्ता, सीसा, और चूना पत्थर।
- हिमालय क्षेत्र: तांबा, सीसा, और सोना।
3. खनिजों के सतत उपयोग के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
खनिज संसाधनों के सतत उपयोग के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- खनिजों का विवेकपूर्ण और कुशल उपयोग।
- पुनर्चक्रण (Recycling) और पुन: उपयोग (Reuse) को बढ़ावा देना।
- खनिज भंडार के विकल्प (Substitutes) का विकास।
- खनिज खनन से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना।
4. भारत में ऊर्जा संसाधनों के प्रकार और उनका महत्व क्या है?
भारत में ऊर्जा संसाधनों को दो प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- पारंपरिक ऊर्जा संसाधन (Conventional Energy Resources): जैसे कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस। ये उद्योगों और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- अपरंपरागत ऊर्जा संसाधन (Non-Conventional Energy Resources): जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस। ये नवीकरणीय और पर्यावरण-अनुकूल हैं।
5. कोयले का महत्व और भारत में इसके प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
कोयला भारत की प्रमुख ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है और औद्योगिक क्रांति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत में प्रमुख कोयला खनन क्षेत्र हैं:
- झारखंड: झरिया, बोकारो।
- पश्चिम बंगाल: रानीगंज।
- मध्य प्रदेश: सिंगरौली।
- छत्तीसगढ़: कोरबा।
6. भारत में लौह अयस्क के भंडार और उपयोग के बारे में बताइए।
भारत में लौह अयस्क के प्रमुख भंडार निम्नलिखित हैं:
- ओडिशा: मयूरभंज, क्योंझर।
- छत्तीसगढ़: बस्तर, दुर्ग।
- झारखंड: सिंहभूम।
उपयोग:
लौह अयस्क का उपयोग इस्पात उत्पादन, इंफ्रास्ट्रक्चर, और निर्माण क्षेत्र में होता है।
7. पेट्रोलियम का महत्व और भारत में इसके भंडार कहां-कहां हैं?
महत्व: पेट्रोलियम को “काला सोना” कहा जाता है। यह ऊर्जा उत्पादन, परिवहन, और पेट्रोकेमिकल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत में भंडार:
- असम: डिगबोई, नहरकटिया।
- गुजरात: अंकलेश्वर, कच्छ।
- मुंबई हाई: महाराष्ट्र तट पर स्थित।
8. नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों में क्या अंतर है?
- नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन: ये संसाधन बार-बार उपयोग किए जा सकते हैं, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा।
- गैर-नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन: ये सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और उपयोग के बाद पुनः नहीं बन सकते, जैसे कोयला, पेट्रोलियम।
9. भूगर्भीय ऊर्जा (Geothermal Energy) क्या है और इसका उपयोग कहां किया जाता है?
भूगर्भीय ऊर्जा पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से उत्पन्न होती है। इसका उपयोग बिजली उत्पादन, घरों को गर्म करने, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में होता है।
भारत में प्रमुख भूगर्भीय ऊर्जा स्थल:
- लद्दाख का पगारी।
- हिमाचल प्रदेश का मणिकरण।
10. खनिज संसाधनों के उपयोग से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
खनिज खनन और उनके उपयोग से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है:
- भूमि का क्षरण और जैव विविधता की हानि।
- वायु और जल प्रदूषण।
- खनिज कचरे का निपटान समस्या।
समाधान: पर्यावरण-अनुकूल खनन तकनीकों का उपयोग और पुनः वनीकरण।