भूमिका:
” किसान किसी भी देश कि तरक्की में बहुत ही अहम् भूमिका निभाते है, वे अपनी कड़ी मेहनत से माटी को सींच कर आनाज पैदा करते है, और इसलिए उन्हें अन्न दाता कहा जाता है, वे देश कि जनता का पेट भरने के साथ-साथ देश कि अर्थ व्यवस्था में भी अपना अतुल्यनीय योगदान देते है, ऐसे में उनके साथ किसी भी प्रकार का छलावा बहुत ही निंदनीय है.”
पिछले 6 महीने से लगातार किसान केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित है, वो 26 नवंबर 2020 की सुबह थी जब दिल्ली और हरियाणा के बॉर्डरों को दिल्ली पुलिस ने सील कर रखा था. सिंघु बॉर्डर पर कई लेयर के बैरीकेड लगाए गए थे. कंटीली तारें, सीमेंट के स्लैब, रेत से भरे ट्रक, हथियारबंद जवान और मुस्तैद खड़े दंगारोधी वाहन.
ये तैयारी तीन कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे किसानों को दिल्ली की तरफ़ बढ़ने से रोकने के लिए की गई थी.
दिल्ली पुलिस के इन बैरीकेडों की तस्वीरें जब मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों तक पहुँचीं तो सवाल उठा कि क्या एक लोकतांत्रिक देश में पुलिस नागरिकों को इस तरह से रोक सकती है? दिल्ली या भारत में कहीं और पहले इस तरह की सख़्त बैरिकेडिंग नहीं देखी गई थी.
दिल्ली को हरियाणा, पंजाब और आगे हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से जोड़ने वाले नेशनल हाइवे 44 को हरियाणा की पुलिस ने कई जगह खोद दिया. सीमेंट के भारी स्लैब लगाकर रास्ता जाम कर दिया गया.