- समकालीन विश्व में सुरक्षा
- FAQs pn “समकालीन विश्व में सुरक्षा” (Security in the Contemporary World):
- 1. समकालीन सुरक्षा का क्या मतलब है?
- 2. पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा में क्या अंतर है?
- 3. पर्यावरणीय सुरक्षा समकालीन सुरक्षा का हिस्सा क्यों है?
- 4. आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए कैसे खतरा है?
- 5. साइबर सुरक्षा का महत्व क्यों बढ़ा है?
- 6. मानव सुरक्षा (Human Security) क्या है?
- 7. वैश्वीकरण और सुरक्षा के बीच क्या संबंध है?
- 8. शीत युद्ध के बाद सुरक्षा के परिदृश्य में क्या बदलाव आया?
- 9. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) समकालीन सुरक्षा में क्या भूमिका निभाता है?
- 10. समकालीन विश्व में सुरक्षा के लिए वैश्विक सहयोग क्यों आवश्यक है?
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समकालीन विश्व में सुरक्षा
समकालीन विश्व में सुरक्षा (Security in the Contemporary World)
समकालीन विश्व में सुरक्षा एक ऐसा विषय है, जो वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य, राज्यों के आपसी संबंधों, और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका को व्यापक रूप से समझने का अवसर प्रदान करता है। यह विषय बदलते वैश्विक सुरक्षा दृष्टिकोण और आधुनिक युग की चुनौतियों को समझने में मदद करता है। शीत युद्ध के बाद, सुरक्षा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक आयामों में बड़े बदलाव हुए हैं, जिसने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के मूलभूत ढांचे को पुनर्परिभाषित किया है।
सुरक्षा की पारंपरिक परिभाषा
पारंपरिक दृष्टिकोण के अनुसार, सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को बाहरी आक्रमणों से बचाना था। इसमें सैन्य बल और शक्ति संतुलन को प्राथमिकता दी जाती थी। शीत युद्ध के दौरान, सुरक्षा की धारणा मुख्य रूप से राज्यों के बीच हथियारों की होड़, सैन्य गठबंधनों, और शक्ति संतुलन पर आधारित थी। अमेरिका और सोवियत संघ के बीच द्विध्रुवीय संघर्ष, परमाणु हथियारों की होड़, और विचारधारात्मक प्रतिस्पर्धा ने इस युग को गहराई से प्रभावित किया।
गैर-पारंपरिक सुरक्षा के आयाम
शीत युद्ध के बाद, सुरक्षा के गैर-पारंपरिक मुद्दों ने महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया। इन मुद्दों में पर्यावरणीय संकट, आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य आपातकाल (जैसे महामारी), और मानवीय सुरक्षा शामिल हैं। इन खतरों ने यह स्पष्ट किया कि केवल सैन्य शक्ति से सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इसके बजाय, बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जो आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक पहलुओं को भी शामिल करे।
- आतंकवाद और आंतरिक सुरक्षा:
20वीं और 21वीं सदी में आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है। 9/11 जैसे हमलों ने दिखाया कि सीमाओं के पार काम करने वाले गैर-राज्यीय अभिनेता भी वैश्विक सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। इस संदर्भ में, आतंकवाद-रोधी उपाय और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता बढ़ गई है। - पर्यावरणीय सुरक्षा:
जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और पर्यावरणीय क्षरण ने सुरक्षा के परंपरागत ढांचे को चुनौती दी है। इन मुद्दों को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और देशों के बीच सहयोग आवश्यक है। उदाहरण के लिए, पेरिस समझौता (Paris Agreement) पर्यावरणीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। - साइबर सुरक्षा:
तकनीकी प्रगति के साथ-साथ साइबर अपराधों और डिजिटल युद्ध का खतरा भी बढ़ा है। साइबर सुरक्षा के तहत, व्यक्तिगत जानकारी, आर्थिक प्रणाली, और राष्ट्रीय रक्षा प्रणालियों को साइबर हमलों से सुरक्षित रखना प्राथमिकता बन गया है। - मानवीय सुरक्षा:
समकालीन सुरक्षा के केंद्र में अब व्यक्ति को रखा गया है। गरीबी, भुखमरी, और मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मुद्दे भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका
सुरक्षा सुनिश्चित करने में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। शांति स्थापना (Peacekeeping), मानवीय सहायता, और परमाणु निरस्त्रीकरण जैसे मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रयास उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय संगठन जैसे नाटो (NATO) और सार्क (SAARC) भी अपने-अपने क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
वैश्वीकरण और सुरक्षा के नए आयाम
वैश्वीकरण ने दुनिया को करीब लाया है, लेकिन इसके साथ-साथ नई चुनौतियां भी उत्पन्न हुई हैं। आर्थिक निर्भरता, प्रवासन, और संचार प्रौद्योगिकी ने सुरक्षा के दायरे को और जटिल बना दिया है। अब देशों को केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा नहीं करनी होती, बल्कि वैश्विक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन करना पड़ता है।
निष्कर्ष
समकालीन विश्व में सुरक्षा केवल सैन्य बल या शक्ति संतुलन तक सीमित नहीं है। यह अब एक व्यापक और बहुआयामी अवधारणा बन चुकी है, जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों दोनों को संबोधित करती है। वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों और संगठनों को सहयोग की भावना से काम करना होगा। केवल तभी हम एक स्थायी और सुरक्षित विश्व की कल्पना कर सकते हैं।
FAQs pn “समकालीन विश्व में सुरक्षा” (Security in the Contemporary World):
1. समकालीन सुरक्षा का क्या मतलब है?
उत्तर:
समकालीन सुरक्षा एक व्यापक अवधारणा है, जो केवल सैन्य खतरों तक सीमित नहीं है। यह पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों को शामिल करती है, जैसे कि आतंकवाद, पर्यावरणीय संकट, साइबर सुरक्षा, और मानवीय सुरक्षा। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत, राष्ट्रीय, और वैश्विक स्तर पर सभी खतरों का सामना करना है।
पारंपरिक सुरक्षा में मुख्य रूप से सैन्य बल और राष्ट्रीय रक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता था, जबकि गैर-पारंपरिक सुरक्षा मानव अधिकार, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर आधारित है।
2. पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा में क्या अंतर है?
उत्तर:
पारंपरिक सुरक्षा:
- मुख्य रूप से राष्ट्रीय सीमाओं और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा पर केंद्रित।
- सैन्य बलों और युद्ध के खतरे से निपटने पर आधारित।
- शीत युद्ध के दौरान यह दृष्टिकोण प्रमुख था।
गैर-पारंपरिक सुरक्षा:
- इसमें पर्यावरणीय संकट, आतंकवाद, साइबर हमले, और मानवीय सुरक्षा शामिल हैं।
- इसका दृष्टिकोण व्यक्ति और समाज के समग्र कल्याण पर केंद्रित है।
- यह 21वीं सदी की प्रमुख सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करता है।
3. पर्यावरणीय सुरक्षा समकालीन सुरक्षा का हिस्सा क्यों है?
उत्तर:
पर्यावरणीय सुरक्षा आज के युग में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और पर्यावरणीय आपदाएं मानव अस्तित्व और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा पैदा करती हैं।
उदाहरण के लिए, ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र के स्तर में वृद्धि, जैव विविधता का ह्रास, और कृषि उत्पादन में कमी जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पर्यावरण सुरक्षा न केवल एक राष्ट्रीय बल्कि एक वैश्विक चुनौती है, जिसे सभी देशों को मिलकर हल करना होगा।
4. आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए कैसे खतरा है?
उत्तर:
आतंकवाद एक गैर-पारंपरिक खतरा है जो सीमाओं से परे काम करता है और समाज, अर्थव्यवस्था, और राजनीति पर विनाशकारी प्रभाव डालता है। 9/11 के हमले, आईएसआईएस का उदय, और अल-कायदा जैसी संस्थाएं यह दिखाती हैं कि आतंकवाद ने पारंपरिक सुरक्षा ढांचे को चुनौती दी है।
इसके खिलाफ लड़ने के लिए देशों को खुफिया साझेदारी, कड़े कानून, और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
5. साइबर सुरक्षा का महत्व क्यों बढ़ा है?
उत्तर:
डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा की आवश्यकता तेजी से बढ़ी है क्योंकि:
- आर्थिक और राष्ट्रीय प्रणालियां डिजिटल पर निर्भर हो गई हैं।
- साइबर हमलों से वित्तीय धोखाधड़ी, व्यक्तिगत डेटा चोरी, और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
- रक्षा प्रणालियां, बैंकिंग, और स्वास्थ्य सेवाएं साइबर अटैकों के प्रति संवेदनशील हो गई हैं।
उदाहरण के लिए, भारत की “डिजिटल इंडिया” पहल के तहत साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
6. मानव सुरक्षा (Human Security) क्या है?
उत्तर:
मानव सुरक्षा व्यक्ति और समुदाय के कल्याण पर केंद्रित एक अवधारणा है। यह गरीबी, भुखमरी, स्वास्थ्य संकट, और सामाजिक असुरक्षा जैसे मुद्दों से निपटती है।
1994 में, संयुक्त राष्ट्र ने इसे व्यापक रूप से परिभाषित किया, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता, आर्थिक सुरक्षा, और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई।
7. वैश्वीकरण और सुरक्षा के बीच क्या संबंध है?
उत्तर:
वैश्वीकरण ने सुरक्षा के लिए नए अवसर और चुनौतियां पैदा की हैं:
- अवसर: वैश्विक सहयोग और समझौते।
- चुनौतियां: आतंकवाद, साइबर अपराध, और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका में बदलाव।
उदाहरण के लिए, वैश्वीकरण ने कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में सहयोग को प्रोत्साहित किया।
8. शीत युद्ध के बाद सुरक्षा के परिदृश्य में क्या बदलाव आया?
उत्तर:
शीत युद्ध के बाद, सुरक्षा का दृष्टिकोण द्विध्रुवीयता से हटकर बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ा।
- परमाणु हथियार नियंत्रण के लिए संधियां (जैसे START)।
- गैर-पारंपरिक खतरों पर ध्यान केंद्रित।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र की भूमिका बढ़ी।
9. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) समकालीन सुरक्षा में क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाता है। इसके प्रयासों में शामिल हैं:
- शांति स्थापना मिशन।
- हथियारों के प्रसार को रोकना।
- मानवीय सहायता प्रदान करना।
- पर्यावरणीय सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर काम करना।
10. समकालीन विश्व में सुरक्षा के लिए वैश्विक सहयोग क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सुरक्षा के कई मुद्दे (जैसे आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और साइबर अपराध) सीमाओं से परे हैं। इनसे निपटने के लिए:
- देशों के बीच विश्वास और साझेदारी।
- तकनीकी और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क्षेत्रीय समूहों का सक्रिय समर्थन।
वैश्विक सहयोग के बिना एक स्थायी और सुरक्षित विश्व की कल्पना मुश्किल है।
Chapter-3: नियोजित विकास की राजनीति (Politics of Planned Development)B2