नारी उत्थान की एक बड़ी पहल, महिला आरक्षण पुरुषों की मानसिकता बदलने का भी करेगा काम!
पिछले कई वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अंततः संसद के दोनों सदनों से पास हो गया। नारी शक्ति वंदन नाम वाला यह विधेयक लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों का आरक्षण सुनिश्चित करेगा। यह विधेयक कानून का रूप लेने के बाद कुछ वर्षों बाद ही अमल में आ सकेगा, क्योंकि उसे लागू करने के पहले जनगणना होगी और फिर परिसीमन। परिसीमन आयोग ही तय करेगा कि कौन सी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। फिलहाल महिला आरक्षण की व्यवस्था 15 वर्ष के लिए की गई है। 15 वर्ष बाद इसकी समीक्षा होगी और संसद चाहेगी तो उसे आगे बढ़ा सकती है।
संसद की नई इमारत में कार्यवाही मंगलवार से शुरू हुई. पहले दिन क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया.इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है.महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है.
विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गई हैं.
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी.इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा.
इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते.यह गणना लोकसभा में सीटों की वर्तमान संख्या पर की गई है. परिसीमन के बाद इसमें बदलाव आने की संभावना है.
महिला आरक्षण बिल के फायदे ?
●महिला आरक्षण बिल के द्वारा देश में नारी सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
●नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 के द्वारा देश की राजनीति में महिलाओं की सक्रिय भूमिका को काफी हद तक मजबूत और सशक्त किया जाएगा ।
●महिला आरक्षण अधिनियम से हर महिला को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा ।
●वही नारी शक्ति वंदन अधिनियम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी जो कि अभी तक 81 है ।
महिला आरक्षण बिल से क्या बदलाव होंगे?
●महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें लोकसभा दिल्ली विधानसभा और भारत के दूसरे विधानसभा में आरक्षित किया जाएगा।भारत के सभी राज्यों के विधानसभा में कानून लागू होगा ।
●महिला आरक्षण बिल के अंतर्गत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित सीटों में भी महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित की जाएंगे ।महिला आरक्षण बिल का प्रभाव 15 साल तक रहेगा । इसमें सीटों का आवंटन रोटेशन प्रणाली के अंतर्गत किया जाएगा ।
भारत की राजनीति में महिलाओं की सक्रियता और भी ज्यादा बढ़ेगी । जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी ।
महिला आरक्षण बिल का इतिहास ?
महिला आरक्षण बिल साल 1996 में एच.डी. देवेगौड़ा की सरकार में पहली बार लाया गया था। परंतु भारी विरोध होने के कारण से यह पास नहीं हो सका। जिसके बाद इस बिल को कई बार संसद में प्रस्तुत किया गया। लेकिन हर बार सरकार महिला आरक्षण बिल पास करवाने में असफल रही। इसके बाद साल 1998 और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा महिला आरक्षण बिल को संसद में पेश किया गया। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच प्रचंड बहस तो हुई ही ।लेकिन साथ ही साथ एक सांसद ने कानून मंत्री के हाथ से बिल छीनकर उसकी कॉपियां सदन में फाड़कर उड़ा दी गई।
इसके बाद वर्ष 2008 में UPS सरकार ने इस बिल को संसद में पेश किया गया। लेकिन राज्यसभा में तो सरकार ने इस बिल को पास करवा लिया था। लेकिन लोकसभा में यूपीएस सरकार के गठबंधन में जो भी पार्टी थी, उन्होंने इस बिल का विरोध किया । जिसके कारण इस बिल को कानूनी रूप से देश में लागू नहीं किया जा सका । यही कारण था कि महिला आरक्षण बिल 27 सालों से अधर में लटका रहा था ।