12th Geography

अध्याय-6: तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

तृतीयक क्रियाकलाप :-

तृतीयक क्रियाकलाप का सम्बन्ध अमूर्त सेवाओं से है। इनमें विभिन्न प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित की जाती है। तृतीयक व्यवसायों में वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता। 

उदाहरण :- शिक्षण कार्य, बैंकिंग, परिवहान व संचार वाणिज्य व व्यापार आदि।

तृतीयक क्रियाओं का वर्गीकरण :-

  • व्यापार  
  • परिवहन
  • संचार 
  • अन्य सेवाएं

व्यापार :-

वस्तुओं के क्रय विक्रय यानी खरीदने बेचने को व्यापार कहा जाता है यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है।

  • थोक व्यापार :- इस व्यापार को वे बिचौलिये स्थापित करते हैं जो विनिर्माताओं से सीधे सामान उपलब्ध कराते हैं। इसी पूरी प्रक्रिया से बड़ी संख्या में लोग संलग्न होते हैं एंव रोजगार प्राप्त करते हैं
  • फुटकर व्यापार :-  इस व्यापार में उपभोक्ता वस्तुओं को प्रत्यक्ष रूप में खरीदता है। इसके अन्तर्गत फुटकर दुकानें, रेहड़ी वाले, स्वचालित बिक्री मशीनें, डाक आदेश आदि आते हैं।

नोट :- उत्पादक (बनाने वाला) » थोक व्यापारी » फुटकर व्यापारी » उपभोक्ता (प्रयोग करने वाला)

व्यापारिक केन्द्र :-

व्यापार और वाणिज्य का सारा काम कस्बों और नगरों में होता हैं जिन्हें व्यापारिक केंद्र कहा जाता है।

व्यापार के स्थान :-

  • ग्रामीण विपणन केंद्र।
  • नगरीय बाजार केन्द्र।
  • आवधिक बाजारएं।

ग्रामीण विपणन केंद्र :-

ये अर्द्ध नगरीय केंद्र होते हैं तथा निकटवर्ती बस्तियों का पोषण करते हैं। इनमें से अधिकांश केंद्रों में थोक बाजार और कुटकर व्यापार क्षेत्र भी होते है।

नगरीय बाजार केन्द्र :-

नगरीय बाजार केन्द्रों में और अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएँ मिलती है। ये नगरों में स्थित होते हैं और नगरवासियों की सेवा करते हैं।

आवधिक बाजार :-

 जिन ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित बाजार नही होते वहाँ पर विभिन्न कालिक अंतरालों पर स्थानीय आवधिक बाजार लगाए जाते हैं। ये साप्ताहिक या पाक्षिक होते हैं, जो आस – पास के ग्रामीण लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

ग्रामीण विपणन केंद्र एव नगरीय विपणन केंद्र में अंतर :-तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

  • ग्रामीण विपणन केंद्र
  • नगरीय विपणन केंद्र
  • ये केंद्र विकटवर्ती बस्तियों को का पोषण करते हैं।
  • ये केंद्र अधिक विशिष्टीकृत नगरीय सेवाएं प्रदान करते है।
  • ये केंद् स्थानीय संग्रहण और वितरण केंद्र की सेवाएं प्रदान करते हैं।
  • ये केंद्र स्थानीय सेवाओं के साथ – साथ विशिष्टीकृत वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करते है।
  • इन केंद्रों पर व्यक्तिगत और व्यावसायिक सेवाएं सुविकसित नहीं होती है।
  • ये केंद्र विनिर्मित वस्तुएं प्रदान करते हैं।
  • ये केंद्र केवल स्थानीय ग्रामीण आवश्यकताओं की ही पूर्ति कर सकते हैं।
  • ये केद्र व्यावसायिक सेवाएं जैसे – अध्यापक, वकील, परामर्शदाता एवं चिकित्साक की सेवाएं भी प्रदान करते है।

परिवहन :-

  1. वस्तुओं और व्यक्ति को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में लाने ओर ले जाने की सेवा को परिवहन कहा जाता है। 
  2. परिवहन सबसे मुख्य सेवाओं में से एक है बाकी सभी सेवाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परिवहन पर निर्भर होती हैं। 

परिवहन को प्रभावित करने वाले कारक :-तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

  1. भू क्षेत्र। 
  2. विकास का स्तर। 
  3. परिवहन के साधनों की उपलब्धता। 
  4. मार्गों की स्थिति। 
  5. मांग।

परिवहन में ‘ नोड़ ‘ और ‘ योजक ‘ का क्या अर्थ है ? 

दो अथवा अधिक मार्गों का संधिं – स्थल, एक उदगम बिन्दु अथवा मार्ग के सहारे कोई बड़ा कस्बा या शहर नोड़ होता है। प्रत्येक सड़क जो दो नोडो को जोड़ती है योजक कहलाती है।

पर्यटन :-

पर्यटन एक यात्रा है जो व्यापार की बजाय आमोद – प्रमोद के उद्देश्य से अधिक की जाती है। पर्यटन में लोग अपने निवास स्थानों एवं कार्यस्थलों से अस्थायी तौर पर थोड़े समय के लिए अन्य स्थानों पर जाकर मनोरंजन करते हैं।

पर्यटन सेवा को प्रभावित करने वाल%