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धरती को जल्द मिलेगा एक और चांद : Mini Moon 2024

आसमान में दिखेंगे दो चंद्रमा! धरती को जल्द मिलेगा एक और चांद-Mini Moon 2024

Mini Moon 2024

 

सौर मंडल में कई ग्रहों के पास एक से अधिक चंद्रमा होते हैं, लेकिन पृथ्वी का केवल एक ही चांद है। अब वैज्ञानिकों ने एक बड़ी जानकारी साझा की है। उनका कहना है कि जल्द ही पृथ्वी को एक अस्थायी चंद्रमा मिल सकता है, जिसका अर्थ है कि कुछ समय के लिए पृथ्वी के पास दो चंद्रमा होंगे। यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है जो पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति को प्रदर्शित करेगी। हालांकि, यह नया चंद्रमा आकाश में दिखाई देने वाले चांद की तरह नहीं होगा, बल्कि यह एक छोटे आकार का क्षुद्रग्रह होगा। इस छोटे चांद के रूप में काम करने वाले क्षुद्रग्रह का नाम  Mini Moon 2024 PT5 है।

वैज्ञानिकों ने 7 अगस्त 2024 को इस एस्टेरॉयड की खोज की थी, जिसका व्यास करीब 10 मीटर है। 29 सितंबर से 25 नवंबर तक इस पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव रहेगा। इस अवधि के दौरान यह एस्टेरॉयड पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, लेकिन एक चक्कर नहीं लगा पाएगा।

यह 25 नवंबर 2024 के बाद यह धरती के गुरुत्वाकर्षण से बाहर चलेगा और फिर सूर्य का चक्कर लगाएगा। अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ने इससे संबंधित पेपर प्रकाशित किया है। इसमें शोधकर्ताओं ने निष्कर्षों का विवरण दिया।

यह घटना अंतरिक्ष से जुड़ी एक रोमांचक घटना है, लेकिन इसे नंगी आंखों से या सामान्य बिनॉक्लर से देखना मुश्किल होगा. इसके लिए ज़्यादा पावर वाले टेलीस्कोप की ज़रूरत होगी।

इस घटना से जुड़ी कुछ और बातेंः

  • यह घटना अंतरिक्ष के बारे में हमारी समझ को बढ़ाएगी और भविष्य में अंतरिक्ष की खोज के लिए संभावनाएं पैदा करेगी. 
  • पृथ्वी के पास आने वाली वस्तुएं यानी नियर अर्थ ऑब्जेक्ट, घोड़े के नाल जैसा रास्ता तय करती हैं. ये हमारी धरती के पास आती हैं और कम गति से पहुंचती हैं. इस वजह से मिनी मून जैसी घटनाएं होती हैं. 
  • मिनी मून, अर्जुनो एस्टेरॉइड यानी छोटे पिंडों से जुड़ा है, जो कक्षाओं में घूमते हैं. 
  • यह घटना अंतरिक्ष की गतिशीलता को दिखाती है.

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च में बताया गया है कि 2024 पीटी5 को 56 दिनों के लिए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में खींचा जाएगा। 2024 पीटी5 अंतरिक्ष में वापस जाने से पहले एक बार पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। ये एक ऐसी घटना है, जिसे अस्थायी रूप से कैप्चर किए गए फ्लाईबाई के रूप में जाना जाता है। इसमें एस्टेरॉयड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में प्रवेश करते हैं लेकिन कई कक्षाओं को पूरा नहीं करते हैं। वहीं दूसरे मिनी मून इसके उलट बड़ी अवधि के लिए कक्षा में रहते हैं।

पृथ्वी की परिक्रमा करेगा ये एस्टेरॉयड (Mini Moon 2024)

एस्टेरॉयड अपने सौर पथ पर लौटने से पहले पृथ्वी के चारों ओर एक ही परिक्रमा करेगा। 2024 पीटी5 कम वेग से पृथ्वी तक पहुंचेगा, जिससे गुरुत्वाकर्षण के जरिए इस परह अस्थायी कब्जा संभव हो जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक ये एस्टेरॉयड अर्जुन समूह से है, जो पृथ्वी के समान कक्षा साझा करता है। यह एक प्राकृतिक वस्तु माना जाता है। इसे अंतरिक्ष मलबा नहीं समझा जाता है। ये पहली बार नहीं है जब कोई मिनी मून पृथ्वी की कक्षा में आएगा। 2006 में एक एस्टेरॉयड करीब एक वर्ष तक परिक्रमा करता रहा था। 2024 पीटी5 की बात करें तो मौजूदा यात्रा के बाद पृथ्वी के आसपास की इसकी अगली अनुमानित वापसी 2055 में होगी।

 

इसके अतिरिक्त: Mini Moon 2024 एक विस्तृत अध्ययन

मिनी मून (Mini Moon) एक अद्वितीय खगोलीय घटना है जिसे खगोल विज्ञान में “माइक्रो मून” (Micro Moon) के नाम से भी जाना जाता है। यह घटना तब होती है जब चंद्रमा अपनी कक्षीय गति में पृथ्वी से सबसे दूर स्थित बिंदु, जिसे “एपोजी” (Apogee) कहा जाता है, पर होता है। इस समय, चंद्रमा का आकार और चमक सामान्य पूर्णिमा की तुलना में कम दिखाई देती है, इसलिए इसे “मिनी मून” कहा जाता है। 2024 में मिनी मून 18 सितंबर को घटित होगा और इस दौरान चंद्रमा का आकार अपेक्षाकृत छोटा और धुंधला दिखाई देगा।

इस घटना का वैज्ञानिक महत्व और इसके पीछे का खगोलशास्त्रीय सिद्धांत बहुत ही रोचक है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

Mini Moon 2024

चंद्रमा की कक्षा और मिनी मून का संबंध

चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के चारों ओर पूर्णतः गोल नहीं है, बल्कि अंडाकार (Elliptical) होती है। इस अंडाकार कक्षा के कारण चंद्रमा कभी पृथ्वी के करीब होता है, जिसे “पेरिजी” (Perigee) कहा जाता है, और कभी पृथ्वी से दूर होता है, जिसे “एपोजी” कहा जाता है।

  • एपोजी: यह वह बिंदु होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर होता है। इस दूरी का औसत लगभग 4,06,000 किलोमीटर होता है।
  • पेरिजी: यह वह बिंदु होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, और यह दूरी लगभग 3,56,000 किलोमीटर होती है।

जब पूर्णिमा का समय और एपोजी का समय एक साथ आता है, तो यह खगोलीय घटना “मिनी मून” कहलाती है। चूंकि इस समय चंद्रमा पृथ्वी से अधिक दूर होता है, इसलिए इसका आकार और चमक सामान्य से कम दिखाई देती है। इसे सुपरमून के विपरीत घटना माना जा सकता है, जहां चंद्रमा पेरिजी के समय पूर्ण होता है और आकार में बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।

मिनी मून का दृश्य प्रभाव

मिनी मून के दौरान चंद्रमा का दृश्य प्रभाव सुपरमून की तुलना में कम होता है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि मिनी मून सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 14% छोटा और 30% कम चमकीला दिखाई देता है। इसका यह अर्थ नहीं है कि यह घटना किसी भी प्रकार से सामान्य पूर्णिमा से कम सुंदर होती है, बल्कि यह अपने आप में एक अनूठी खगोलीय घटना है जो प्रकृति के अद्वितीय संतुलन को दर्शाती है।

मिनी मून के दौरान चंद्रमा का आकार थोड़ा छोटा होने के बावजूद, इसे नग्न आंखों से आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि, जो लोग चंद्रमा की नियमित रूप से तस्वीरें लेते हैं या उसे दूरबीन से देखते हैं, वे इस छोटे अंतर को अधिक आसानी से देख पाएंगे। इसके विपरीत, सामान्य दर्शकों के लिए यह अंतर नगण्य हो सकता है।

मिनी मून 2024: कब और कहां देखना है

2024 का मिनी मून 18 सितंबर को होगा। इस दिन चंद्रमा एपोजी पर होगा और पृथ्वी से लगभग 4,06,000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। यह घटना उन लोगों के लिए खास होगी जो चंद्रमा की चाल और उसकी खगोलीय गतिविधियों में रुचि रखते हैं।

मिनी मून को नग्न आंखों से देखा जा सकता है और इसके लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, जो लोग दूरबीन या कैमरा का उपयोग करना चाहते हैं, वे चंद्रमा की विशेषताओं को अधिक विस्तार से देख सकते हैं।

मिनी मून और इसका सांस्कृतिक महत्व

मिनी मून की घटना खगोल विज्ञान के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोणों से भी महत्वपूर्ण है। चंद्रमा की गतिविधियों को विभिन्न संस्कृतियों में खास महत्व दिया जाता है। हिंदू धर्म, इस्लाम और अन्य धर्मों में चंद्रमा की स्थिति के आधार पर तिथियों और धार्मिक अनुष्ठानों को निर्धारित किया जाता है।

भारत में, चंद्रमा की स्थिति के आधार पर विभिन्न त्यौहार मनाए जाते हैं, और इसकी चमक और आकार को शुभ-अशुभ मान्यताओं से भी जोड़ा जाता है। मिनी मून जैसी घटना भी इन परंपराओं का हिस्सा होती है, हालांकि इसका धार्मिक महत्व उतना प्रमुख नहीं होता है जितना कि सुपरमून या अमावस्या का होता है।

मिनी मून का वैज्ञानिक महत्व

मिनी मून न केवल एक दृश्य खगोलीय घटना है, बल्कि इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। खगोलविद इस प्रकार की घटनाओं का अध्ययन करते हैं ताकि वे चंद्रमा की कक्षा, उसकी गति, और पृथ्वी और चंद्रमा के बीच के संबंधों को और बेहतर तरीके से समझ सकें।

  1. चंद्रमा की कक्षा का अध्ययन: मिनी मून जैसी घटनाएं चंद्रमा की कक्षा और उसकी पृथ्वी के चारों ओर गति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं। इससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की अंडाकार कक्षा और उसके कारण होने वाले प्रभावों का अध्ययन करने का मौका मिलता है।
  2. समुद्री ज्वार: चंद्रमा की स्थिति का पृथ्वी के महासागरों और समुद्रों पर भी प्रभाव पड़ता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है, तो समुद्री ज्वारों की ऊंचाई सामान्य से कम होती है। इसे “नीचे का ज्वार” (Neap Tide) कहा जाता है। इसके विपरीत, जब चंद्रमा पेरिजी पर होता है, तो समुद्र में ज्वार सामान्य से अधिक होते हैं, जिन्हें “उच्च ज्वार” (Spring Tide) कहा जाता है।
  3. चंद्रमा की सतह का अध्ययन: मिनी मून के दौरान खगोलविद चंद्रमा की सतह की विशेषताओं का अध्ययन करते हैं। चूंकि चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है, इसलिए उसकी सतह का कुछ हिस्सा और उसकी आकृति भी अलग दिखाई देती है। यह अध्ययन चंद्रमा की संरचना और उसकी गतिविधियों को समझने में सहायक होता है।

सुपरमून और मिनी मून की तुलना

सुपरमून और मिनी मून के बीच का अंतर प्रमुख रूप से उनकी पृथ्वी से दूरी और उनके आकार में होता है।

  • सुपरमून: जब चंद्रमा पेरिजी पर होता है, तब उसका आकार सामान्य से लगभग 14% बड़ा और 30% अधिक चमकीला दिखाई देता है। इस घटना को सुपरमून कहा जाता है, और यह दृश्य रूप से अधिक आकर्षक होती है।
  • मिनी मून: जब चंद्रमा एपोजी पर होता है, तब उसका आकार और चमक सामान्य से कम होती है। यह घटना अधिक शांत और अद्वितीय होती है, हालांकि इसका दृश्य प्रभाव सुपरमून की तुलना में कम होता है।

निष्कर्ष

मिनी मून 2024 एक ऐसी खगोलीय घटना है जो चंद्रमा की कक्षा, उसके आकार और पृथ्वी पर उसके प्रभावों का अद्भुत उदाहरण है। इस घटना के दौरान चंद्रमा अपेक्षाकृत छोटा और धुंधला दिखाई देगा, लेकिन यह खगोल विज्ञान प्रेमियों और सामान्य दर्शकों के लिए एक शानदार अनुभव होगा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, मिनी मून हमें चंद्रमा और पृथ्वी के बीच के अद्वितीय संबंधों को समझने में मदद करता है। चाहे आप खगोलशास्त्र में रुचि रखते हों या नहीं, मिनी मून की घटना को देखना एक अद्वितीय अनुभव होगा, जो हमें ब्रह्मांड की सुंदरता और जटिलता की याद दिलाता है।

 

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