द्वितीयक क्रियाएँ द्वितीयक क्रियाएँ:- द्वितीयक क्रियाएँ, प्राकृतिक रूप से प्राप्त कच्चे माल को जब मनुष्य अपना कौशल ज्ञान एवं श्रम लगाकर नये उपयोगी उत्पाद में बदल देता है तो इस द्वितीयक क्रिया कहा जाता है। विनिर्माण :- विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु के उत्पादन से है। हस्तशिल्प से लेकर […]
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अध्याय-6: तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप
तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप तृतीयक क्रियाकलाप :- तृतीयक क्रियाकलाप का सम्बन्ध अमूर्त सेवाओं से है। इनमें विभिन्न प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित की जाती है। तृतीयक व्यवसायों में वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता। उदाहरण :- शिक्षण कार्य, बैंकिंग, परिवहान व संचार वाणिज्य व व्यापार आदि। तृतीयक क्रियाओं […]
अध्याय-7: परिवहन तथा संचार
परिवहन तथा संचार परिवहन :- वस्तुओं तथा व्यक्तियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की प्रक्रिया को परिवहन कहते हैं। आधुनिक समय में मनुष्य के जीवन के लिए आवश्यक दिन – प्रतिदिन की क्रियाओं एंव व्यापार के लिये परिवहन के साधनों का होना एक आवश्यकता बन गयी […]
अध्याय-8: व्यापार (अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार )
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार व्यापार : व्यापार. बाज़ार में व्यापार करना देश के भीतर व्यापार करने जैसा नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय अधिक जटिल है क्योंकि. बाहर की विपणन परिस्थितियाँ देश की व्यवसाय संबंधी परिस्थितियों से भिन्न होती हैं। पृष्ठ प्रदेश :- वह क्षेत्र जो इसकी सेवा करता है तथा इससे सेवा प्राप्त करता है बन्दरगाह […]