Motivational Stories

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।

स्वयं पर विश्वास रखे।

जीवन उतार और चढ़ाव से भरा हुआ है। जीवन में परिश्रम तो हर कोई करता है लेकिन सफलता जरूरी नहीं कि हर एक व्यक्ति को मिल जाए। कुछ लोग निरंतर परिश्रम करते हैं लेकिन जब उन्हें असफलता मिलने लगती हैं तो वह स्वयं पर विश्वास रखना छोड़ देते हैं और फिर उन्हें लगने लगता है कि अब तो उनके जीवन का कोई महत्व नहीं। दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जो असफलता प्राप्त करने के बाद हार मान जाते हैं, जीवन में आने वाली तनिक क्षणों की मुश्किलों से घबरा जाते हैं। ऐसे समय में व्यक्ति को प्रेरणादायक कहानी की जरूरत पड़ती है। क्योंकि ऐसी कहानियां लोगों में आत्मविश्वास जगाती हैं और बताती हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करना आसान नहीं।

लेकिन जो व्यक्ति स्वयं पर विश्वास रखता है, लगातार मेहनत करता है, धैर्य रखता है एक दिन निश्चित ही वह सफल होता है। दुनिया भर में कई सारी प्रेरणादायक कहानियां मौजूद हैं, जिससे आप प्रेरणा पा सकते हैं ऐसी ही यह प्रेरणादायक कहानी हैं, जिसे पढ़कर आपको स्वयं पर विश्वास होने लगेगा। एक बार एक व्यक्ति जीवन में अपनी असफलताओं से हताश होकर चुपचाप बैठा हुआ था। उसकी निराशा देख भगवान स्वयं उसके सामने प्रकट हुए। उस व्यक्ति ने भगवान से पूछा मैंने अपने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत की लेकिन मुझे अब तक सफलता नहीं मिली।

मैं लगातार असफलता प्राप्त करते जा रहा हूं अब आप बताइए कि मेरे जीवन की क्या कीमत है? इस पर भगवान मुस्कुराए और मुस्कुराते हुए उसे एक लाल चमकदार छोटा सा पत्थर थमा दिया।व्यक्ति ने पूछा इस पत्थर का मैं क्या करूं? ईश्वर ने कहा तुम इस पत्थर को लेकर जाओ और बाजार में इसकी कीमत जान कर आओ। ध्यान रखना इस पत्थर को बेचना नहीं है। ईश्वर के कहे अनुसार वह व्यक्ति उस लाल चमकदार पत्थर को लेकर बाजार में उसकी कीमत ज्ञात करने निकल पड़ता है। सबसे पहले उसे राह पर एक संतरा बेचने वाला आदमी दिखता है। वह सबसे पहले उस आदमी के पास जाता है और पूछता है भाई तुम इस लाल रंग के पत्थर का क्या कीमत दोगे?

संतरे वाला पत्थर की सुंदर रंगों को देख कहता है तुम इस पत्थर के बदले में मुझसे 5-6 संतरे ले जा सकते हो। व्यक्ति ने कहा कि मुझे तो इस पत्थर को बेचना नहीं है, यह कहकर वह आगे बढ़ जाता है। आगे राह में उसे एक सब्जीवाला दिखता है। उस सब्जी वाले से पूछता है कि भाई तुम इस लाल रंग के पत्थर को कितने में खरीदोगे? सब्जी वाला भी उस पत्थर की खूबसूरती से आकर्षित होकर कहता है कि तुम्हें इस पत्थर के बदले में मैं एक बोरा आलू दे सकता हूं। बताओ बेचोगे इस पत्थर को? व्यक्ति कहता है नहीं, मुझे इस पत्थर को नहीं बेचना है।

अब वह व्यक्ति सीधे एक सोनार की दुकान चला जाता है। सोनार के दुकान में बहुत बेशकीमती खूबसूरत गहने पड़े हुए थे। वह व्यक्ति अब उस सोनार को पत्थर दिखाते हुए पूछता है कि इस पत्थर की कीमत क्या लगाओगे? सोनार बहुत ध्यान से उस पत्थर को देखता है अंत में वह कहता है कि इस पत्थर के बदले में मैं तुम्हें 1 करोड़ रुपए दे सकता हूं। लेकिन वह व्यक्ति बोलता है कि मुझे इस पत्थर को नहीं बेचना। सोनार को लगता है कि शायद दाम कम बता रहा हूं इसीलिए वह पत्थर बेचने से मना कर रहा है।

इसीलिए सोनार पत्थर की कीमत बढ़ाकर 2 करोड़ कर देता है। लेकिन वह व्यक्ति तब भी यही कहता है कि मैं इस पत्थर को तो बेच ही नहीं सकता। सोनार के दुकान से निकलकर वह व्यक्ति अब हीरे की दुकान में घुसता है, जहां पर बहुत बेशकीमती रत्न पड़े हुए थे। व्यक्ति हीरे के दुकानदार को पत्थर दिखाते हुए इसकी कीमत पूछता है। हीरे का व्यापारी लगभग 10 मिनट तक पत्थर को बहुत ही बारिकता से जांच करता है और अंत में वह एक मलमल के कपड़े पर उस पत्थर को रखकर उसके सामने अपना सिर टेक लेता है।

व्यक्ति पूछता है कि इसकी कीमत कितनी है? तब हीरे का व्यापारी कहता है अरे भाई तुम्हें यह कहां से मिला, यह तो दुनिया की अनमोल रत्न है, जिसे तो दुनिया की पूरी दौलत लगा दो तब भी खरीदा नहीं जा सकता। यह सुन वह व्यक्ति बहुत अचंभित हो जाता है और वह सीधे ईश्वर के पास आता है और सारी घटना भगवान को बताता है। उसके बाद पूछता है कि ईश्वर अब तो बताइए कि मेरे जीवन की कीमत क्या है? तब ईश्वर कहते हैं कि संतरे वाले, सब्जी वाले, सोनार वाले और हीरे वाले सभी ने तो तुम्हें तुम्हारे जीवन की कीमत बता दी है।

व्यक्ति कहता है मैं समझा नहीं। तब ईश्वर उसे विस्तारपूर्वक समझाते हुए कहते हैं कि तुम किसी के लिए पत्थर के टुकड़े के समान हो तो किसी के लिए अनमोल रत्न। जिस तरह सबने अपनी अलग-अलग जानकारी के हिसाब से इस पत्थर की कीमत बताई लेकिन उस हीरे के व्यापारी ने इस पत्थर की असली पहचान कर ली। ठीक उसी तरह इस दुनिया में तुम कई लोगों के लिए एक मामूली इंसान हो भले ही तुम में कितना भी हुनर क्यों ना हो। लेकिन वक्त के साथ यह हुनर जरूर निखर कर आता है तुम्हें बस परिश्रम और धैर्य की जरूरत है।

स्टोरी का सार: इस कहानी से हमें यही सीख मिलता है कि हर मनुष्य को खुद पर विश्वास रखना चाहिए। यदि व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं तो उसके जीवन की कीमत कुछ भी नहीं। क्योंकि जिसे खुद पर विश्वास होता है और वह परिश्रम करता है तो 1 दिन हीरे के व्यापारी के की तरह उसकी कीमत लोगों को समझ आने लगती है।

 

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।

आप दूसरों को क्या दे रहे हैं।

एक किसान हमेशा एक बेकरीवाले वाले को एक पौंड मक्खन बेचा करता था। वह किसान हमेशा सुबह के समय उस बेकरी वाले के पास आता और उसे एक पौंड मक्खन दे जाता। एक बार बेकरी वाले ने सोचा कि वह हमेशा उस पर भरोसा करके मक्खन ले लेता है। क्यों न आज मक्खन को तौला जाए? इससे उसको पता चल सके कि उसे पूरा मक्खन मिल रहा है या नहीं?

जब बेकरीवाले ने मक्खन तौला तो मक्खन का वजन कुछ कम निकला। बेकरीवाले को गुस्सा आया और उसने उस किसान पर केस कर दिया। मामला अदालत तक पहुंच गया। उस किसान को जज के सामने पेश किया गया। जज ने उस किसान से प्रश्न करना शुरू किया। जज ने पूछा कि वह उस मक्खन को तौलने के लिए बाट का प्रयोग करता है क्या?

किसान ने जवाब दिया “मेरे पास तौलने के लिए बाट तो नहीं है। फिर भी मक्खन तौल लेता हूं” जज हैरानी से पूछता है “बिना बाट के तुम मक्खन कैसे तौलते हो? इस जवाब किसान ने दिया कि “वह लम्बे समय से इस बेकरीवाले से एक पौंड ब्रेड का लोफ खरीदता है। हमेशा यह बेकरीवाला उसे देकर जाता है और मैं उतने ही वजन का उसे मक्खन तौल कर दे आता हूं।” किसान का यह जवाब सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया।

शिक्षा: इस बेकरीवाले की तरह ही हम भी अपने जीवन में वो ही पाते हैं, जो हम दूसरों के देते हैं। एक बार आप सोचिये आप दूसरों को क्या दे रहे हैं धोखा, दुःख, ईमानदारी, झूठ या फिर वफा।

 

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
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अपना हुनर कभी नहीं भूलें।

एक बार एक राजा था। उसके राज्य में सभी अच्छे से चल रहा था। उस राजा ने अपने सैनिकों को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की थी। तलवारबाजी, खेलकूद और शासन कला ये गुण तो सभी राजाओं में होते ही है लेकिन इस राजा को इसके अलावा एक और भी शौक था। वह था कालीन बुनना। ये गुण हर किसी राजाओं में नहीं मिलता। राजा के इस काम को बहुत पसंद किया जाता था। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जाता था कि ये काम एक राजा के लायक का नहीं होता।

एक बार की बात है जब वह राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए गया। वहां पर अचानक वह अपने सैनिकों से बिछड़ गया। राजा को अकेला देख वहां के डाकुओं ने उस पर हमला बोल दिया और उसे बंदी बना दिया। राजा के पास से कुछ नहीं मिलने के कारण डाकुओं ने राजा को मारने का निर्णय किया। इस पर राजा को एक युक्ति सूझी “राजा ने डाकुओं से कहा कि यदि तुम मुझे कालीन बुनने का सामान ला दो तो मैं तुम्हे इस राज्य के राजा से सौ सोने के सिक्के दिलवाऊंगा।”

इस पर डाकू मान गये। राजा को कालीन बुनने का सामान दिया गया। राजा ने कालीन बुनना शुरू किया। जब ये कालीन पूरा बुन दिया तो इसे राजभवन में भेजा गया। वहां पर रानी इस कालीन को देखकर राजा के काम को पहचान गई और उसमें लिखे राजा के सन्देश को पढ़ लिया। राजभवन में आये डाकुओं को पकड़ लिया गया और राजा को जंगल से छुड़वाया गया। राजा के अपने हाथों के इस हुनर ने राजा की जान बचा ली।

परिश्रम का महत्व।

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
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एक बार एक विद्यालय में परीक्षा चल रही थी। सभी बच्चे अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके आये थे। कक्षा का सबसे ज्यादा पढ़ने वाला और होशियार लड़का अपने पेपर की तैयारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था। उसको सभी प्रश्नों के उत्तर आते थे, लेकिन जब उसने अंतिम प्रश्न देखा तो वह चिन्तित हो गया।

सबसे अंतिम प्रश्न में पूछा गया था कि “विद्यालय में ऐसा कौन व्यक्ति है, जो हमेशा सबसे पहले आता है?, वह जो भी है, उसका नाम बताइए।”

परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के ध्यान में एक महिला आ रही थी। वही महिला जो सबसे पहले स्कूल में आकर स्कूल की साफ सफाई करती। पतली, सावलें रंग की और लम्बे कद की उस महिला की उम्र करीब 50 वर्ष के आसपास थी।

ये चेहरा वहां परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के आगे घूम रहा था। लेकिन उस महिला का नाम कोई नहीं जानता था। इस सवाल के जवाब के रूप में कुछ बच्चों ने उसका रंग-रूप लिखा तो कुछ ने इस सवाल को ही छोड़ दिया।

परीक्षा समाप्त हुई और सभी बच्चों ने अपने अध्यापक से सवाल किया कि “इस महिला का हमारी पढ़ाई से क्या सम्बन्ध है।”

इस सवाल का अध्यापक जी ने बहुत ही सुन्दर जवाब दिया “ये सवाल हमने इसलिए पूछा था कि आपको यह अहसास हो जाये कि आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं, जो महत्वपूर्ण कामों में लगे हुए है और आप उन्हें जानते तक नहीं। इसका मतलब आप जागरूक नहीं है।”

शिक्षा: हमारे आसपास की हर चीज, व्यक्ति का विशेष महत्व होता है, वह खास होता है। किसी को भी नजरअंदाज नहीं करें।

 

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।

जीवन का प्रशिक्षण।

बाज पक्षी के बचपन की शुरूआत बहुत ही मुश्किल से होती है। बाज पक्षी को बचपन में ही ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह अपने जीवन में बड़ी-बड़ी मुश्किलों से भी आसानी से सामना कर पाते हैं। जब किसी भी पक्षी का बच्चा पैदा होता है तो वह कम से कम एक महीने तक तो अपने माता-पिता पर निर्भर रहता ही है। वह अपने खाने-पीने से लेकर जब तक चलना नहीं सीख जाता, तब तक वह अपने माता पिता की नजर में रहता है। लेकिन बाज पक्षियों में ऐसा नहीं होता है।

बाज पक्षी सबसे उल्टा चलते हैं। जब एक बाज मादा अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस समय से ही उसके बच्चे की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है कि उसे अपने जीवन में कैसे संघर्ष करना है। पैदा होने के कुछ ही दिन बाद बाज के बच्चे का प्रशिक्षण शुरू हो जाता है। उसके प्रशिक्षण के पहले पड़ाव में मादा बाज अपने बच्चे को चलना सिखाती है। जब बच्चा भूखा होता है तो उसकी मां खाना लाती है। जैसा कि सभी पक्षी करते हैं। लेकिन बाज सीधा अपने बच्चे को खाना नहीं देते।

मादा बाज खाना लाकर अपने घोंसले से कुछ दूरी पर खड़ी रह जाती है और तब तक उसे खाना नहीं देती जब तक वह खुद चलकर उसके पास नहीं आ जाता। जब बाज के बच्चे को तेज भूख लगती है तो वह खाने के लिए अपनी मां के पास जाता है। धीरे-धीरे संघर्ष करके मुश्किल से चलकर अपनी मां के पास पहुंचता है। उस समय उसे कई सारी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। उसे कई चोटें भी लगती है।

लेकिन उसकी मां उसे खाना तक तक नहीं देती, जब तक वह खुद उसके पास चलकर नहीं आ जाता। उसकी मां कठोर दिल रखकर सिर्फ उसके पास आने का इंतजार करती है। उसे कोई मदद नहीं करती है। जब वह चलना सीख जाता है तो दूसरा पड़ाव आता है। यह पड़ाव उसके लिए बहुत ही मुश्किल होता है। इसमें मादा बाज अपने बच्चे को अपने पंजों में पकड़कर उसे खुले आसमान में ले उड़ती है। अपने बच्चे को पंजों में दबाकर वह लगभग 12 से 14 किलोमीटर ऊपर तक ले जाती है और वहां से उसे छोड़ देती है।

तब वह बच्चा नीचे गिरने लगता है और वह उसे देखती है। जब उसका बच्चा 1 या 1.5 किलोमीटर तो बच्चे को डर लगने लगता है कि वह अब मर जायेगा और अपने पंख फड़फड़ाने लगता है, उड़ने की पूरी कोशिश करता है। फिर भी वह उड़ नहीं पाता तो मादा बाज उसे झट से आकाश में ही पंजों में पकड़ लेती है और उसे जमीन पर गिरा देती है।

ऐसा उसकी मां तब तक करती हैं जब तक वह पूरी तरह से उड़ना नहीं सीख जाता। इस प्रकार से एक बाज के बचपन की शुरूआत होती है और उसे इस कठिन प्रशिक्षण को करना पड़ता है। इस कठिन प्रशिक्षण से वह अपने जीवन में बहुत कुछ सीखता है। इसके कारण ही वह अपने से दुगुना वजनी का भी आसानी से शिकार कर सकता है और उसे आसमान में ले उड़ता हैं। इस प्रशिक्षण से वह मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।

हमें बाज के इस प्रशिक्षण से जीवन में बड़ी सीख मिलती है। हर व्यक्ति, जानवर या पक्षी अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है। इसका मतलब ये नहीं कि वह उसे अपने पर ही निर्भर रहने दें। उसे जिन्दगी में मुश्किलों का सामना करना भी सिखाएं, जिसके कारण वह अपनी प्रतिभा दिखा सके और अपने एक बेहतर व्यक्तित्व कायम कर सके। हमेशा अपने बच्चों को ये ही सिखाये कि जिन्दगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है। अपने जीवन में यदि कुछ भी हासिल करना है तो संघर्ष करना ही पड़ेगा।

 

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
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विशाल हाथी और पतली रस्सी।

एक बार की बात है। एक आदमी किसी रास्ते से निकल रहा था। तब उसने एक विशाल हाथी को देखा, जो एक पतली सी रस्सी और पतली सी खूंटी से बंधा हुआ था। ये देखकर व्यक्ति को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि ये हाथी इतना विशाल होने के बावजूद भी इस पतली रस्सी को नहीं तोड़ सकता है और इससे बंधा हुआ है। तभी वहां पर हाथी का मालिक आ जाता है। वह व्यक्ति हाथी के मालिक से पूछता है “ये हाथी इतना विशाल और शक्तिशाली है” फिर भी ये इतनी कमजोर और पतली रस्सी से बंधा हुआ है। इसे तोड़ने की कोशिश भी नहीं कर रहा है।

मालिक ने कहा कि जब ये हाथी छोटा था तब से मैं इसे इसी जगह और इसी रस्सी से बांध रहा हूं। जब ये छोटा था तो उसने बहुत बार इस रस्सी को तोड़ने और इस खूंटे को उखाड़ने की कोशिश की थी। लेकिन ये इसे तोड़ने में सफ़ल नहीं हो सका था। क्योंकि जब ये छोटा था और ये काम नहीं कर सका था। तब उसके मन में ये विश्वास हो गया कि ये रस्सी बहुत मजबूत है और ये इसे नहीं तोड़ सकता। अब इसके मन में रस्सी मजबूत है, ये बात बैठ गई है और इसने रस्सी और खूंटी को तोड़ने की कोशिश करनी भी छोड़ दी है।

आज ये हाथी इतना विशाल और शक्तिशाली है, चाहे जिसे तोड़ सकता है। लेकिन इसके मन में ये विश्वास हो गया है कि ये इस रस्सी को नहीं तोड़ सकता। इसलिए ये इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश भी नहीं करता। इस कारण ही ये विशाल हाथी इस पतली सी रस्सी से बंधा हुआ है। हाथी की तरह हम भी अपने जीवन में किसी काम के नहीं होने का मन में विश्वास बना लेते हैं तो हम उस काम को करने की कोशिश भी नहीं करते हैं। जबकि दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जो मनुष्य नहीं कर सकता है। कोई भी व्यक्ति कोई भी काम कर सकता है।

जैसा कि हाथी के मन में विश्वास हो गया था कि ये नहीं कर सकता। इस कारण उसने कोशिश करनी भी छोड़ दी। हमें किसी काम को करने से पहले ही हार नहीं माननी चाहिए। उसे करने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
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इन्सान की पहचान वाणी से होती है।

एक बार की बात है। एक राज्य का राजा था। उसे शिकार करने का बहुत ही शौक था। एक दिन वह राजा अपने सरदार और कुछ सैनिकों के साथ शिकार के लिए जंगल की ओर निकला। वह काफी दूर तक शिकार की खोज में चले गये। ज्यादा दूर तक चलने से सभी को प्यास लगने लगी। सभी ने जंगल में पानी खोजना शुरू किया। फिर एक सैनिक को रास्ते पर एक कुआं दिखाई दिया। सैनिक ने राजा को यह बताया कि वहां पर एक कुआं है, जहां से हम अपनी प्यास को शांत कर सकते हैं।

राजा ने उस सैनिक को आदेश दिया कि वहां से उसके लिए पानी लाएं। सैनिक राजा के आदेश की पालना करते हुए उस कुएं के पास गया। वहां पर सैनिक ने देखा कि एक नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति रास्ते से जाने वाले लोगों की जलसेवा कर रहा है। सैनिक उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और बोला “ऐ पनिहारे एक लोटा पानी दे, हमें कहीं आगे जाना हैं।” ये सुनकर उस वृद्ध व्यक्ति ने जवाब दिया “यहां से चला जा मुर्ख, मैं ऐसे लोगों को पानी नहीं पिलाता।” ये सुनकर सैनिक तुरंत वहां से चला गया। ये बात सैनिक ने राजा के सरदार को जाकर बताई।

फिर सरदार उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और कहा “ऐ बूढ़े, हमें प्यास लगी है, एक लौटा पानी दे।” ये सुनकर उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति ने फिर पानी पिलाने से मना कर दिया। राजा की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। राजा ने अपने सरदार से पानी के बारे में पूछा तो सरदार ने राजा से कहा कि उस कुएं पर एक नेत्रहीन व्यक्ति है जो पानी पीने से मना कर रहा है।

ये सुनकर राजा अपने सैनिक और सरदार के साथ उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास जाता है और उस वृद्ध व्यक्ति से कहता है “बाबा जी, हमें बहुत प्यास लगी है, गला सुखा जा रहा है। यदि आप थोड़ा पानी पिला देंगे तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगी।”

ये सुनकर उस नेत्रहीन व्यक्ति ने राजा से कहा “आप बैठिये, मैं आपको अभी जल पिलाता हूं।” फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने सम्मानपूर्वक राजा को बैठाया और पानी पिलाया। पानी पीने के बाद राजा ने उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि ये सैनिक व सरदार है और राजा मैं हूं”।

तो इसका जवाब उस वृद्ध व्यक्ति ने बहुत ही अच्छे शब्दों में दिया। वृद्ध व्यक्ति ने कहा “इन्सान की पहचान करने के लिए आंखों की जरूरत नहीं होती, उसकी वाणी ही उसकी असली पहचान होती है।” ये सुनकर वहां पर मौजूद सरदार व उस सैनिक को शर्म महसूस हुई।

 

स्टूडेंट्स के जीवन को सफल बना सकती हैं ये बातें ।
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सफ़लता रिश्तों से मिलती हैं।

हमारे जीवन में हमें अपने माता पिता बहुत काम करने से रोकते हैं कि तुम ये नहीं करोगे, तुम वहां पर नहीं जाओगे, तुम्हे ये ही करना पड़ेगा। हमें कई काम करने से रोकते हैं। क्या आपको लगता है कि वो हमें रोककर गलत कर रहे हैं? क्या इनके रोकने से हम सफ़ल नहीं हो रहे है? यदि आप यह सोचते हैं तो आपको यह प्रेरणादायक कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। एक बार एक व्यक्ति और उसका बेटा दोनों अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रहे थे। पतंग बहुत ही ऊंची उड़ रही थी, वो बादलों को छू रही थी। तब उसका बेटा उस व्यक्ति से कहता है कि पापा ये पतंग इस डोर से बंधी हुई है, जिस कारण और ऊंची नहीं जा रही है। इस डोर को तोड़ देना चाहिए।

बेटे की ये बात सुनकर उसका पिता उसके कहने पर वो डोर तोड़ देता है। उसका बेटा बहुत खुश होता है। वह पतंग टूट जाने से बहुत ऊंचाई पर पहुंच जाती है। लेकिन फिर कुछ समय बाद वह कहीं दूर जाकर खुद ही नीचे गिर जाती है। ये देख उस व्यक्ति का बेटा उदास हो जाता है। फिर वह व्यक्ति उसे कहता है कि अक्सर हमें लगता है कि हम जिस ऊंचाइयों पर है उस ऊंचाई से और भी ऊपर जाने से कुछ चीजें हमें रोक रही है।

जैसे हमारा अनुशासन, रिश्ते, माता-पिता और परिवार। इसकी वजह से हमें लगता है कि हम अपने जीवन में इस कारण ही सफ़ल नहीं हो रहे हैं। इन सब से हमें आजाद हो जाना चाहिए। जैसा कि पतंग अपनी डोर से बंधे हुए रहती है और उस डोर की मदद से वह कई ऊंचाइयों को छू लेती है। उसी तरह हम भी अपने परिवार और रिश्तेदारों से बंधे हुए है। यदि हम इस धागे से जुड़े हुए रहेंगे तो कई ऊंचाइयों को छू लेंगे। लेकिन यदि हम इस धागे तो तोड़ देंगे तो ठीक इसी पतंग की तरह कुछ समय तक ही सफ़लता से उड़ पाएंगे। अंत में नीचे गिरकर ही रहेंगे।

ये पतंग जब तक नई ऊंचाइयों को हासिल करेगी तब तक वह अपनी डोर से बंधी हुई है। लेकिन जब पतंग अपनी डोर से मुक्त हो जाती है तो वह कुछ समय में ही नीचे गिर जाती है। उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में रिश्तों की डोर से बंधे हुए रहना चाहिए। जिससे हम अपने जीवन में नई ऊंचाईयां हमेशा हासिल करते रहे।

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर की गई यह मोटिवेशनल स्टोरी पसंद आई होगी। आप इन मोटिवेशन कहानियों को आगे नीचे दिए हुए लिंक पर शेयर जरूर करें ताकि और लोगों को भी इन प्रेरणादायक कहानियों से जीवन में आगे बड़ने की प्रेरणा मिल सके।

 

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