12th Geography

अध्याय-2: मानव बस्तियाँ

मानव बस्तियाँ

मानव बस्तियाँ

 

मानव बस्तियाँ :-

मानव बस्तियाँ,किसी भी प्रकार और आकार के घरों का संकुल जिनमें मनुष्य रहते है, मानव बस्ती कहते है. भूगोल, सांख्यिकी और पुरातत्वशास्त्र में, बस्ती, इलाका या आबादी वाला स्थान एक समुदाय है जिसमें लोग रहते हैं। बस्ती की जटिलता के द्वारा श्रेणीकरण के अनुसार सबसे बड़े शहारों के आसपास नगरीय क्षेत्र से लेकर छोटी संख्या के आवासों के समूह शामिल है। बस्ती में गाँव, कस्बा और शहर सभी शामिल हो सकते हैं। एक बस्ती में ऐतिहासिक गुण हो सकते हैं जैसे तिथि या युग जिसमें इसे पहले बसाया गया था। एक बस्ती में प्रथानुसार सड़क, तालाब, पार्क और मंदिर-मस्जिद जैसी निर्मित सुविधाएं शामिल हैं।

ग्रामीण बस्ती :-

  • यहाँ के लोग अपने जीवन यापन के लिए अधिकतर प्राथमिक क्रियाकलापों पर निर्भर करते है जैसे – कृषि, पशुपालन आदि 
  • ग्रामीण बस्तियों में उत्पादित सब्जी, फल – फूल, अनाज आदि जैसे उत्पाद, नगरीय बस्तियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं 
  • ग्रामीण लोग एक स्थान छोड़कर दूसरे स्थान जाकर बसने के बारे में कम सोचते हैं अतः उनमें सामाजिक संबंध प्रगाढ़ होते है ग्रामीण बस्तियों के निवासियों में क्षैतिज गतिशीलता कम होता है 

नगरीय बस्ती :-

  • नगरीय बस्तियों में द्वितीयक एवं तृतीयक तथा विभिन्न प्रकार की सेवाओं की प्रधानता होती है 
  • नगरीय बस्तियों के विनिर्माण उद्योग के उत्पाद ग्रामीण बस्तियों में जाते हैं
  • परिवहन एवं संचार माध्यम के जरिए यह कार्य संपन्न होता है।
  • शहरों में क्षैतिज गतिशीलता अधिक पाई जाती है अर्थात् लोग एक जगह जाकर बस जाते हैं 
  • उनमें सामाजिक संबंधों में औपचारिकता अधिक होती है

ग्रामीण बस्तियों के प्रकार :-

  • वृहत तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा सकते हैं
  • गुच्छित बस्तियाँ 
  • अर्धगुच्छित बस्तियाँ 
  • पल्ली
  • एकाकी 

गुच्छित बस्तियाँ :-

इस बस्तियों में घरों का समूह बहुत पास – पास होता है इन गाँवों में आवास स्थान एवं खेत खलिहान और चारागाह क्षेत्र स्पष्ट रुप से अलग होते हैं ये बस्तियाँ आयताकार, अरीय रैखिक आदि प्रतिरुपों में मिलती है और उपजाऊ जलोढ़ मैदानों में पाई जाती है सुरक्षा कारणों से बुंदेलखंड,नागालैंड में तथा जल के अभाव के कारण राजस्थान में ये बस्तियां मिलती हैं 

अर्द्धगुच्छित बस्तियाँ :-

किसी बड़े गाँव में समाज का कोई वर्ग किन्हीं कारणों से मुख्य गाँव से दूर रहने लगता है इस तरह अर्द्धगुच्छित बस्तियों का जन्म होता है इस तरह की बस्तियाँ गुजरात एवं राजस्थान के कुछ भागों में पाई जाती है 

पल्ली बस्तियाँ :-

वे बस्तियाँ जो किसी बडे गाँव से अलग छोटे – छोटे समूहों में बस जाती है लेकिन वे उसी बड़े गाँव का ही हिस्सा होती है इन्हें अलग – अलग जगहों में अलग – अलग नामों में पुकारा जाता है जैसे पल्ली, नंगला, ढाणी, पूर्वा आदि ये बस्तियाँ छत्तीसगढ़ एवं हिमालय की निचली घाटियों में पाई जाती हैं

एकाकी बस्तियां :-

एकाकी बस्तियों के प्रत्येक घर में केवल एक परिवार ही रहता है, किन्तु यह सम्भव है कि उस परिवार का कोई नौकर या श्रमिक उसी मकान के किसी भाग में अथवा पृथक से एक कमरा बनाकर रह सकता है, यद्यपि इस प्रकार की बस्तियों में गाँव के मनुष्यों का सामाजिक संगठन कमजोर हो जाता है फिर भी इन अधिवासों से अनेक आर्थिक लाभ होते हैं तथा परिवार गाँव की राजनीतिक एवं लड़ाई-झगड़ों से दूर रहता है

भारत में परिक्षिप्त या एकाकी बस्तियों की प्रमुख विशेषताएँ :-मानव बस्तियाँ

  • ये बस्ती प्रारुप सुदूर जंगलो या छोटो पहाड़ियों की ढालों पर खेतों या चारागाहों के आस पास दिखाई पड़ते हैं
  • इनमें मकान एक दूसरे से दूर बने होते हैं और लोग अलग अलग या एकाकी रहते हैं 
  • मेघालय, उत्तरांचल व हिमाचल प्रदेश के अनेक भागों में यही बस्ती पाई जोती हैं

भारत में ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए उत्तरदायी भौतिक कारक :-मानव बस्तियाँ

  1. उच्चावच की प्रकृति :- मानव अपने निवास हेतु ऊँचे क्षेत्रों को बाढ़ व जंगली जानवरों से सुरक्षित रहने के लिए चुना 
  2. जल की उपलब्धता :- कृषि व अपने ग्रामीण बस्तियां जल स्रोतों के निकट बसती हैं 
  3. उर्वरक मृदा :- मनुष्य बसने के लिए उस जगह का चुनाव करता है, जहाँ की मृदा कृषि के लिए उपयुक्त एवं उपजाऊ हो 
  4. जलवायु :- मानव अपने निवास हेतु अनुकूल जलवायु में रहना पसंद करते हैं

नगरीय बस्ती :-मानव बस्तियाँ

नगरीय बस्ती वह बस्ती है जिसके निवासियों का मुख्य व्यवसाय द्वितीयक तृतीयक एवं चतुर्थक गतिविधियों से सम्बन्धित होता है लंदन नगर को विश्व की प्रथम नगरीय बस्ती कहा गया है

समय के आधार पर नगरों का वर्गीकरण :-मानव बस्तियाँ

  1. प्राचीन नगर :- इस काल में अधिकांश नगरों का विकास धार्मिक अथवा सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में हुआ है उदाहरण के लिए प्रयाग (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना) मदुरई 
  2. मध्यकालीन नगर :- इस काल में अधिकांशतः नगरों का विकास रजवाड़ों व राज्यों के मुख्यालयों के रूप में हुआ हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ, आगरा इसके उदाहरण हैं 
  3. आधुनिक नगर :- अंग्रेजों व अन्य यूरोपीय देशों ने अपनी प्रभाविता को प्रत्यक्ष रूप से अथवा रजवाड़ों पर नियंत्रण के माध्यम से प्रशासनिक केंद्रों, ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थलों, पत्तनों प्रशासनिक व सैन्य क्षेत्रों को नगरों के रूप में विकसित किया 
  4. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के नगर :- इस समय अनेक नगर प्रशासनिक केंद्रो जैसे – चंडीगढ़, भुवनेश्वर आदि व औद्योगिक केंद्र जैसे दुर्गापुर, भिलाई, बरौनी आदि के रूप में विकसित हुए

कार्यों की प्रमुखता के आधार पर भारतीय नगर :-मानव बस्तियाँ

  1. प्रशासन शहर :- वे शहर या नगर जहां उच्चतर क्रम के प्रशासनिक मुख्यालय होते हैं जैसे दिल्ली, चंडीगढ़ आदि 
  2. औद्योगिक नगर :- जिन नगरों में उद्योगों की प्रधानता हो जैसे – मुंबई, सेलम, जमशेदपुर 
  3. परिवहन नगर :- कुछ नगर पत्तन के रुप में आयात – निर्यात में संलग्न रहते हैं जैसे कांडला, कोच्चि, विशाखापट्नम्
  4. खनन नगर :- वे नगर जो मुख्यतः खनन के लिए जाने जाते हैं जैसे रानीगंज, झारिया, डिगबोई आदि 
  5. गैरिसन (छावनी) नगर :- जिन नगरों में सेना की छावनियाँ होती उन्हें गैरिसन नगर कहते है अंबाला, जालंधर, बबीना, उधमपुर इस प्रकार के नगर है
  6. धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगर :- ऐसे नगर जो धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विख्यात है जैसे वाराणसी, मथुरा, अजमेर आदि

नगरीय संकुल :-मानव बस्तियाँ

एक नगरीय क्षेत्र के चारों ओर नगरों की एक श्रृखंला विकसित हो जाती है या कभी – कभी दो या दो से अधिक नगर एक साथ जुड़कर एक बड़ा नगरीय परिदृष्य बनाते हैं, ऐसे क्षेत्र को नगरीय संकुल कहते है

कोई नगर नगरीय संकुल कब बन जाता है ?

  • कोई नगर नगरीय संकुल बन जाता है जब इसमें से किसी एक का समावेश हाता हैं 
  • नगर एवं उससे संलग्न विस्तार 
  • विस्तार सहित या बिना विस्तार के जब दो या अधिक नगर मिल जाते हैं 
  • एक नगर या उससे सटे हुए या एक से अधिक नगर और उन नगरों के क्रमिक विस्तार जैसे रेलवे कॉलोनी, विश्वविद्यालय परिसर, पत्तन क्षेत्र या सैनिक छावनी को मिलाकर नगरीय संकुल बन जाता है

महानगर एवं नगर में अंतर :-मानव बस्तियाँ

  1. नगर से आशय एक बड़े और स्थायी व्यवस्थापन से हैं जो कि किसी विशिष्ट क्षेत्र को कवर करता है। वहीं महानगर एक ऐसा व्यवस्थापन है जो कि पूरे शहर के साथ साथ आसपास के उपनगरों को भी समा लेता है। नगरों की तुलना में महानगरों का आकार काफी विशाल होता हैं। 
  2. नगर की आर्थिक क्रियाओं का स्तर सामान्य प्रकृति का होता है तथा विभिन्न नगरों के निवासी अपने पास के किसी महानगर के माध्यम से आर्थिक क्रियाओं का संचालन करते है। इसके फलस्वरूप छोटे नगरों के आर्थिक संसाधन धीरे-धीरे महानगर में केन्द्रित होने लगते हैं। फलस्वरूप कस्बों तथा छोटे नगरों का आर्थिक जीवन सामान्य प्रकृति का बना रहता हैं, जबकि महानगर चूषक नगर का रूप लेने लगते हैं। इसका तात्पर्य है कि महानगरों का विकास उन पर सामान्य नगरों की निर्भरता का ही परिणाम होता हैं। 
  3. महानगरों की तुलना में नगरों का सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन तुलनात्मक रूप से कम परिवर्तनशील होता हैं। दूसरी और महानगर आधुनिक संस्कृति का केंद्र होते है तथा आधुनिकता के लक्षणों का प्रसार महानगर से नगरों की ओर होता हैं। 
  4. क्षेत्र, राज्य तथा राष्ट्र स्तर की राजनीति में उन लोगों का अधिक प्रभुत्व होता है जो नगरों की अपेक्षा महानगरों से निर्वाचित होते है। इसका कारण यह है कि महानगर से निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधियों को एक बड़े क्षेत्र से संबंधित होने के कारण उन्हें अधिक प्रभावपूर्ण मान लिया जाता हैं। 
  5. नगर और महानगर को प्रकृति की दृष्टि से देखे तो वह पृथक-पृथक नगर में गाँवो और कस्बों से प्रवास करके बसने वाले लोगों की दर उतनी नहीं होती जितनी नगरों से महानगरों की ओर प्रवास करने वाले लोगों की होती हैं। इसका कारण महानगरों का भौतिक आकर्षण तथा वे नागरिक सुविधाएं हैं, जो साधारणतया नगरों में उपलब्ध नहीं हो पाती।

FAQs on मानव बस्तियाँ (Human Settlements) for Class 12th Geography:


1. मानव बस्ती क्या है?

उत्तर:
मानव बस्तियाँ वे स्थान हैं जहाँ लोग रहते हैं, कार्य करते हैं, और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। ये स्थान स्थायी (जैसे गाँव और शहर) या अस्थायी (जैसे घुमंतू बस्तियाँ) हो सकते हैं। बस्तियों का विकास भौगोलिक, आर्थिक, और सामाजिक कारकों पर निर्भर करता है।


2. मानव बस्तियों के प्रकार क्या हैं?

उत्तर:
मानव बस्तियों को मुख्यतः दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है:

  • ग्रामीण बस्तियाँ (Rural Settlements): ये बस्तियाँ कृषि और अन्य प्राथमिक गतिविधियों पर आधारित होती हैं।
  • शहरी बस्तियाँ (Urban Settlements): ये बस्तियाँ औद्योगिक, व्यापारिक, और अन्य गैर-कृषि गतिविधियों पर आधारित होती हैं।

3. ग्रामीण और शहरी बस्तियों में क्या अंतर है?

उत्तर:

पैरामीटर ग्रामीण बस्तियाँ शहरी बस्तियाँ
आधार कृषि और प्राथमिक गतिविधियाँ औद्योगिक और सेवा गतिविधियाँ
जनसंख्या घनत्व कम अधिक
सुविधाएँ सीमित अत्याधुनिक

4. बस्तियों का स्थान निर्धारण किन कारकों पर निर्भर करता है?

उत्तर:
बस्तियों के स्थान का निर्धारण निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है:

  • प्राकृतिक कारक: जल स्रोत, भूमि की उर्वरता, और मौसम।
  • आर्थिक कारक: व्यापारिक गतिविधियाँ और संसाधनों की उपलब्धता।
  • सामाजिक कारक: सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व।

5. बस्तियों की आकृति के प्रकार कौन-कौन से हैं?

उत्तर:
बस्तियों की आकृति (Pattern) मुख्यतः पाँच प्रकार की होती है:

  1. विकेंद्रित (Dispersed): घरों के बीच दूरी अधिक।
  2. संकेंद्रित (Compact): घर आपस में सटे हुए।
  3. रेखीय (Linear): सड़कों, नदियों, या रेलवे लाइनों के समानांतर।
  4. त्रिभुजाकार (Triangular): नदी के संगम या पहाड़ी क्षेत्र में।
  5. अनियमित (Irregular): अव्यवस्थित और बिना योजना के विकसित।

6. शहरीकरण (Urbanization) का क्या अर्थ है?

उत्तर:
शहरीकरण का अर्थ है ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण और शहरी जीवन शैली का प्रसार। यह औद्योगिकीकरण, आर्थिक विकास, और बेहतर रोजगार अवसरों के कारण होता है।


7. भारत में ग्रामीण बस्तियों की विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:
भारत में ग्रामीण बस्तियों की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • कृषि और पशुपालन पर निर्भरता।
  • पारंपरिक जीवन शैली।
  • सीमित आधारभूत संरचना।
  • सामुदायिक जीवन की प्रधानता।

8. शहरी बस्तियों के सामने क्या-क्या समस्याएँ हैं?

उत्तर:
शहरी बस्तियों में निम्नलिखित समस्याएँ होती हैं:

  • अतिक्रमण और मलिन बस्तियाँ।
  • यातायात जाम और प्रदूषण।
  • जनसंख्या का अत्यधिक दबाव।
  • सामाजिक और आर्थिक असमानता।

9. मानव बस्तियों का विकास कैसे होता है?

उत्तर:
मानव बस्तियों का विकास मुख्यतः निम्नलिखित चरणों में होता है:

  1. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता।
  2. आर्थिक गतिविधियों का विस्तार।
  3. संचार और परिवहन के विकास।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रभाव।

10. मानव बस्तियों के अध्ययन का महत्व क्या है?

उत्तर:
मानव बस्तियों का अध्ययन भौगोलिक, आर्थिक, और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें निम्नलिखित समझने में मदद करता है:

  • बस्तियों के विकास के पीछे के कारण।
  • संसाधनों का प्रबंधन और योजना।
  • जनसंख्या और पर्यावरण के बीच संबंध।
  • सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में कदम।

अध्याय-3: जल संसाधन

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